प्रेरणा
लुधियाना। आज ‘नई हवा’ के इस अंक में एक ऐसे शख्स के संघर्ष की कहानी बता रहे हैं जो आज के युवाओं को प्रेरणा देने वाली है। ये कहानी है उस शख्स की है जिसने एक बैंक में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी की और अब बैंक की उसी शाखा में मैनेजर बन गए हैं।
ये शख्स हैं पंजाब के जगराओं के परमजीत सिंह मठारू। जीवन में उनका संघर्ष और जज्बा सभी के लिए प्रेरणा बन गया है। संघर्ष भी ऐसा कभी हार न मानने वाला। दरअसल वे बैंक की जिस शाखा में सिक्योरिटी गार्ड थे, 13 साल बाद उसी ब्रांच के मैनेजर हैं। अपने संघर्ष से भरे सफर में वह सेना में भी रहे और टैक्सी भी चलाई।
मठारू आज 58 साल के हैं। भरपूर आत्मविश्वास से भरे परमजीत सिंह मठारू ने विपरीत परिस्थितियों में खुद पर भरोसा रख कर यह कामयाबी हासिल की। आज वह गांव अखाड़ा स्थित यूनियन बैंक आफ इंडिया की शाखा के प्रबंधक हैं। उन्होंने 31 मार्च को यह पद हासिल किया। वह बैंक की इसी शाखा में कभी सिक्योरिटी गार्ड थे। अब 13 साल की मेहनत के बाद वह प्रबंधक की कुर्सी पर हैं।
परमजीत सिंह मठारू का ये है संघर्ष का सफर
परमजीत सिंह दसवीं पास कर वर्ष 1982 में सेना में भर्ती हुए। 21 साल तक बतौर हवलदार सेना में रहे। वर्ष 2003 में सेना से सेवानिवृत्त हो गए। उनका कहना था कि पेंशन तो मिलती थी, लेकिन परिवार की जरूरतें बढ़ रही थीं। बेटा-बेटी बडे़ हो रहे थे और उनकी पढ़ाई का खर्च भी बढ़ रहा था। ऐसे में करीब पांच साल तक टैक्सी चलाई, लेकिन इससे भी आर्थिक स्थिति में कुछ खास बदलाव नहीं आया।
इसके बाद परमजीत वर्ष 2008 में गांव अखाड़ा स्थित यूनियन बैंक आफ इंडिया की शाखा में सिक्योरिटी गार्ड भर्ती हो गए। वह रोज बैंक में काम करने वाले कर्मचारियों को देखते और उनकी मदद करते। उन्होंने ठान लिया कि वह भी एक दिन बैंक में नौकरी करेंगे। उन्होंने सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी के साथ-साथ बैंक में नौकरी के लिए होने वाली परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। सिक्योरिटी गार्ड के तौर पर उनको 6800 रुपये पगार मिलती थी।
परमजीत बताते हैं कि दो साल तक तैयारी के बाद परीक्षा दी और बैंक की उसी शाखा में बतौर क्लर्क उन्हें नियुक्ति मिल गई। इसके बाद उन्होंने चार बार शाखा प्रबंधक के पद के लिए पीओ की परीक्षा दी। पहले तीन बार वर्ष 2013, 14 व 15 में वह सफल नहीं हो पाए।
तीन बार की विफलता के बाद भी भी परमजीत सिंह ने हिम्मत नहीं हारी और पूरी तैयारी के साथ वर्ष 2021 में चौथी बार फिर परीक्षा दी। इस बार वह सफल रहे। 31 मार्च, 2022 को बैंक ने उन्हें पदोन्नत कर उसी शाखा के प्रबंधक की कुर्सी पर बिठा दिया।
वाहेगुरु ने किस्मत से अधिक झोली में डाल दिया
परमजीत कहते हैं कि इंसान जो भी चाहे, वह पा सकता है। जिंदगी में अब कोई गिला-शिकवा नहीं है। वाहेगुरु ने मेरी किस्मत से अधिक झोली में डाल दिया है। जीवन में हर चीज मेहनत, आत्मविश्वास और लगन से पाई जा सकती है।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की अखाड़ा गांव स्थित शाखा मे काम करने वाले अन्य कर्मचारियों रमनदीप सिंह, संदीप, सुंदर मोहन, चरणप्रीत सिंह, जसवीर सिंह अखाड़ा, रविंदर सिंह राजा, जसप्रीत कौर, लछमण सुधार, परमिंदर कौर और जगजीत सिंह जग्गा ने कहा कि हम सभी को पमरजीत सिंह मठारू के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। इंसान मेहनत व लगन के बलबूते अपनी जिंदगी में हर मुकाम हासिल कर सकता है।
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