कच्चे परकोटे पर पट्टे देने में लगा कानूनी अड़ंगा, निरस्त होने लगी पत्रावलियां, संघर्ष समिति ने जताया रोष

भरतपुर 

कच्चे परकोटे पर पट्टे देने में कानूनी अड़ंगा लगाने का मामला सामने आया है। इससे परकोटेवासियों की पट्टे से जुड़ी पत्रावलियां नगर निगम की ओर निरस्त करना शुरू कर दिया गया है। कच्चा परकोटा नियमन संघर्ष समिति ने इस पर गहरा रोष प्रकट करते हुए राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को एक ज्ञापन दिया है और मांग की है कि इन कानूनी अड़चनों को हटाकर परकोटेवासियों को पट्टे आवंटित किए जाएं।

संघर्ष समिति के संयोजक जगराम धाकड़ के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मण्डल ने इन ज्ञापनों में मांग की है कि नगर निगम भरतपुर क्षेत्राधिकार में स्थित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के संरक्षित स्मारक के क्षेत्र में निर्धारित कट ऑफ डेट 16 जून,1992 से पूर्व के निर्मित भवनों के पट्टे देने पर अधिनियम के विपरीत लगाई गई गैर कानूनी रोक को हटाकर शहरों के संग अभियान-2021 के तहत पट्टे जारी किए जाएं।

संघर्ष समिति ने ज्ञापनों में अवगत कराया कि भारत सरकार के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग जयपुर मण्डल में 23 दिसम्बर, 2021 को जिला कलेक्टर भरतपुर एवं आयुक्त नगर निगम भरतपुर को जारी कर आदेशित किया गया है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन जिले में स्थित 22 केंद्रीय सरंक्षित स्मारक / स्थल पर अवैध कब्जे धारियों पर प्रतिबन्ध लगाने हेतु संरक्षित सीमा से 100 मीटर की दूरी तक दिनांक 18 जून 1992 तक या इससे पूर्व में बने हुए भवनों का केवल मरम्मत कार्य केवल सक्षम प्राधिकारी की पूर्वानुमति से किया जा सकता है।

ज्ञापन में बताया गया कि इस क्षेत्र में नए निर्माण कार्यों पर पूर्णतया प्रतिबन्ध है एवं संरक्षित स्मारक से 100 मीटर से बाहर  200 मीटर (विनियमित क्षेत्र) तक सक्षम प्राधिकरी से पूर्वानुमति लेकर ही निर्माण/ मरम्मत कार्य करने की शर्तों पर ही पट्टे जारी कर सकते हैं। ताकि प्रशासन शहरों के संग अभियान की योजना का अवैधानिक उपयोग न हो। आयुक्त नगर निगम भरतपुर को प्रेषित कर आदेशित किया गया कि वे प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत संरक्षित स्मारक से 100 मीटर (प्रतिषिद क्षेत्र) तक के क्षेत्र में पट्टे आवंटित नहीं करें।

संघर्ष समिति ने ज्ञापन में अवगत कराया कि उक्त आदेश अधिनियम 2010 अनुरूप पारित नहीं किया गया जो गैर कानूनी आदेश है। इस अधिनियम में प्रावधान है कि 16 जून 1992 तक या इससे पूर्व में बने हुए भवनों का केवल पुनः नवनिर्माण / मरम्मत कार्य संरक्षित सीमा से 100 मीटर (प्रतिषिद क्षेत्र) की दूरी तक किया जाना है तो सक्षम प्राधिकरी की पूर्व  अनुमति से किया जा सकता है। और इस क्षेत्र में नए निर्माण कार्यों पर पूर्ण प्रतिबन्धित किया गया है। उक्त अधिनियम में 16 जून, 1992 तक या इससे पूर्व निर्मित भवनों के पट्टे नियमन करने पर किसी प्रकार की रोक या प्रतिबंधित करने का किसी भी प्रकार का प्रावधान नहीं है। ज्ञापन में बताया गया कि उक्त आदेश पत्र अधिनियम के विपरीत जाकर जारी किया गया गैर कानूनी आदेश है।

ज्ञापन में बताया गया कि इस पर कानूनी आदेश के कारण केन्द्रीय संरक्षित स्मारक किला भरतपुर एवं चारों ओर स्थित सुजान गंगा नहर से लगती हुई सड़क के बाहरी क्षेत्र में मोरीचार बाग, घोडा घाट, चौबुर्जा, गंगा मन्दिर सड़क, नदिया मोहल्ला, खिरनी घाट, पाईबाग, सहयोग नगर, केतन गेट, गोपाल गढ़, जनाना अस्पताल क्षेत्र तथा रियासतकालीन गांव नोह एवं कच्चे परकोटे में स्थित दिल्ली दरवाजा फतेहबुर्ज क्षेत्र में बने मकानों के पट्टे प्रशासन शहरों के संग अभियान 2021 में आमजन को नहीं दिए  जा रहे हैं। उपरोक्त आबादी रियासत काल से एवं 16 जून 1952 में पूर्व की सघन आबादी के रूप में बसी हुई है। जो सरकारी योजनाओं के तहत अपने भवनों के पट्टे पाने का पूर्ण अधिकार रखते हैं।

ज्ञापन में  कहा गया कि  इस गैर कनूनी आदेश के कारण स्थानीय आमजन पट्टा प्राप्त करने से वंचित हो रहा है। जबकि पट्टा जारी करना किसी भी निर्माण/मरम्मत कार्य की मन्जूरी की श्रेणी में नहीं आता है। संर्घष समिति ने कहा कि  आयुक्त नगर निगम भरतपुर ने एक पत्र दिनांक 17.05.2022 को अधीक्षण पुरातत्वविद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मण्डल जयपुर को भेजकर मार्गदर्शन मांगा था कि प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्विक  स्थल एवं अवशेष अधिनियम 1958 तथा तत्सम्बन्धी नियम 1959 एवं (संशोधित एवं विधिमान्यकरण अधिनियम 2010 के प्रावधानों के अनुसार 16.06.1992 से पूर्ण निर्मित भवनों के जो 100 मीटर की सीमा में आते हैं उनके पट्टे दिए  जा सकते हैं अथवा नहीं स्पष्ट करें।

इस सन्दर्भ में भातीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग जयपुर मण्डल द्वारा किसी भी प्रकार का स्पष्टीकरण, जबाव, मार्गदर्शन आज तक नहीं दिया गया है। संघर्ष समिति ने ज्ञापन में कहा कि कच्चा परकोटा नियमन संघर्ष समिति भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग जयपुर मण्डल को एक ज्ञापन देकर सन्दर्भित पत्र दिनांक 23.12.2021 पर अधिनियम 2010 के विपरीत जारी करने पर आपत्ति  दर्ज करा चुकी है। लेकिन कोई भी कार्यवाही विभाग द्वारा नहीं की जा रही है। वहीं गैर कानूनी आदेश को लेकर नगर निगम भरतपुर पट्टे की पत्रावलियां निरस्त करती जा रही है। जिसको लेकर आमजन में गहरा रोष व्याप्त है।

संघर्ष समितिने मांग की है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग जयपुर मण्डल के द्वारा जो अधिनियम के विरूद्ध पट्टों को रोकने के लिए आदेश निकाला गया है उसकी उच्च स्तरीय जांच कराकर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की जाए। प्रतिनिधि मंडल में पूर्व नेता प्रतिपक्ष इन्द्रजीत भारद्वाज, श्रीराम चन्देला, दीपक सिंह, दीपक शर्मा आदि शामिल थे।

निर्ममता की हद! बुरी तरह पीटा, बाल खींचे, जमीन पर पटका, मन नहीं भरा तो पति ने पत्नी के कंधे पर बैठ जुलूस निकाला | प्रेमी के साथ पकड़ी विवाहिता को खौफनाक सजा का वीडियो वायरल

राजस्थान के दो पर्वतारोहियों ने हिमालय पर 17,163 फीट की ऊंचाई पर किया सूर्य नमस्कार, आजादी के अमृत महोत्सव को किए समर्पित

Road Accident in Dausa: कार-पिकअप में भीषण भिड़ंत, चार दोस्तों की मौत

नूपुर शर्मा की अर्जी पर SC की टिप्पणी से 117 पूर्व जज और नौकरशाह आहत, बोले- सुप्रीम कोर्ट ने लांघी लक्ष्मण रेखा | टिप्पणियां न्यायिक व्यवस्था पर दाग