जयपुर
जयपुर की सांगानेर विधानसभा सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती है; लेकिन इस बार वह अपने इस गढ़ में बुरी तरह फंस गई है। कांग्रेस उम्मीदवार पुष्पेंद्र भारद्वाज को पिछले पांच साल में क्षेत्र में किए अपने काम और सतत सम्पर्क का सहारा है तो भाजपा उम्मीदवार और पार्टी के प्रदेश महामंत्री भजनलाल शर्मा को पार्टी के नाम का सहारा है। वहीं बसपा प्रत्याशी रामलाल द्वारा कांग्रेस उम्मीदवार पुष्पेंद्र भारद्वाज को समर्थन देने से भी भाजपा की मुश्किलें बढ़ गईं हैं।
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आपको बता दें कि 2003 के बाद से ही सांगानेर सीट पर भाजपा का कब्जा है। 2003 से लेकर 2013 तक घनश्याम तिवारी विधायक बने। 2018 में अशोक लोहाटी ने जीत हासिल की थी। 2013 के चुनाव में सबसे ज्यादा 65,350 मतों के अंतर से इस सीट से घनश्याम तिवारी ने जीत हासिल की थी। इस बार भाजपा के गढ़ में कांग्रेस के लिए सेंध लगाना किसी चुनौती से कम नहीं है। वर्ष 2003 से अब तक कांग्रेस को जीत की तलाश है।
कांग्रेस ने लगातार दूसरी बार पुष्पेंद्र भारद्वाज पर दांव लगाया है। लेकिन इस बार क्षेत्र में बाहरी बनाम स्थानीय का मुद्दा जोर पकड़ गया है। पुष्पेंद्र भारद्वाज पिछले चुनाव के बाद से ही क्षेत्र के मतदाताओं से बराबर सम्पर्क में हैं। इसका लाभ भी उनको मिलता दिख रहा है। वहीं बसपा उम्मीदवार द्वारा समर्थन देने से भारद्वाज और मजबूत स्थिति में पहुंच गए हैं। जबकि भाजपा उमीदवार भजन लाल शर्मा को सिर्फ पार्टी के नाम का सहारा है। इसी नाम के सहारे ही उन्हें अपनी नैया पार लगने की उम्मीद है। वरना उनका खुद का बहीखाता तो खाली ही है। जो है वह भी कोई बहुत साफ़ सुथरा नहीं है। भजन लाल शर्मा भरतपुर जिले के रहने वाले हैं और इलाके के लिए नए हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल में ट्रांसफर उद्योग, टोलकर्मियों को धौंस दिखाने जैसे कई किस्से भजनलाल शर्मा का पीछा नहीं छोड़ रहे हैं। विपक्षी उम्मीदवार भी इन आरोपों को हवा भी खूब दे रहे हैं।
नदबई में जमानत हो चुकी है जब्त
भजनलाल शर्मा भरतपुर जिले की नदबई तहसील के अटारी गांव के हैं। वह नदबई विधानसभा सीट से एकबार चुनाव लड़ चुके हैं। लेकिन वह अपने ही घर में महज पांच हजार के करीब मत हासिल कर सके। भाजपा संगठन में हवाई और जुगाड़ी नेता का तमगा भी लगा हुआ है। कार्यकर्त्ता कह रहे हैं कि भजन लाल कभी जमीनी कार्यकर्ता नहीं रहे और ना ही संघर्ष का कोई इतिहास रहा। यदि ऐसा होता तो वह अपने गृह जिले भरतपुर की किसी सीट से चुनाव लड़ सकते थे। लेकिन वहां सबको उनकी असल कहानी पता थी। इसीलिए उन्होंने सांगानेर जैसी सेफ सीट से टिकट हासिल कर ली। इस कारण पार्टी में शर्मा को लेकर नाराजगी बढ़ गई है।
भरतपुर नगर निगम के चुनाव में भी भजन लाल शर्मा की संदिग्ध भूमिका ने भी खूब चर्चा बटोरी हैं। उन पर आरोप है कि निगम चुनाव के दौरान उन्होंने पार्टी के पांच पार्षदों को कांग्रेस के खेमे में भेज दिया। नतीजतन निगम में कांग्रेस ने कब्जा कर लिया। भाजपा संगठन में इसलिए भी नाराजगी है। भजपा के प्रदेश संगठन में भी भजन लाल शर्मा को लेकर नाराजगी भी बढ़ती जा रही है। सूत्रों के अनुसार पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व को भी शर्मा से जुड़े कई मामलों से भीअवगत कराया गया है।
सांगानेर में किस समाज के कितने वोट
सांगानेर विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा 75,000 के करीब ब्राह्मण मतदाता हैं। वैश्य समाज से अशोक लाहोटी वर्तमान विधायक हैं जिनके समाज के 25,000 वोटर्स हैं। माली समाज के 25,000, एससी-एसटी के 22,000, मुस्लिम समाज के 20,000, जाट समाज के 18,000 वोटर्स हैं। इनके अलावा 7,000 यादव, 4,000 गुर्जर और 20,000 अन्य जातियों के वोटर्स हैं।
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