नई दिल्ली | नई हवा ब्यूरो
बैंक कर्मचारियों को दो दिन की स्ट्राइक के बीच बड़ी खबर आ रही है। केंद्र सरकार ने सरकारी बैंकों का निजीकरण करने के लिए दो बैंक को शॉर्टलिस्ट कर लिया है। इनमें से एक सरकारी बैंक को इसी साल बेचने की प्लानिंग है। आपको बता दें कि देशभर के बैंक कर्मचारी इसी निजीकरण के खिलाफ 28 और 29 मार्च को हड़ताल पर जा रहे हैं।
हालांकि हाल ही में लोकसभा में एक सवाल के उत्तर में वित्त राज्य मंत्री भगवत किशनराव कराड ने साफ़ किया कि इस प्रक्रिया में बैंक के कर्मचारियों और शेयर धारकों के इंट्रेस्ट का पूरा-पूरा खयाल रखा जाएगा।
इस बीच सूत्रों ने खबर दी है कि सरकारी बैंकों का प्राइवेटाइजेशन सितंबर तक शुरू हो सकता है। सरकार बैंकिंग विनियमन अधिनियम में संशोधन करके पीएसयू बैंकों (PSB) में विदेशी स्वामित्व पर 20% की सीमा को हटाने की तैयारी कर रही है।
संशोधनों को संसद के इस चालू बजट सत्र में पेश करने के प्रयास चल रहे हैं, लेकिन ये पेश हो ही जाएंगे; इसकी उम्मीद काम लग रही है क्योंकि संशोधनों के लिए अभी कैबिनेट की मंजूरी नहीं मिली है। इसमें देरी लग सकती है। लिहाजा उम्मीद की जा रही है कि संशोधन संसद के मानसून सत्र में हर हाल में पेश किए जाएं। ताकि सितंबर तक कम से कम एक बैंक का निजीकरण सुनिश्चित हो सके।
अगले वित्त वर्ष की शुरुआत में एक बैंक हो जाएगा प्राइवेट
सूत्रों के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्राइवेटाइजेशन (bank privatization 2022) पर तेजी से काम चल रहा है। इसकी रूपरेखा तय करने के लिए इंटर-मंत्रालयी परामर्श अंतिम चरण में है। विधायी प्रक्रिया पूरी होने के बाद, विनिवेश पर मंत्रियों का समूह निजीकरण के लिए बैंकों के नामों को अंतिम रूप देगा। अंतिम प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा ताकि अगले वित्त वर्ष की शुरुआत में कम से कम एक बैंक का निजीकरण पूरा हो सके।
आपको बता दें कि चालू वित्त वर्ष के लिए बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की थी कि वित्त वर्ष 22 में IDBI के साथ दो सरकारी बैंकों का निजीकरण किया जाएगा। प्राइवेटाइजेशन के लिए NITI Aayog ने दो PSU बैंक को शॉर्टलिस्ट भी किया है, हालांकि, उनका नाम नहीं लिया गया है। सीतारमण ने यह भी कहा था कि चालू वित्त वर्ष में एक बीमा कंपनी को बेचा जाएगा। हालांकि, महामारी के कारण इन योजना में देरी हो गई। सरकार दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण में शामिल किसी भी नियामक मुद्दे को दूर करने के लिए आईडीबीआई बैंक पर निवेशकों की प्रतिक्रिया का भी इंतजार कर रही है। नियामक मुद्दों को हल करने के लिए बैंकिंग नियामक के साथ परामर्श जारी है।
सचिवों के पैनल ने इन दो बैंकों को चुना
सूत्र बताते हैं सचिवों के एक पैनल ने निजीकरण के लिए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक को चुना था। विधायी प्रक्रिया पूरी होने के बाद पैनल द्वारा सेलेक्ट नामों को अप्रूवल के लिए मंत्रियों के समूह के समक्ष रखा जाएगा। हालांकि बैंक ऑफ महाराष्ट्र को भी अगले साल या बाद में निजीकरण की सूची में शामिल किया गया बताया।
वहीं लोकसभा में एक सवाल के जवाब में वित्त राज्यमंत्री भगवत किशनराव कराड ने कहा कि आईडीबीआई बैंक के निजीकरण की दिशा में काम तेजी से चल रहा है। इस बैंक के निजीकरण को लेकर सरकार की तरफ से निवेशकों के लिए रोड-शो का आयोजन किया जा रहा है। उसके बाद संभावित खरीदार रुचि पत्र जमा करेंगे।
वित्त राज्यमंत्री ने कहा कि सरकार इसमें रणनीतिक विनिवेश करेगी। बैंक के कर्मचारियों और शेयर धारकों के इंट्रेस्ट का पूरा-पूरा खयाल रखा जाएगा। इस संबंध में विशेष जानकारी शेयर पर्चेज अग्रीमेंट में होगी। गौरतलब है कि आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी ने 5 मई 2021 में आईडीबीआई बैंक के रणनीतिक विनिवेश और मैनेंजमेंट कंट्रोल ट्रांसफर करने की अनुमति दी थी। फिलहाल, जहां आईडीबीआई बैंक में सरकार की 45.48 प्रतिशत हिस्सेदारी है, वहीं एलआईसी के पास 49.24 प्रतिशत ऋणदाता है। सरकार ने 2021 में कहा था कि किस हद तक दो हिस्सेदारी का विनिवेश किया जाएगा, इसका फैसला आरबीआई के परामर्श के बाद किया जाएगा।
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