हिमाचल में कर्मचारियों की धड़कनें तेज; रिटायरमेंट, पेंशन और सर्विस नियमों पर नई सिफारिशों पर सरकार इस दिन कर सकती है बड़ा फैसला

शिमला 

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में लाखों सरकारी कर्मचारियों (Employees) के लिए अगला हफ्ता निर्णायक साबित हो सकता है। राज्य सरकार ने सेवानिवृत्ति आयु, पेंशन व्यवस्था और सेवा नियमों में बदलाव को लेकर तीन अहम सिफारिशें तैयार की हैं, जिन पर 5 मई को होने वाली कैबिनेट बैठक में बड़ा फैसला लिया जा सकता है।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (CM Sukhwinder Singh Sukhu) ने यह बैठक दोपहर 3 बजे बुलाई है, जिसमें उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडलीय उपसमिति की रिपोर्ट पर चर्चा की जाएगी। रिपोर्ट का फोकस राज्य की वित्तीय स्थिति को सुधारने के साथ-साथ पेंशन प्रणाली को अधिक टिकाऊ बनाना है।

ये तीन सिफारिशें जो बन सकती हैं बदलाव की वजह

  • सेवानिवृत्ति आयु (Retirement age) 58 से बढ़ाकर 59 वर्ष करने का प्रस्ताव
    इससे सरकार को एक वर्ष तक पद रिक्त न करने की राहत मिलेगी, जिससे तात्कालिक पेंशन बोझ में कमी आएगी।
  • पेंशन कम्युटेशन (Pension commutation) पर अस्थायी रोक लगाने की सिफारिश
    प्रस्ताव है कि कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय मिलने वाली एकमुश्त राशि (कम्युटेशन) पर रोक लगाई जाए, जिससे सरकार की कैश देनदारियों में तत्काल कमी लाई जा सके।
  • पूरी पेंशन के लिए न्यूनतम सेवा अवधि 20 से बढ़ाकर 25 वर्ष करने का प्रस्ताव। यह प्रणाली पंजाब मॉडल से प्रेरित है और इसे लागू करने पर सरकार की दीर्घकालिक पेंशन देनदारी में कटौती हो सकती है।

बैठक में ये मुद्दे भी होंगे चर्चा में

  • शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर की अध्यक्षता वाली उपसमिति की रिपोर्ट पर करुणामूलक नियुक्तियों (Compassionate appointments) को लेकर संभावित घोषणा।
  • अनुबंध और आउटसोर्सिंग नियुक्तियों की समीक्षा और संभवतः गुजरात मॉडल पर विचार।
  • कर्मचारियों के सामान्य तबादलों पर लगे प्रतिबंध को हटाने पर चर्चा।
  • रिक्त पदों की भर्ती नीति में बदलाव या नए फॉर्मूले पर निर्णय।
  • वर्ष 2025–26 के लिए बजट घोषणाओं को मंजूरी, जिसमें कर्मचारियों को 3% महंगाई भत्ता (DA) और वरिष्ठ पेंशनर्स को बकाया एरियर देने का प्रावधान शामिल।

सरकार का मकसद
राज्य सरकार इन सिफारिशों के ज़रिए एक संतुलन साधना चाहती है — कर्मचारियों को तुरंत झटका न लगे, लेकिन दीर्घकाल में राज्य की आर्थिक सेहत भी सुधरे। हालांकि कर्मचारी संगठनों में इन प्रस्तावों को लेकर चिंता और असमंजस दोनों का माहौल है। अब सबकी निगाहें 5 मई की बैठक पर टिकी हैं — फैसला बड़ा होगा, असर और भी बड़ा।

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