नई दिल्ली | नई हवा ब्यूरो
केंद्रीय विद्यालयों में एडमिशन के लिए अब कोई भी नेताओं की डिजायर नहीं करवा पाएगा। मोदी सरकार ने अब केंद्रीय विद्यालय (KV) में सांसदों और कलक्टरों के कोटे से बच्चों के एडमिशन पर रोक लगा दी है। इस रोक के बाद अब सांसद और कलक्टर अपने कोटे से बच्चों को प्रवेश नहीं दिला सकेंगे। यह नियम अब अगले आदेश तक प्रभावी रहेगा। इस फैसले से सांसदों को बड़ा झटका लगा है।
10 छात्रों के एडमिशन का था अधिकार
अब तक हर सांसद 10 और विद्यालय प्रबंधक समिति (School Management Committee) अध्यक्ष के नाते हर कलेक्टर अपने जिले के प्रत्येक केंद्रीय विद्यालय में न्यूनतम 10 छात्रों का रजिस्ट्रेशन अपने कोटे से करा सकता था। लेकिन अब इस पर रोक लग गई है। MP और कलक्टर का कोटा खत्म कर दिए जाने के बाद आरक्षण और योग्यता के आधार पर रजिस्ट्रेशन के लिए एक झटके में 30 हजार सीटें बढ़ जाएंगी। इसका लाभ एससी, एससी, ओबीसी और EWS वर्ग के बच्चों को मिलेगा। KVS ने 12 अप्रेल को सभी स्कूलों को लिखे एक पत्र में कहा, केवीएस मुख्यालय, नई दिल्ली के निर्देशों के अनुसार आपको सूचित किया जाता है कि अगले आदेश तक विशेष प्रावधानों के तहत कोई प्रवेश नहीं किया जाना जाए। सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए प्रवेश प्रक्रिया वर्तमान में जारी है।
कोटा खत्म होने को लेकर बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री ने एक ट्वीट किया है। इस ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि सांसद कोटे से 7,500 और कलेक्टर कोटे से 22,000 छात्रों के दाखिले होते रहे हैं। ऐसे में रजिस्ट्रेशन में न आरक्षण के नियमों का पालन होता था और न ही योग्यता को आधार बनाया जाता था। आपको बता दें कि पहले, एक सांसद को एक शैक्षणिक वर्ष में दो प्रवेशों की सिफारिश करने की अनुमति थी, जो बाद में 2011 में बढ़कर पांच हो गई। 2012 में यह फिर से बढ़कर छह और 2016 में 10 हो गई।
बीते हफ्ते लोकसभा में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी देश के केंद्रीय विद्यालयों में सांसद कोटा की सीटों को बढ़ाने या इसे खत्म करने की मांग सदन के सामने रखी थी। कई सांसदों ने इस कोटे को भेदभावपूर्ण बताकर खत्म करने की मांग की थी, तो कई इसे खत्म करने के बजाय सीटों की संख्या में बढ़ोतरी की मांग कर रहे थे। इसके बाद इस मामले में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सभी दलों को चर्चा करने का निर्देश दिया था। चर्चा के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि सदन इस पर फैसले करेगा कि कोटे को बढ़ाया जाए या फिर खत्म कर दिया जाए। इसके बाद केंद्र सरकार का यह फैसला आया है।
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