भरतपुर
भरतपुर जिला व्यापार महासंघ ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को व्यापारियों से जुड़ी समस्याओं से अवगत कराते हुए एक ज्ञापन सौंपा है और बताया है कि ऑनलाइन व्यापार होने के कारण छोटे दुकानदारों का कारोबार खत्म होने के कगार पर पहुंच गया है। जल्दी ही इस दिशा में सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया तो छोटे दुकानदारों का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा।
महासंघ के जिला प्रवक्ता विपुल शर्मा ने बताया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से जीएसटी के संबंध में जयपुर में हुई प्रबुद्ध व्यापारियों एवं मंत्रीयों की मीटिंग में भरतपुर जिला व्यापार महासंघ के जिलाध्यक्ष संजीव गुप्ता को भी आमंत्रित किया गया था। इस मौके पर ही यह ज्ञापन केंद्रीय वित्त मंत्री को दिया गया था।
ज्ञापन में बताया गया कि ऑनलाइन व्यापार होने के कारण छोटे दुकानदारों का व्यापार समाप्त होने के कगार पर है। ज्ञापन में इस पर अंकुश लगाने की मांग करते हुए अनुरोध किया गया कि ऑनलाइन व्यापार करने वालों के लिए निर्देश जारी किए जाएं कि वस्तु कि एमआरपी पर जी.एस.टी.सरकार को जमा कराएं; फिर चाहे विक्रयकर्ता कितनी भी कम कीमत में ग्राहक को ऑनलाइन डिलीवरी सेवा प्रस्तुत करे।
ज्ञापन में याद दिलाया गया कि 01 जुलाई, 2017 को जी.एस.टी. लगाते समय व्यापारियों को आश्वासन दिया गया था कि प्रथम वर्ष व द्वितीय वर्ष में अर्थात 2017-18 व 2018-19 में व्यापारियों को सहूलियत प्रदान की जाएगी और कोई परेशानी नहीं आएगी। जबकि इससे उलट जीएसटी पोर्टल 2017-18 व 2018-19 में पूर्णत चला ही नहीं था। स्थिति ये थी कि किसी व्यापारी की रिर्टन भरी गयी व किसी की नहीं भरी गयी व किसी की गलत भरी गयी। अब जीएसटी विभाग से 2017-18 व 2018-19 के सम्बन्ध में नोटिस देकर व्यापारियों को परेशान किया जा रहा है। ज्ञापन में मांग की गई कि वर्ष 2017-18 व 2018-19 में जिन व्यापारियों ने रिर्टन भर दी उसे मंजूर किया जाये।
ज्ञापन में बताया गया कि कोविड पीरियड में व्यापारियों का व्यवसाय बंद हो गए। व्यापारियों का स्टाफ कुछ रहा व कुछ छोड़ गया। इस वजह से उनके रिर्टन नहीं भरने के कारण उनके लाइसेन्स कैंसिल कर दिये गए और दुबारा चालू नहीं किये गए। ज्ञापन में मांग की गई कि ऐसे व्यापारियों के लाइसेन्स दुबारा चालू किये जाएं।
ज्ञापन में किसानों के हित में कृषि संबंधी उनके एग्रीकल्चर एम्प्लीमेंट ट्रैक्टर खरीद पर 12 प्रतिशत जीएसटी, कुछ स्पेयर पार्टस पर 18 प्रतिशत एवं सर्वाधिक बिकी वाले पार्ट पर 25 प्रतिशत जीएसटी के प्रावधान को न्याय संगत नहीं बताते हुए मांग की गई कि 28 प्रतिशत जीएसटी स्लैब को 18 प्रतिशत किया जाना चाहिये।
ज्ञापन में बताया गया कि जी एसटी में रिर्टन भरने पर लेट फीस की पैनल्टी व्यापारियों से जमा करवा ली गई थी। अधिकारियों द्वारा जो नोटिस दिए गए हैं उनपर टैक्स 18 प्रतिशत की ब्याज व 100 प्रतिशत पैनल्टी मांगी जा रही है। इसलिए व्यापारियों के हिट में जी.एस. टी. में (CGST+SGST+IGST) एक एमनेस्टी स्कीम लाकर ब्याज व पैनल्टी पूर्णतः माफ की जाये व कर का 20 प्रतिशत ही जमा कराया जाये व शेष कर माफ कर दिया जाये। अगर किसी व्यापारी ने लेट फीस जमा कर दी है। उसे वापिस कर दिया जाए।
ज्ञापन में वित्त मंत्री को अवगत कराया गया कि जी.एस.टी. कानून लागू करते समय व्यापारियों को आश्वासन दिया गया था कि किसी जी.एस.टी. पंजीकृत व्यापारी ने अगर बिल जारी किया है। पूरे भारत में कहीं का भी हो कर की जमा करने के जिम्मेदारी बिल जारी करने वाले व्यापारी की होगी। लेकिन इस समय स्थति ये है कि बिल प्राप्त करने वाले व्यापारी की जिम्मेदारी डाल दी गई है। मांग की गई कि टैक्स जमा कराने की लाइबिलटी बिल जारी करने वाले व्यापारी पर ही डाली जाए।
ज्ञापन में मांग की गई कि पूरे देश में ‘वन नेशन वन टैक्स’ की परपाटी कायम की जाये जिसमें पूरे देश में सिर्फ एक ही कर लगाया जाये वो चाहे इनकम टैक्स हो व जी.एस.टी. हो इसके अलावा अन्य कोई स्थानीय कर, नगर निगम कर, यूडी कर, या किसी भी राज्य का काई भी स्थानीय कर आरोपित नहीं किया जाये। जी.एस.टी. को भी आयकर की तरह से प्रथक बिन्दु कर दिया जाये। अगले बिक्री के क्रम में कोई कर आरोपित नहीं किये जाये।
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