विद्यार्थी और शिक्षक दोनों ही ज्ञान परायण हों: डा.इंदुमती | ABRSM का बीकानेर में गुरु वंदन कार्यक्रम

बीकानेर 

अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक संघ राजस्थान (उच्च शिक्षा) बीकानेर की ओर से डूंगर महाविद्यालय बीकानेर में शुक्रवार को आयोजित गुरु वंदन कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में पुनरुत्थान विद्यापीठ अहमदाबाद की कुलपति डॉक्टर इंदुमती काटधरे द्वारा शिक्षक और शिक्षार्थी के कर्तव्यों की चर्चा करते हुए कहा कि विद्यार्थी और शिक्षक दोनों एक ही सिक्के के पहलू हैं। बिना शिक्षक के विद्यार्थी और बिना विद्यार्थी के शिक्षक का कोई महत्व नहीं है।

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शिक्षक और विद्यार्थी के कर्तव्यों की चर्चा करते हुए काटधरे ने कहा कि शिक्षार्थी शिक्षक पर पूर्ण विश्वास रखते हुए उनकी भावनाओं को समझें और उनके अनुरूप अपना ज्ञानार्जन करें। शिक्षक का भी यह दायित्व है कि वह भी विद्यार्थियों की भावनाओं के अनुरूप कार्य करते हुए विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा प्रदान कर अपने से भी श्रेष्ठ बनाए। उन्होंने भारतीय परिदृश्य में उपनिषद और अन्यान्य ग्रंथों का उद्धरण देते हुए बताया कि शिक्षा किस प्रकार विद्यार्थी को गुरु से सवाया बना सकती है। उन्होंने कहा कि वास्तविक ज्ञानार्जन गुरु के पास बैठकर ही प्राप्त किया जा सकता है। वर्तमान में जो आभासी परिदृश्य दिखाई दे रहा है वह आभासी ज्ञान ही कराने वाला है। अतः भारतीय परंपरा शिक्षा को प्रारंभ से ही चेतन पदार्थ मानती है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डूंगर महाविद्यालय बीकानेर के प्राचार्य डॉ. इंद्र सिंह ने कहा कि भारतीय सनातन परंपरा ज्ञान विज्ञान की एक समृद्ध परंपरा रही है। प्रत्येक विषय पर गहनता से विचार-विमर्श कर उसे मान्यता प्राप्त हुई है। तदनुरूप वह शास्त्र रूप में परिणत हुई है। उन्होंने कहा कि शास्त्र ही हमारे ज्ञान विज्ञान का केंद्र हैं, अतः प्रत्येक विद्यार्थी को ज्ञान विज्ञान को समझने के लिए भारतीय चिंतन की ओर ध्यान देना आवश्यक है। डॉक्टर इंद्र सिंह ने कहा कि भारतीय विमान शास्त्र, भारतीय दर्शन परंपरा तथा भारतीय आध्यात्मिक परंपरा अपने आप में अनूठी परंपरा है। वह व्यक्ति को जीवन मूल्य का ज्ञान कराने वाली परंपरा है।

इससे पूर्व अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के प्रांतीय संगठन मंत्री डॉ. दिग्विजय सिंह ने संगठन की रीति नीति तथा कार्यक्रम की विषय-वस्तु का प्रतिपादन करते हुए कहा कि गुरु वंदन कार्यक्रम हमारी सनातन परंपरा का एक हिस्सा है। विद्यार्थी और शिक्षक के बीच तादात्म्य स्थापित करवाने का एक माध्यम है। डॉ. सिंह ने अखिल भारतीय राष्ट्रीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के सिद्धांतों के बारे में बताते हुए कहा कि राष्ट्र के हित में शिक्षा, शिक्षा के हित में शिक्षक और शिक्षक के हित में समाज इन तीन सिद्धांतों पर कार्य करने वाला यह संगठन है। डॉ. सिंह ने उपस्थित आगंतुकों से डॉक्टर काटधरे के एक-एक शब्द को हृदयंगम करने का आह्वान किया।

कार्यक्रम का संचालन विभाग सचिव डॉ. उज्जवल गोस्वामी ने किया। कार्यक्रम में डूंगर महाविद्यालय महारानी सुदर्शन महाविद्यालय तथा विभिन्न महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों के शिक्षक तथा समाज के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

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