देशभर के लाखों बीएड डिग्रीधारियों को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने थर्ड ग्रेड टीचर भर्ती लेवल-1 से किया बाहर

नई दिल्ली 

सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से देशभर के लाखों बीएड डिग्रीधारियों को बढ़ा झटका लगा है। सुप्रीम फैसले से अब बीएड डिग्रीधारी थर्ड ग्रेड टीचर भर्ती लेवल-1 से बाहर हो गए हैं। यानी वे थर्ड ग्रेड टीचर भर्ती लेवल-1 की परीक्षा में अब नहीं बैठ पाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में थर्ड ग्रेड टीचर भर्ती के लेवल-1 के लिए केवल बीएसटीसी व इसके समकक्ष डिप्लोमाधारी को ही पात्र माना है।

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आपको बता दें कि बीएड-बीएसटीसी विवाद लंबे समय से चला आ रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले में 12 जनवरी, 2023 को सुनवाई पूरी करके फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज इसका फैसला आ गया। फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि थर्ड ग्रेड टीचर भर्ती के लेवल-1 के लिए केवल बीएसटीसी व इसके समकक्ष डिप्लोमाधारी ही पात्र होंगे। फैसला सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अनिरूद्ध बोस व सुधांशु धूलिया की बैंच ने सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) व केन्द्र सरकार की एसएलपी को खारिज़ करते हुए राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है। वहीं एनसीटीई के नोटिफिकेशन को अवैध करार दिया है।

राजस्थान हाई कोर्ट ने साल 2021 में NCTE की 28 जून 2018 की अधिसूचना को रद्द कर दिया था। जिसे देशभर से लाखों बीएड अभ्यर्थियों के साथ एनसीटीई व केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाओं को खारिज़ करते हुए राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले को सही माना है।

ऐसे शुरू हुआ विवाद
देशभर में थर्ड ग्रेड टीचर भर्ती परीक्षा के लेवल-1 में बीएसटीसी व इसके समकक्ष डिप्लोमा धारियों को ही पात्र माना जाता था। वहीं लेवल-2 के लिए बीएड डिग्रीधारी होना जरूरी था। लेकिन 28 जून, 2018 को एनसीटीई ने एक नोटिफिकेशन निकालकर कहा कि लेवल-1 के लिए बीएड डिग्रीधारी भी पात्र होंगे। वहीं नियुक्ति मिलने के बाद उन्हें 6 माह में एक ब्रिज कोर्स करना पड़ेगा। इसी नोटिफिकेशन से पूरे देश में विवाद शरू हो गया था। इसके चलते बीएसटीसी व बीएड डिग्रीधारी आमने सामने हो गए थे। वहीं देशभर के हाई कोर्ट में नोटिफिकेशन के खिलाफ व पक्ष में याचिकाएं दायर हुई थी।

इस बीच एनसीटीई के नोटिफिकेशन के आधार पर राजस्थान सरकार ने बीएड डिग्रीधारियों को लेवल-1 में बैठने की अनुमित दे दी थी। जिसके आधार पर रीट भर्ती परीक्षा 2020 में करीब 9 लाख अभ्यर्थी लेवल-1 में शामिल हुए थे। इसी दौरान बीएसटीसी अभ्यर्थियों ने सरकार के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दे दी। जिस पर 25 नवम्बर 2021 को फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश अकील कुरेशी की खंडपीठ ने एनसीटीई के नोटिफिकेशन को रद्द करते हुए रीट लेवल-1 में केवल बीएसटीसी डिग्रीधारियों को ही योग्य माना था। हाई कोर्ट ने इस मामले में बीएड डिग्रीधारी कैंडिडेट्स को रीट लेवल वन के लिए अयोग्य ठहराते हुए इनका परीक्षा परिणाम निरस्त करने के भी आदेश दिए थे। इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

फैसले से कई राज्यों में भर्तियां होंगी प्रभावित
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से देशभर में लाखों बीएड अभ्यर्थी प्रभावित होंगे। क्योंकि जिस नोटिफिकेशन को राजस्थान हाई कोर्ट ने गलत बताते हुए रद्द कर दिया था। उसे देश के अन्य राज्यों के हाई कोर्ट ने सही ठहराया था। ऐसे में वहां की सरकारों ने बीएड डिग्रीधारियों को भर्ती परीक्षा में सफल होने पर लेवल-1 में नियुक्तियां दे दी हैं। ऐसे में यहां लाखों बीएड अभ्यर्थी सीधे तौर पर प्रभावित होंगे।

राजस्थान में बीएड डिग्रीधारियों को लेवल-1 में नियुक्ति नहीं मिली हैं। क्योंकि यहां हाई कोर्ट के आदेश के बाद रीट भर्ती परीक्षा-2020 में लेवल-1 में बैठने वाले बीएड अभ्यर्थियों का परिणाम सरकार ने डिलीट कर दिया था। जिससे यहां किसी भी बीएड अभ्यर्थी को नियुक्ति नहीं मिली। वहीं रीट परीक्षा-2022 में हाई कोर्ट के आदेश के चलते सरकार ने किसी भी बीएड अभ्यर्थी को लेवल-1 में शामिल ही नहीं किया। ऐसे में राजस्थान में बीएड अभ्यर्थी प्रभावित नहीं होंगे।

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