कुलदीप जघीना हत्या मामले में 11 पुलिसकर्मी  सस्पेंड | SIT जांच के बाद उठाया कदम

जयपुर 

Gangster Kuldeep Jaghina Murder Case : SIT जांच के बाद भरतपुर के बहुचर्चित गैंगेस्टर कुलदीप जघीना हत्याकांड में राजस्थान पुलिस के 11 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है। जांच के बाद जयपुर मुख्यालय के IG प्रफुल्ल कुमार ने रिपोर्ट तैयार की थी। इसी रिपोर्ट के आधार पर पुलिस महानिदेशक उमेश मिश्रा ने निलंबन के आदेश जारी किए।

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जानकारी के अनुसार बस को एस्कॉर्ट कर रही भरतपुर पुलिस के 4 पुलिसकर्मियों को भी सस्पेंड किए गए है जिनमें 1 एएसआई, 2 कांस्टेबल और 1 चालक को सस्पेंड किया गया है वहीं जयपुर रिजर्व पुलिस लाइन से गए 7 चलानी गार्ड को भी सस्पेंड किया गया है चलानी गार्ड में शामिल 1 हेड कांस्टेबल और 6 कांस्टेबल को सस्पेंड किया गया है

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आपको बता दें कि कुलदीप जघीना की उसकी विरोधी गैंग ने आमोली टोल नाके पर राजस्थान रोडवेज की बस में उस समय तबाड़तोड़ गोलियां बरसा कर हत्या कर दी थी जब उसको पुलिसकर्मी पेशी के लिए भरतपुर ले जा रहे थे। इस दौरान आमोली टोल नाके पर उसके विरोधी गैंग के बदमाशों ने दिनदहाड़े तबाड़तोड़ गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस ने कृपाल सिंह जघीना की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी कुलदीप जघीना सहित अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया था।

पुलिस इस केस में अब तक आधा दर्जन बदमाशों को गिरफ्तार कर चुकी है। एक बदमाश को महिला के वेष में दबोचा गया था।

जांच में मिली ये खामियां 
गैंगेस्टर कुलदीप जघीना हत्याकांड की जांच के लिए गठित SIT की जांच में कई खामियां सामने आई थीं भरतपुर जेल में गैंगवार की आशंका के चलते कुलदीप और उसके साथी को करीब पांच माह पहले जयपुर जेल में शिफ्ट किया गया था। भरतपुर जेल ने इसे हार्डकोर बताया था; इसके बावजूद जयपुर जेलकर्मियों ने रिकार्ड में हार्डकोर शब्द को नजरअंदाज कर सामान्य बंदी की तरह लिया। इसके चलते जयपुर जेल से भरतपुर पेशी पर हर बार सामान्य बंदी के हिसाब से उन्हें भरतपुर ले जाया जा रहा था। जांच में मन गया कि जयपुर जेल ने रिकॉर्ड में हार्डकोर नहीं लिखकर यह बड़ी चूक की।

VC से नहीं कराई पेशी
हार्डकोर अपराधी होने के बाद भी गैंगेस्टर कुलदीप जघीना की पेशी वीडियो कांफ्रेंस (VC) के जरिए नहीं कराइ गई। SIT की जांच रिपोर्ट में इस पर बड़ा सवाल खड़ा किया गया है और  कृपाल सिंह हत्या की जांच कर रहे अनुसंधान अधिकारी की भी चूक बताई है। जांच में कहा गया है कि अनुसंधान अधिकारी को पता था कि आरोपी हार्डकोर है और गैंगवार हो सकती है। ऐसे में अनुसंधान अधिकारी को स्पेशल पीपी से अनुरोध कर आरोपियों की कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंस की व्यवस्था करवानी चाहिए थी जो नहीं की गई।

जांच में  सामने आया है कि राजस्थान रोडवेज बस के भरतपुर सीमा में प्रवेश  के दौरान बस को एस्कॉर्ट कर रहे राजस्थान के पुलिसकर्मियों ने भी लापरवाही बरती। आरोपियों को बस में ले जाने वाले चालानी गार्डों से उनका कोई भी तालमेल नहीं था।

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