PNB ने माना हुआ था एक हजार करोड़ का घोटाला, कोर्ट से मांगी FIR की मंजूरी, CBI भी FIR को राजी, मिलीभगत में बैंक के तत्कालीन चेयरमैन का नाम

जबलपुर 

पंजाब नेशनल बैंक में एक और बड़े घोटाले का मामला सामने आ रहा है। घोटाला करीब एक हजार करोड़ का बताया जा रहा है। घोटाले की शिकायत एक जीएसटी कंसल्टेंट ने की थी। उस शिकायत पर CBI ने भी गौर नहीं किया। मामला कोर्ट में चला गया तो अब PNB ने एक हस्तक्षेप याचिका प्रस्तुत कर यह मान लिया है कि बैंक में घोटाला हुआ है। उसने हाईकोर्ट से कहा है कि बैंक को इस मामले में आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज करने की मंजूरी दी जाए। उधर कोर्ट के सामने मामला जाते ही अब CBI भी FIR दर्ज करने के लिए राजी हो गई है। कोर्ट अब एक सप्ताह बाद मामले की सुनवाई करेगी।

PNB ने हाईकोर्ट में जस्टिस शील नागू व जस्टिस पुरुषेन्द्र कौरव की खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत दस्तावेजों में यह माना है कि सांवरिया ग्रुप और बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से करीब 1000 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ। हस्तक्षेप याचिका  में कहा गया कि कोर्ट निर्देश दे तो वे आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने को तैयार हैं। कोर्ट ने इसे रिकॉर्ड पर लेते हुए मामले की अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद निर्धारित की है।

पूर्व चेयरमैन की मिलीभगत
दरअसल इस मामले को लेकर उप्र के जौनपुर की निवासी व कानपुर में जीएसटी कंसल्टेंट सोनाली वर्मा की ओर से यह याचिका दायर की गई। अधिवक्ता ब्रह्मानन्द पांडे व जेके जायसवाल ने कोर्ट को बताया कि भोपाल निवासी अनिल अग्रवाल, गुलाबचंद अग्रवाल, अशोक अग्रवाल व सतीश अग्रवाल ने सांवरिया ग्रुप्स के नाम से सेल कम्पनी बनाई। पंजाब नेशनल बैंक के तत्कालीन चेयरमैन एसएस मल्लिकार्जुन की मिलीभगत के जरिए 2016-19 के बीच सांवरिया ग्रुप्स की कम्पनियों ने फर्जी तरीके से करीब 1000 रुपए लोन ले लिया। बाद में कम्पनी ने नुकसान दर्शाते हुए लोन के खात्मे के लिए रिपोर्ट पेश की।

याचिका में आरोप लगाया गया कि चेयरमैन मल्लिकार्जुन ने बिना इस बात की जांच किए कि कम्पनी ने कहां निवेश किया और कहां  घाटा लगा, यह रिपोर्ट अंतिम रूप से मंजूर कर ली। अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि इस मामले की शिकायत याचिकाकर्ता ने सीबीआई भोपाल को की, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। उल्टे उक्त कम्पनी के संचालकों ने उस पर हमला भी करवा दिया। कोर्ट से आग्रह किया गया कि मामले की सीबीआई से जांच कराई जाए। साथ ही याचिकाकर्ता पर हमले के लिए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

अब CBI भी FIR को राजी
सुनवाई के दौरान पीएनबी व अनावेदकों अशोक अग्रवाल तथा अन्य की ओर से हस्तक्षेप याचिकाएं  पेश की गईं। कोर्ट ने इन्हें संज्ञान में ले लिया। वहीं सीबीआई भी FIR करने को राजी हो गई है। उसकी ओर से बताया गया कि एफआईआर दर्ज करने की अनुमति मांगी  गई है।

लुक आउट नोटिस जारी करने के मांग
कोर्ट में दाखिल एक आवेदन में आग्रह किया गया है कि इस मामले में चारों आरोपियों के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया जाए। आशंका जताई गई कि ये चारों आरोपी विजय माल्या, मेहुल चौकसी और नीरव मोदी की तरह देश को छोड़कर भाग सकते हैं।

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