नई दिल्ली/ जयपुर
सरकारी बैंकों के निजीकरण के खिलाफ देश के करीब 9 लाख बैंक कर्मचारी गुरुवार 16 दिसम्बर को दो दिन की हड़ताल पर चले गए। इससे बैंकों में चेक क्लीयरेंस, फंड ट्रांसफर आदि के काम ठप हो गए। बैंक कर्मचारी शुक्रवार 17 दिसम्बर को भी हड़ताल पर रहेंगे। 19 दिसंबर को रविवार की छुट्टी के चलते बैंक बंद रहेंगे। इस तरह पूरे देश में इस सप्ताह बैंक तीन दिन बंद रहने वाले हैं।
इस हड़ताल में सार्वजनिक क्षेत्र की 4000 से भी ज्यादा ब्रांच में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं। बैंककर्मियों की हड़ताल के चलते देशभर में आज बैंक शाखाओं के ताले तक नहीं खुले। ऐसे में आम लोगों को बैंकिंग के कामकाज निपटाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। हालांकि भारतीय स्टेट बैंक (SBI) सहित अधिकांश बैंकों ने पहले ही अपने ग्राहकों को चेक क्लीयरेंस और फंड ट्रांसफर जैसे बैंकिंग कार्यों के प्रभावित होने को लेकर आगाह कर दिया था। ऐसा अनुमान है कि इस हड़ताल के चलते रोजाना करीब दस हजार करोड़ का लेनदेन प्रभावित होगा।
जगह-जगह प्रदर्शन, जयपुर में विशाल सभा
सरकारी बैंकों के निजीकरण के खिलाफ देशभर में जगह-जगह बैंककर्मियों ने प्रदर्शन किए और सभाएं आयोजित कीं जिनमें उनकी बड़ी उपस्थिति रही। जयपुर में हड़ताली बैंककर्मियों ने आंबेडकर सर्किल स्थित इलाहबाद बैंक के सामने प्रदर्शन कर विशाल सभा की। प्रदर्शन को UFBU प्रदेश संयोजक महेश मिश्रा, SBIOF राजस्थान के महासचिव विनय भल्ला, AIBOC के प्रदेश अध्यक्ष आनन्द सोनी एवं अन्य UFBU नेताओं ने संबोधित किया और केंद्र सरकार की निजीकरण की नीति की कड़ी आलोचना की। जयपुर में बैंककर्मी शुक्रवार को भी इसी स्थान पर प्रदर्शन और सभा करेंगे।
वार्ता में नहीं बनी बात
अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (AIBOC ) की महासचिव सौम्या दत्ता ने कहा कि बुधवार को अतिरिक्त मुख्य श्रम आयुक्त के समक्ष सुलह बैठक विफल रही, इसलिए बैंक यूनियनें हड़ताल कर रही हैं। इससे पहले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई), इंडियन बैंक, यूको बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब एंड सिंध बैंक और केनरा बैंक जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने अपने कर्मचारियों से दो दिवसीय हड़ताल शुरू करने के निर्णय को वापस लेने की अपील की थी।
आपको बता दें कि यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (UFBU) ने 16 और 17 दिसंबर को दो दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया है। UFBUनौ यूनियनों का एकछत्र निकाय है, जिसमें अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (AIBOC),अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (AIBEA) और राष्ट्रीय बैंक कर्मचारी संगठन (NOBW) शामिल हैं। इस यूनियन के अधीन 9 लाख कर्मचारी हैं।
इसलिए गए हड़ताल पर
केंद्र सरकार संसद के मौजूदा सत्र में बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक लेकर आ रही है जिससे भविष्य में किसी भी सरकारी बैंक को निजी क्षेत्र में देने का रास्ता साफ हो जाएगा। बैंक कर्मचारी व अधिकारी सरकार के इस निर्णय के खिलाफ देशव्यापी हड़ताल कर रहे हैं।
आंदोलनकारी बैंककर्मियों का तर्क है कि यदि बैंकों का निजीकरण हुआ तो इसकी मार बैंक कर्मियों के अलावा इन बैंकों में खाता रखने वाले ग्राहकों पर भी पड़ेगी। सबसे ज्यादा उन खाताधारकों पर इसका असर पड़ेगा जो निम्न वर्ग से आते हैं। ऐसे खाते जो जीरो बैंलेंस अकाउंट होते हैं उन्हें खोलने के लिए सरकारी बैंकों में जिस तरह से सहयोग दिया जाता है वो निजी बैंकों में किसी भी तरह से देखा नहीं जाता है।
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