नई दिल्ली
इस समय लॉ ग्रेजुएट और वकालत के पेशे से जुड़े हुए लोगों के लिए एक बड़ी खबर आ रही है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने तय किया है कि पांच साल से अधिक समय तक वकालत से दूर रहे लॉ ग्रेजुएट या वकील अगर वकालात के पेशे में फिर से लौटना चाहते हैं तो उन्हें अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) पास करनी होगी।
BCI ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में यह जानकारी दी है। BCI ने हलफनामे में कहा है कि उसने तय किया है कि, अगर कोई शख्स ऐसा काम करता है जिसका विधि या न्यायिक मामलों से कोई संबंध नहीं है तो उसे AIBE परीक्षा फिर से देनी होगी और वकालत करने का लाइसेंस हासिल करना होगा।
लंबे वक्त से वकालत के पेशे से दूर रहने वाले वकीलों के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने यह अहम फैसला करते हुए ऐसे वकीलों के लिए यह नया नियम बना दिया है। बार का कहना है कि इस नए नियम को फॉलो करने के बाद ही वकील दोबारा से वकालत कर पाएंगे। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने प्रस्ताव पारित किया कि लॉ ग्रेजुएट को वकील के रूप में अस्थायी नामांकन के साथ अन्य नौकरी की अनुमति दी जा सकती है, अगर वे अंडरटेकिंग दें कि अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) पास करने के 6 माह के भीतर नौकरी छोड़ देंगे।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अप्रेल में कहा था कि अगर कोई शख्स दूसरे पेशे में है तो भी उसे अस्थायी तौर पर बार में पंजीकरण करने की अनुमति दी जा सकती है लेकिन उसे एआईबीई परीक्षा पास करनी होगी और छह महीने में यह फैसला करना होगा कि वह वकालत करना चाहेगा या अन्य काम ही करता रहेगा।
सुप्रीम कोर्ट बीसीआई की अपील पर सुनवाई कर रही थी जिसमें गुजरात उच्च न्यायालय के एक फैसले को चुनौती दी गई थी। गुजरात उच्च न्यायालय ने अन्य काम करने वाले व्यक्तियों को अपनी नौकरी से इस्तीफा दिए बिना अधिवक्ता के रूप में पंजीकरण करने की अनुमति दी थी।
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