नई दिल्ली | नई हवा ब्यूरो
रेलवे में बरसों से टेंडर प्रक्रिया में चला आ रहा बाहुबलियों का बोलबाला सोमवार को ख़त्म हो गया। अब रेलवे ने टेंडर प्रथा को खत्म कर दिया है और आज से ही ऑनलाइन बोली की शुरुआत कर दी है।
पायलट प्रोजेक्ट के तहत रेलवे की यह नई व्यवस्था पहले चरण में लखनऊ, वाराणसी, मुंबई, आसनसोल, दिल्ली, लखनऊ (उत्तर रेलवे), चेन्नई, सिकंदराबाद, चक्रधरपुर, बेंगलूरु और अहमदाबाद सहित 11 मंडलों में लागू होगी। 11 डिवीजन में इसकी सफलता के बाद इसे देश के सभी 68 रेल मंडलों में लागू किया जाएगा।
पार्किंग, पार्सल बोगियों की लीजिंग और पब्लिसिटी के कार्यों के लिए दिए गए स्लॉट पर ऑनलाइन बीडिंग होगी। कार्यों के लिए होनेवाले बीडिंग का स्लॉट का निर्धारण संबंधित मंडल के सीनियर डीसीएम करेंगे। ऑनलाइन बोली बोली में किसी भी जोन या डिविजन के इच्छुक व्यक्ति और फर्म भाग ले सकेंगे। रेलवे की टेंडर प्रक्रिया में अभी तक बाहुबलियों का बोलबाला रहता था, जिसे खत्म करने के लिए यह व्यवस्था शुरू की गई है। उम्मीद की जा रही है कि ऑनलाइन बोली शुरू होने के बाद रेलवे को बड़ी राहत मिलेगी और कमाई में भी इजाफा होगा।
जापान मॉडल के ई-ऑक्शन माड्यूल पर होगी ई-नीलामी
पायलट प्रोजेक्ट के रूप में देश के 11 डिवीजन का चयन किया गया है, जिसके लिए जापान मॉडल के ई-ऑक्शन माड्यूल पर ई-नीलामी की जाएगी और ई-ऑक्शन से आउटसोर्सिंग पर होने वाले कार्यों का आवंटन होगा। ई-नीलामी की प्रक्रिया न्यूनतम 12 दिनों में पूरी की जाएगी और सभी मापदंडों पर खरा उतरने वाले व्यक्ति एजेंसी या फर्म को ऑनलाइन बीडिंग का मौका दिया जाएगा। टेंडर की पेचीदगी से बचने के लिए ई-नीलामी की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। सर्वाधिक बोली लगाने वालों (एच-1) को काम आवंटित किया जाएगा। इससे पादर्शिता और प्रतिस्पर्धा तो बढ़ेगी ही, साथ ही टेंडर के दौरान होने वाले आपसी द्वंद्व काफी हद तक घट जाएंगे। रेलवे के कागजी काम का बोझ घटेगा और रेलवे की आमदनी में भी इजाफा होगा।
इन कार्यों के लिए होगा ई-ऑक्शन
- पार्सल लीज: (ट्रेनों की पार्सल बोगियों का) दो साल
- पार्किंग: (स्टेशन व सर्कुलेटिंग एरिया) तीन साल
- कॉमर्शियल पब्लिसिटी: (स्टेशन व रेल परिसर में होर्डिंग, साइनेज आदि)
- मौसमी कॉन्ट्रेक्ट: (फेस्टिवल स्पेशल ट्रेन या होलीडे स्पेशल ट्रेन)
क्रिस ने बीडिंग के लिए बनाया है सॉफ्टवेयर
ई-ऑक्शन प्लेटफॉर्म पर बीडिंग के लिए रेलवे की एजेंसी क्रिस ने सॉफ्टवेयर विकसित किया है। इंडियन रेलवे ई-प्रोक्योरमेंट सिस्टम (आईआरईपीएस) की साइट पर बीडिंग की लाइन खोली जाएगी। इसमें आधे घंटे का कूलिंग ऑफ टाइम निर्धारित किया गया है।
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