लखनऊ
यूपी चुनाव के मद्देनजर गुरुवार को चाचा शिवपाल से अखिलेश यादव ने करीब डेढ़ घंटे तक बंद कमरे में हुई बातचीत के बाद दोनों पार्टियों ने गठबंधन का ऐलान किया। अब 2022 का विधान सभा चुनाव में अखिलेश की सपा और चाचा शिवपाल प्रसपा साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे।
अखिलेश यादव ने इस गठबंधन की जानकारी फेसबुक और ट्वीटर पर पोस्ट डालकर दी है। अखिलेश यादव ने अपनी पोस्ट में लिखा, प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी से मुलाकात हुई और गठबंधन की बात तय हुई। क्षेत्रीय दलों को साथ लेने की नीति सपा को निरंतर मजबूत कर रही है और सपा और अन्य सहयोगियों को ऐतिहासिक जीत की ओर ले जा रही है।
अखिलेश आज दोपहर बाद लखनऊ स्थित शिवपाल के आवास पर मिलने पहुंचे। दोनों के बीच बंद कमरे में मुलाकात हुई। दोनों के बीच करीब डेढ़ घंटे तक बातचीत हुई। प्रसपा के एक नेता ने बताया कि अखिलेश के साथ सपा का कोई नेता साथ नहीं था। समझा जाता है कि अखिलेश और शिवपाल ने अर्से बाद हुई इस मुलाकात में एक दूसरे के प्रति गिले शिकवे दूर करने अलावा आगामी चुनाव में सीटों के बंटवारे पर भी विचार विमर्श किया।
पिछले चुनाव में शिवपाल अखिलेश के बीच आ गई थी तल्खी
यूपी विधानसभा के पिछले चुनाव के समय से ही अखिलेश और शिवपाल के रिश्तों में तल्खी आ गई थी। गाठ चुनाव में बुरी हार के बाद शिवपाल ने आगामी विधानसभा चुनाव की सरगर्मी तेज होने पर पांच साल पुरानी तल्खी को दूर करते हुए अखिलेश से गठबंधन कर चुनाव लड़ने की पेशकश की थी।
उन्होंने सपा में प्रसपा के विलय का विकल्प भी खुला रखते कहा था कि अखिलेश को ही आगे की रणनीति के लिए कोई पहल करनी होगी। पिछले कुछ समय से अखिलेश भी शिवपाल की पहल पर सकारात्मक टिप्पणी करते हुए समय आने पर उनसे बात करने की बात कह रहे थे। 2017 में विधानसभा से पहले अखिलेश ने चाचा शिवपाल को सपा से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। तब शिवपाल ने प्रसपा का गठन कर चुनाव लड़ा था।
60 से 70 सीटों पर शिवपाल का असर
शिवपाल यादव का पश्चिम, अवध और बुंदेलखंड के करीब 10 जिलों की 60 से 70 सीटों पर असर है। इसके पीछे वजह ये है कि उनका अभी भी सहकारी समितियों पर कब्जा है। साथ ही वह अपने कोर वोट बैंक यादव को भी सहेज कर चल रहे हैं। उनकी पकड़ यूपी के 9% यादव वोट बैंक पर है।
2019 में शिवपाल को मिले सिर्फ 0.3% वोट सपा से अलग होकर 2019 में लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के चुनाव चिह्न पर उतरे शिवपाल यादव ने यूपी की 47 लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। खुद फिरोजाबाद से चुनाव लड़े। इस लड़ाई में रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव हार गए और भाजपा के कैंडिडेट जीत गए। लोकसभा चुनाव में शिवपाल यादव की पार्टी को सिर्फ 0.3% वोट मिले। ज्यादातर जगहों पर शिवपाल ने सपा को नुकसान पहुंचाया। 2017 में जसवंतनगर विधानसभा सीट से जीते शिवपाल यादव को 63% से ज्यादा वोट मिले थे। सपा 2017 में 311 सीट पर चुनाव लड़ी थी। तब उसे 22% वोट मिले थे।
क्या आपने ये खबरें भी पढ़ीं?
- भजनलाल सरकार का एक्शन; ERCP योजना की जमीनों की नीलामी निरस्त | किरोड़ी लाल मीणा ने की थी शिकायत
- हरित बृज सोसायटी ने शुरू किया परिंडे लगाने का महा अभियान
- वैर में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय का नया भवन तैयार, 4 मई को होगा लोकार्पण
- व्यापार महासंघ ने राजनैतिक दलों द्वारा व्यापारियों की उपेक्षा पर जताई चिंता | लगाया आरोप- किसी भी पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में व्यापारियों का नहीं रखा ध्यान
- यूजीसी ने करियर एडवांसमेंट योजना में रेगुलेशन 2010 के विकल्प को 31 दिसंबर तक बढ़ाया
- अखिल भारतीय न्यायिक अधिकारी एसोसिएशन का गठन, जानें कौन क्या बना
- सलमान खान के घर फायरिंग करने वालों को हथियार सप्लाई करने वाले ने पुलिस कस्टडी में किया सुसाइड
- आर्य समाज का चार दिवसीय वेद प्रवचन, सत्संग एवं संगीतमय भजन कार्यक्रम का कलश यात्रा के साथ शुभारंभ
- जयपुर में अधिवक्ता रेवन्यू न्यायिक कार्य का करेंगे बहिष्कार | राजस्व अपील प्राधिकारी का पद भरने की कर रहे हैं मांग
- सेवा भारती सूरतगढ़ के वार्षिकोत्सव में बच्चों ने दी भव्य प्रस्तुति