नई दिल्ली
याद करें उस दिन को जब राहुल गांधी ने साल 2013 के सितंबर महीने में अपनी ही यूपीए सरकार द्वारा लाए गए उस अध्यादेश को प्रेस कांफ्रेंस के दौरान यह कहते हुए फाड़ दिया कि बकवास है यह बिल और इसे फाड़कर फेंक दिया जाना चाहिए । यदि वह अध्यादेश जारी हो जाता तो आज राहुल गांधी की सांसदी पर कोई तलवार नहीं लटकती। आपको बता दें कि राहुल गांधी को मानहानि से जुड़े एक केस में आज ही सूरत कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई है, हालांकि इसमें उनको हाथों-हाथ जमानत भी मिल गई है; लेकिन अभी भी उनकी संसद की सदस्यता पर तलवार लटकी हुई है।
दरअसल दस साल पहले लाया गया यह वही अध्यादेश था जिससे एक सांसद की सदस्यता जाने का बचाव हो रहा था। वर्तमान जनप्रतिनिधि कानून के मुताबिक, अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में 2 साल से ज्यादा की सजा हुई है तो उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा) रद्द हो जाएगी। इतना ही नहीं सजा की अवधि पूरी करने के बाद छह साल तक चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे।
UPA सरकार ये लेकर आई थी अध्यादेश
UPA सरकार ने साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित एक आदेश को निष्क्रिय करने के लिए एक अध्यादेश लेकर आई थी जिसमें सुप्रीम अदालत ने कहा था कि दोषी पाए जाने पर सांसदों और विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी जाएगी। UPA सरकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित इस आदेश को निष्क्रिय करने के लिए अध्यादेश लेकर आई थी। इस उस समय बड़ा बावेला मचा था। बीजेपी, लेफ्ट समेत कई विपक्षी पार्टियों ने कांग्रेस पर यह आरोप लगाते हुए हमला करना शुरू कर दिया कि कांग्रेस भ्रष्टाचारियों को बढ़ावा देना चाह रही है। इसी समय आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव पर भी चारा घोटाले को लेकर अयोग्यता की तलवार लटक रही थी।
इसी हंगामे के बीच कांग्रेस ने जनता को अध्यादेश की अच्छाइयां बताने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। लेकिन तब सभी यह देखकर हक्के-बक्के रह गए कि जब राहुल गांधी कॉन्फ्रेंस में पहुंचे और उन्होंने अपनी ही सरकार पर सवाल उठाते हुए अध्यादेश पूरी तरह बकवास बता दिया और कहा कि इसे फाड़कर फेंक दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने अध्यादेश की कॉपी को फाड़ दिया था।
यह कहा राहुल ने
प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने कहा था, ‘हमें राजनीतिक कारणों की वजह से इसे (अध्यादेश) लाने की जरूरत है। हर कोई यही करता है। कांग्रेस, बीजेपी, जनता दल सभी यही करते हैं, लेकिन ये सब अब बंद होना चाहिए। अगर हम इस देश में भ्रष्टाचार से लड़ना चाहते हैं, तो हम सभी को ऐसे छोटे समझौते बंद करने पड़ेंगे। कांग्रेस पार्टी जो कर रही है उसमें मेरी दिलचस्पी है, हमारी सरकार जो कर रही है, उसमें मेरी दिलचस्पी है और मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि इस अध्यादेश के संबंध में हमारी सरकार ने जो किया है वो गलत है।‘
राहुल की नाराजगी के बाद वापस ले लिया अध्यादेश
कांग्रेस की ओर से जब ये प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई थी, उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अमेरिका के दौरे पर थे। इस घटना के बाद राहुल गांधी ने मनमोहन सिंह को चिट्ठी लिखकर अपना पक्ष रखा था। बाद में अक्टूबर महीने में तत्कालीन यूपीए सरकार ने इस अध्यादेश को वापस ले लिया था।
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