भारतीय नेवी का ऑपरेशन ट्राइडेंट व ऑपरेशन पायथन जिसकी वजह से सात दिनों तक जलता रहा पाकिस्तान का कराची नेवल पोर्ट

4 दिसम्बर,भारतीय नौसेना दिवस पर विशेष 

आज भारतीय नौसेना दिवस है। आज हम बता रहे हैं भारतीय नौ सेना की उस भूमिका की जिसने 1971 के युद्ध में अहम भूमिका अदा की थी। यानी 4 दिसंबर का वह दिन जब भारतीय नौसेना ने वर्ष 1971 में पाकिस्तान एयरफोर्स द्वारा की गई भारतीय हवाई पट्टियों  पर बमबारी का प्रतिशोध लेने हेतु पाकिस्तान पर आक्रमण किया था। आक्रमण भी ऐसा जिससे पाकिस्तानी सेना दहल उठी थी।

नौसेना ने देश के दुश्मनों को बता दिया था कि हमारी तरफ आंख उठाकर भी न देखे। 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध (Indo-Pakistani War) के दौरान भारतीय नौसेना ने 4 दिसंबर को ऑपरेशन ट्राइडेंट (Operation Trident 1971) को अंजाम दिया। ये भारत के लिए एक ऐतिहासिक जीत थी। 7 दिनों तक जलता रहा कराची पोर्ट (Karachi port)।

यूं तो 1971 के युद्ध में भारतीय थलसेना की भूमिका अहम रही है, किंतु कम ही लोग जानते हैं कि भारतीय नौसेना के बिना 1971 की विजय संभव नहीं हो सकती थी, क्योंकि भारतीय नौसेना ने बांग्लादेश यानी कि तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान तथा पश्चमी पाकिस्तान की सफल नेवल ब्लोकेड कर पूरे पाकिस्तान की सप्लाई लाइन काट दी थी जिसके कारण ना तो कोई जहाज तेल, हथियारों, असलह, गोला बारुद की सप्लाई लेकर आ सकता था, ना ही पाकिस्तान का कोई जहाज बाहर जा सकता था।

इसके अतिरिक्त भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के कराची बंदरगाह पर इतना भीषण आक्रमण किया था कि वह 7 दिनों तक लगातार जलता रहा था, पाकिस्तान का 3 बिलियन डॉलर का ऑयल रिजर्व फूंक दिया था और पाकिस्तानी वायुसेना व नेवी 1-1 लीटर तेल के लिए मोहताज हो गई थी। पूरा कराची पोर्ट तहस-नहस कर दिया गया था, इस भारतीय नेवी के इस आक्रमण  के बाद पाकिस्तानी नेवी एक तिहाई ही रह गई थी।

यह सब शुरू हुआ था 3 नवम्बर, 1971 से, जब पाकिस्तान ने भारतीय वायुसेना की एयरस्ट्रिप पर हवाई हमला किया था, तब उस समय भारतीय नौसेना प्रमुख एस एम नंदा ने पाकिस्तान को उत्तर देने हेतु पाकिस्तानी नेवी के हेडक्वार्टर कराची को निशाना बनाने का निर्णय लिया। तब पाकिस्तान नेवी की लगभग पूरी फ्लीट कराची बंदरगाह पर ही बेस्ड थी। कराची बंदरगाह से ही पाकिस्तान का सारा समुद्री व्यापार भी संचालित होता था औऱ तब पाकिस्तान का सबसे बड़ा तेल भंडार भी कराची बंदरगाह पर ही स्थित था। इसीलिए कराची बंदरगाह पर पाकिस्तान ने बहुत ही कड़ी सुरक्षा डिप्लॉय कर रखी थी। पाकिस्तान एयरफोर्स की 2 एयर फील्ड पर खड़े लड़ाकू विमान सिर्फ कराची बंदरगाह की सुरक्षा के लिए ही समर्पित थे और पाकिस्तानी वायुसेना के सर्वश्रेष्ठ स्ट्राइक प्लेन्स कराची बन्दरगाह की सुरक्षा हेतु तैनात थे, जो किसी भी समुद्री या हवाई हमले का उत्तर देने में सक्षम थे।

उस समय भारतीय नौसेना ने अपने हाथ में  उपलब्ध सीमित संसाधनों का प्रयोग करते हुए पाकिस्तान पर ऑपरेशन ट्राइडेंट और ऑपरेशन पाइथन के रूप में  2 आक्रमण किए थे जो कि अपने आप में अनूठे और निराले थे और उससे पूर्व नेवल वॉरफेयर के इतिहास में विश्व ने कभी इस प्रकार के नेवल ऑपरेशन देखे भी नहीं थे। पाकिस्तान का कराची बंदरगाह भारी सुरक्षा से लैस था। इसीलिए किसी भी बड़े डिस्ट्रॉयर जहाज से कराची पोर्ट पर जाकर हमला करना और फिर सुरक्षित लौटना कठिन था। इसलिए इस कार्य हेतु छोटी ओसा विद्युत्  क्लास की मिसाइल बोट्स को चुना गया। यह छोटी मिसाइल बोट्स तटीय सुरक्षा के लिए बनी थीं और यह तीव्र गति से चलती थीं।

ये विद्युत मिसाइल बोट्स 4 घातक सरफेस टू सरफेस मार करने वाली स्टाइक्स मिसाइल (रेंज 74किमी) से लैस थी। किंतु इन मिसाइल बोट्स की ऑपरेशनल रेंज बहुत कम थी और मुंबई नेवल पोर्ट से कराची तक इनका पहुंचना असंभव था। इनके MR 331 रेंजआउट राडार अधिक शक्तिशाली नहीं थे तथा इन मिसाइल बोट्स के पास अपनी डिफेंस प्रणाली के नाम पर कोई व्यवस्था नहीं थी। केवल इन मिसाइल बोट्स की गति ही इनकी रक्षा का इनके पास एकमात्र साधन था।

4 दिसंबर को लांच किए गए ऑपरेशन ट्राइडेंट में कराची पर आक्रमण हेतु तीन विद्युत क्लास की मिसाइल बोट का चयन हुआ जिसमें आईएनएस निपट (k86), आईएनएस निर्घट (k89) और आईएनएस वीर (k82) सम्मिलित थी। निर्णय हुआ कि इन बोट्स को शक्तिशाली राडार, एंटी सबमरीन और एंटी एयरक्राफ़्ट रक्षा प्रणाली से युक्त कोरवेट आईएनएस किल्टन (P79) और आईएसएस कच्छल (P81) द्वारा इन मिसाइल बोट्स को पाकिस्तानी राडार से बचाते हुए बांधकर कराची बंदरगाह के समीप ले जाया जाएगा और रात को अंधेरे में इन्हीं के द्वारा कराची पर हमला किया जाएगा। इनके साथ इन्हें रिफ्यूल करने हेतु एक फ़लीट टैंकर आईएनएस पोषक को भी साथ में भेजा गया। अब क्योंकि यह मिसाइल बोट्स आकार में बहुत छोटी थी इसीलिए राडार अथवा सोनार पर इनका दिखना कठिन था। घातक 74 किमी रेंज की स्टाइक्स मिसाइल से लैस ये बोट्स भीषण विध्वंस करने में सक्षम थी। क्योंकि यह तेज गति से चलती थी। इसीलिए आक्रमण कर लौटते समय इनका पीछा करना शत्रु के लिए अत्यंत कठिन था।

पाक को चकमा देने के लिए ऐसे किया कम्युनिकेशन
ऑपरेशन का दायित्व ओखा स्थित इन विद्युत क्लास की मिसाइल बोट्स की किलर स्क्वाड्रन को सौंप दिया गया जिसके कमांडिंग ऑफिसर थे बबरूभान यादव और वह स्वयं मिसाइल बोट आईएनएस निपट पर सवार थे। यह टास्क फोर्स आपस में सारा कम्युनिकेशन रूसी भाषा में कर रहे थे जिससे पाकिस्तानी अगर उस कन्वर्सेशन को सुन भी ले तो यह समझे कि कोई सोवियत फ़लीट का इंटरसेप्शन है।

दिन में यात्रा करते हुए यह टास्क फोर्स कराची से 460 किलोमीटर दूर पहुंचकर रात होने की प्रतीक्षा करने लगी। अंधेरा होते ही दोनों कोरवेट और फ़लीट टैंकर को पीछे छोड़कर ये तीनों  मिसाइल बोट्स पाकिस्तानी रिकोनीसेन्स (खोजी) हवाई जहाजों और सरफेस पेट्रोल वेसल से बचते हुए कराची बंदरगाह की तरफ बढ़ी और प्रतीक्षा करने लगी। पहली बार दक्षिण एशिया में एंटी शिप मिसाइल का इस्तेमाल होने वाला था। रात के 10:30 बजे तक यह मिसाइल बोट्स कराची से 130 किलोमीटर दूर दक्षिण में पहुंच चुकी थी। रात को 10:43 पर आईएनएस निपट के राडार पर एक बड़ा टारगेट दिखा। यह पाकिस्तानी नौसेना का डिस्ट्रॉयर पीएनएस खैबर था जो गश्त पर निकला हुआ था। इसके बाद इन मिसाइल बोट को अपने राडार पर दो और बड़े टारगेट दिखे जिसमें एक था पाकिस्तानी नौसेना का जहाज पीएनएस शाहजहां और दूसरा था 1 मर्चेंट जहाज वीनस चैलेंजर जो पाकिस्तान सेना के लिए असलाह हथियार और गोला बारूद लेकर आ रहा था।

आईएनएस निर्घट ने तेजी से उत्तरपश्चिम की तरफ आगे बढ़कर पाकिस्तानी नेवी के डिस्ट्रॉयर पीएनएस खैबर पर अपनी एक मिसाइल दाग दी। खैबर के कमांडिंग अधिकारियों को यह समझ ही नहीं आया कि उनपर किसने हमला किया है। उन्हें लगा कि यह किसी भारतीय लड़ाकू विमान द्वारा किया गया हमला है और उन्होंने अपनी एंटी एयरक्राफ्ट गन से स्टाईक्स मिसाइल पर गोलियां चलाने का प्रयास किया। किंतु वह प्रयास बेकार गया और मिसाइल ने पीएनइस खैबर को अपना निशाना बना लिया। मिसाइल के आघात से जहाज के ब्वॉयलर रूम में धमाका हुआ और वह डूबने लगा।

पीएनएस खैबर के क्रू को अभी तक समझ में नहीं आया था कि उनपर हमला किसने किया है। हड़बड़ी में उन्होंने गलत संदेश, गलत कॉर्डिनेट्स के साथ अपने हेडक्वार्टर को भेज दिया जिसमें उन्होंने कहा कि हम पर किसी हवाई जहाज ने हमला कर दिया। हड़बड़ी में जो कोऑर्डिनेट दिए वह भी गलत थे। किंतु पीएनएस खैबर अभी तक पूरी तरह से डूबा नहीं था। इसीलिए  आईएएनस निर्घट ने अपनी दूसरी मिसाइल भी पाकिस्तानी जहाज खैबर पर फायर कर दी। इस बार भी पाकिस्तानियों ने मिसाइल से बचने हेतु एन्टी एयरक्राफ़्ट गन से गोलियां  दागीं, किंतु इस बार मिसाइल का आघात होते ही खैबर के दूसरे ब्वॉयलर रूम में धमाका हुआ और जहाज पूरी तरह से डूब गया और 222 पाकिस्तानी नौसैनिक मारे गए।

इसके बाद रात के 11:00 बजे आईएएनस निपट ने उत्तर-पूर्व की तरफ बढ़ते हुए दो टारगेट को निशाने पर लिया और एक मिसाइल अमरीका की साइगॉन फोर्सेस से हथियार और गोला बारूद लेकर आ रहे मर्चेंट जहाज वीनस चैलेंजर पर फायर की और तुरंत ही अपनी दूसरी मिसाइल विनस चैलेंजर के साथ आ रहे पाकिस्तानी नेवी के डिस्ट्रॉयर जहाज पीएनएस शाहजहां पर फायर कर दी। विनस चैलेंजर जहाज पर लदे बारूद ने तुरंत ही आग पकड़ ली और भीषण धमाके के साथ जहाज तुरंत ही डूब गया जबकि पीएनएस शाहजहां पूरी तरह से बर्बाद हो गया।

रात 11:20 पर आईएनएस वीर ने पाकिस्तानी नेवी के माईनस्वीपर जहाज पीएनएस मुहाफिज पर एक मिसाइल दागी जिससे कि जहाज दो टुकड़ों में टूट गया और अपने हेडक्वार्टर को कोई संदेश भेजे बिना ही डूब गया जिसके डूबने का पता पाकिस्तानी नेवी को बाद में चला।

किंतु अभी तक इस विध्वंस से भारतीय मिसाइल बोट्स की टास्क फोर्स का मन नहीं भरा था और सरप्राइज़ एलिमेंट की समाप्ति और अपनी उपस्थिति उजागर होने के बाद भी अब उन्होंने अपनी आंखें पाकिस्तान के तेल भंडार पर गड़ा लीं थी। इसके बाद मिसाइल बोट्स किलर स्कवाड्रन के कमांडर आईएनएस निपट में सवार बबरूभान अपनी मिसाइल बोट से दक्षिण की ओर आगे बढ़े और कराची बंदरगाह से 26 किलोमीटर दूर पहुंचकर पाकिस्तान के तेल भंडार की तरफ मिसाइल दाग दी। पाकिस्तान के कराची बन्दरगाह स्थित तेल भंडार में आग लग गई  और 7 दिनों तक कराची बन्दरगाह धूं-धूं कर जलता रहा था।

ऐसा नहीं  है कि पाकिस्तानी वायुसेना अस्तित्व में नहीं थी। इस हमले की जानकारी मिलते ही पाकिस्तानी नेवी के हेडक्वार्टर ने मसरूर एयरफोर्स बेस को संदेश भेजा। किंतु वहां से कोई उत्तर नहीं मिला क्योंकि उस समय भारतीय वायुसेना ने योजनाबद्ध रूप से पाकिस्तानी वायुसेना के मसरूर एयरफोर्स बेस को अपने निशाने पर ले रखा था, जो कि भारतीय नेवी के आक्रमण के साथ पूरे समन्वय और तालमेल के साथ किया गया आक्रमण था। इसीलिए भारतीय नेवी से निपटने पाकिस्तानी वायुसेना उस समय नही पहुंच सकी।

इसके बाद एक कोडेड संदेश मुंबई भेजा गया और भारतीय नेवी का हेडक्वार्टर हर्ष और उल्लास से भर गया, भारतीय नेवी ने इतना साहसिक, इतना जटिल और कितना दुष्कर ऑपरेशन योजनाबद्ध रूप से सफलतापूर्वक जो अंजाम दिया था।

पाकिस्तान नेवी ने ऑपरेशन ट्राइडेंट का बदला लेने हेतु भारत के निकटतम नेवल बेस ओखा पर आक्रमण किया था, किंतु भारतीय नेवी को उस आक्रमण का पहले से अंदेशा था। इसलिए भारतीय नेवी ने अपने सभी महत्वपूर्ण एसेट्स पहले ही वहां से हटा लिए थे और पाकिस्तानी नेवी केवल उस बेस के फ़लीट रिफ्यूलिंग टैंक पर ही गोला दागकर वापस चली गई। किंतु इसके बाद अपनी पिछली सफलता से उत्साहित भारतीय नेवी ने 8 दिसंबर को पाकिस्तान के कराची बन्दरगाह पर दूसरा ऑपरेशन भी लांच कर दिया जिसका नाम था ऑपरेशन पाइथन, इस बार भारती नेवी ने एक छोटा स्ट्राइक ग्रुप बनाया जिसमें एक और मिसाइल बोट आईएनएस विनाश चुनी गई जो चार एंटी शिप स्टाईक्स मिसाइल से लैस थी और साथ मे दो मल्टीपर्पस फ्रिगेट्स, आईएनएस तलवार और आईएनएस त्रिशूल सम्मिलित थे।

यह टास्कफोर्स कराची की ओर बढ़ चली थी। मार्ग में इस टास्क फोर्स को एक पाकिस्तानी पेट्रोलिंग जहाज दिखा था जिसे भारतीय टास्क फोर्स ने आक्रमण कर वहीं  डुबो दिया और इस बार भी भारतीय नेवी ने वही प्रकिया अपनायी जो पिछले ऑपरेशन ट्राइडेंट के समय अपनायी थी और कराची से कुछ दूर रुककर सूर्यास्त की प्रतीक्षा की तथा अंधेरा होते ही मिसाइल बोट आईएनएस विनाश कराची पोर्ट की ओर बढ़ चली।  रात 11:00 बजे रडार पर टास्क फोर्स को 22 किमी दूर पाकिस्तानी जहाजों का एक समूह दिखा और बिना समय गंवाए आईएनएस विनाश ने लक्ष्य साध कर अपनी चारों स्टाईक्स मिसाइलें दाग दीं, जिसमें  से पहली केमरी ऑयल फार्म स्थित फ्यूल टैंक्स में लगी जिससे भीषण धमाका हुआ और पाकिस्तानी की बची खुची ऑयल रिज़र्व भी अग्नि को समर्पित हो गई।

अगली मिसाइल पनामा के एक फ्यूल टैंकर एस एस गल्फ स्टार को लगी और वो उसी क्षण धमाके के संग डूब गया। तीसरी मिसाइल पाकिस्तानी नेवी के फ़लीट टैंकर पीएनएस ढक्का को लगी और चौथी मिसाइल ब्रिटिश मर्चेंट जहाज एसएस हरमट्टन को लगी। पाकिस्तानी फ़लीट टैंकर ध्वस्त हो गया तथा ब्रिटिश जहाज हरमट्टन डूब गया। अपनी चारों मिसाइल इस्तेमाल करने के बाद आईएनएस विनाश वापस मुड़कर अपनी टास्क फोर्स संग निकटम भारतीय बेस की ओर सकुशल बढ़ चली थी।

इन दोनों ऑपरेशन की सफलता का अनुमान इसी से लगा लीजिए कि दोनों ही ऑपरेशंस में भारतीय नेवी ने बिना एक भी नौसैनिक या एसेट को गवाएं पाकिस्तानी के पूरे कराची पोर्ट को ध्वस्त किया व उसके कई महत्वपूर्ण जहाज भी डुबो दिए थे। उस समय पाकिस्तानी डिफेंस फोर्सेज़ भारतीय नेवी से इस कदर खौफ खाए हुए थे कि भारतीय नेवी के आक्रमण के बाद उन्होंने बिना पहचान किए  एक अपने ही एक फ्रिगेट पीएनएस ज़ुल्फ़िकार को भारतीय नेवी की मिसाइल बोट समझकर उड़ा डाला था।

इन दोनों ऑपरेशन के बाद विश्व के समक्ष हास्य का पात्र बन जाने के बाद पाकिस्तानी नेवी ने भारतीय नेवी के सबसे बड़े एसेट और सबसे बड़े जहाज एयरक्राफ़्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत को निशाना बनाने हेतु अपने सबसे सशक्त नेवल एसेट पनडुब्बी पीएनएस गाज़ी को डिप्लॉय किया। किन्तु भारतीय नेवी को इसकी जानकारी लग गई और विक्रांत की सुरक्षा को सर्वोपरि रखते हुए उसे अंडमान रवाना कर एक पुराने जहाज आईएनएस राजपूत को विक्रांत के स्थान पर खड़ा किया गया, जिसका शिकार करने आई पाकिस्तानी पनडुब्बी गाज़ी आईएनएस राजपूत के जाल में फंस गई और आईएनएस राजपूत द्वारा छोड़े गए डेप्थ चार्जेस का शिकार होकर वहीं डूब गई।

कुल मिलाकर इस नेवल वार में 1900 पाकिस्तानी नौसैनिक मारे गए थे। 1413 बन्दी बनाए  गए थे। पाकिस्तान के 2 डिस्टरॉयर, 1 माईनस्वीपर, 1 पनडुब्बी, 3 पेट्रोल वेसल, 7 गनबोट उड़ा दिए गए थे। कराची मुख्य पोर्ट की फैसिलिटीज ध्वस्त कर दी गईं थी फ्यूल टैंक्स और ऑयल रिजर्व जला दिए गए थे।

यह पहली बार था जब दक्षिण एशिया इस स्तर के आक्रामक, साहसिक व् उत्कृष्ट योजनाबद्ध नेवल आक्रमण का साक्षी बना। भारतीय नेवी के ऑपरेशन पाइथन और ट्राइडेंट नेवल वारफेयर के इतिहास में अबतक एग्जीक्यूट किए  गए सफलतम नेवल ऑपरेशन्स के रूप में दर्ज हो गए और संपूर्ण विश्व को मुखर सन्देश गया कि दक्षिण एशिया व  इंडियन ओशन में आधिपत्य केवल एक नेवी का है जिसका आदर्श वाक्य है “शं नो वरुणः”

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