यूजीसी ने शिक्षकों की भर्ती में किया बड़ा बदलाव, प्राचार्य पद की समय सीमा तय | डिटेल में जानें भर्ती प्रक्रिया में और क्या बदला

नई दिल्ली 

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने शिक्षकों की भर्ती और पदोन्नति के नियमों को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत अधिक लचीला और समावेशी बना दिया है। यूजीसी ने इन बदलावों को लेकर एक मसौदा जारी किया है, जो छह महीने के भीतर सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में लागू होगा। इनमें विश्वविद्यालय, डीम्ड विश्वविद्यालय, स्वायत्त कॉलेज और कॉलेज भी होंगे।

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शिक्षकों की भर्ती में आए यह अहम बदलाव

  1. पीएचडी और नेट के आधार पर ही पात्रता
    अब शिक्षकों की नियुक्ति के लिए उम्मीदवार केवल पीएचडी या नेट में रखे गए विषयों के आधार पर पात्र होंगे। ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन का विषय अब बाध्यता नहीं होगी। अभी तक विश्वविद्यालयों (Universities) और कॉलेजों (Colleges) में शिक्षकों की भर्ती के लिए जो न्यूनतम पात्रता थी, उनमें ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन व पीएचडी या फिर नेट की पढ़ाई एक ही विषय में होनी जरूरी होती थी। 
  2. शैक्षणिक योग्यता के साथ अनुभव और स्किल को प्राथमिकता
    नए नियमों के तहत शिक्षकों की पदोन्नति और नियुक्ति में उनके अनुभव, स्किल और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियों को विशेष महत्व दिया जाएगा।
  3. विशेष क्षेत्रों के लिए विशेष प्रक्रिया
    योग, संगीत, परफॉर्मिंग आर्ट्स, मूर्तिकला, नाटक, शारीरिक शिक्षा और खेल जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखने वाले उम्मीदवारों के लिए अलग भर्ती प्रक्रिया बनाई जाएगी।
  4. प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के तहत उद्योग विशेषज्ञों की भर्ती
    उद्योग और अपने क्षेत्रों में अनुभव रखने वाले विशेषज्ञों को प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के तहत नियुक्त किया जाएगा। हालांकि, ऐसे पद शिक्षकों के कुल स्वीकृत पदों का केवल 10% तक ही सीमित रहेंगे।

प्राचार्य पद की समय सीमा
कॉलेजों में प्राचार्य अब अधिकतम पांच साल के लिए दो कार्यकाल तक ही पद पर रह सकेंगे। इसके बाद उन्हें प्रोफेसर के पद पर प्रोन्नत किया जाएगा।

भर्ती प्रक्रिया में और क्या बदला?

  • 2009 से पहले पीएचडी धारकों को छूट:
    11 जुलाई 2009 से पहले पीएचडी पूरी कर चुके उम्मीदवारों के लिए नेट की पात्रता अनिवार्यता खत्म कर दी गई है।
  • असिस्टेंट प्रोफेसर से एसोसिएट प्रोफेसर तक पदोन्नति:
    इस पदोन्नति के लिए पीएचडी अनिवार्य होगा।
  • भारतीय भाषाओं को प्राथमिकता:
    यदि किसी स्तर पर भारतीय भाषाओं का समावेश किया गया है, तो उन्हें भर्ती प्रक्रिया में प्राथमिकता दी जाएगी।

शिक्षा और उद्योग के बीच की दूरी कम होगी:
नए नियमों का उद्देश्य शिक्षकों की योग्यता को कौशल और अनुभव से जोड़कर शिक्षा और उद्योग के बीच की खाई को पाटना है।

यूजीसी अध्यक्ष का वक्तव्य
यूजीसी अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार ने कहा, “यह पहल शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप लाने का प्रयास है। इसका उद्देश्य शिक्षा में कौशल, अनुभव और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियों को महत्व देकर इसे और प्रासंगिक बनाना है।”

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