बनते बिगड़ते समीकरणों के बीच जानिए दौसा जिले की विधानसभा सीटों का क्या है मिजाज

दौसा 

 नवल जोशी  


विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही दौसा जिले में राजनीतिक समीकरण बनते-बिगड़ते रहे और  अधिकांश सीटों पर कांग्रेस के कब्जे की उम्मीद लगाई जा रही थी लेकिन जैसे-जैसे मतदान का समय नजदीक आया वैसे-वैसे जिले की सीटों पर तस्वीर उलटती नजर आ रही है कड़े संघर्ष के बीच अब  जिले में अधिकांश सीटों पर भाजपा की मजबूत दावेदारी दिखने लगी है। और इन सबके पीछे वर्तमान विधायक और मंत्रियों के व्यवहार एवं उनकी कार्य प्रणाली को प्रमुख वजह बताई जा रही है।

मुश्किल में फंसी ममता भूपेश
विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही सिकराय विधानसभा क्षेत्र को जिले में कांग्रेस की पहली सीट के रूप में देखा जा रहा था। इसी के चलते कांग्रेस द्वारा ममता भूपेश का टिकट पहले ही सूची में फाइनल कर दिया गया था लेकिन अब समीकरण बिल्कुल विपरीत नजर आ रहे हैं। आज सिकराय सीट पर भाजपा की दावेदारी मजबूत दिख रही है और भाजपा उम्मीदवार विक्रम बंशीवाल की बढ़त नजर आ रही है। इसका सबसे बड़ा कारण वर्तमान विधायक एवं राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री रही ममता भूपेश के लोगों के प्रति रहे व्यवहार एवं उन पर कई तरह के आरोप एवं गुर्जर समाज के नेता सचिन पायलट का साथ नहीं देना है। पहले के चुनावों में गुर्जर और मीना समाज द्वारा ममता भूपेश के समर्थन में जमकर मतदान किया था जिसके चलते ममता भूपेश की जीत हुई थी।लेकिन आज सिकराय की परिस्थिति बिलकुल विपरीत है। आज अधिकांश गुर्जर समाज और मीना समाज ममता भूपेश के बिलकुल विरोध में खड़ा है। वहीं  एससी वोटों में बंटवारा होता नजर आ रहा है जिसके चलते कांग्रेस चुनाव आते-आते कमजोर से नजर आ रही है।

महवा में ओमप्रकाश हुडला की भी राह नहीं आसान
महवा सीट की बात करें तो वहां पर भी कांग्रेस के प्रत्याशी ओमप्रकाश हुडला को इस बार लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा है। इसका सबसे बड़ा कारण उनके पांच वर्ष के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के आरोप भी जम कर लगे हैं। सरकारी कर्मचारियों में भी विरोध है। उनका सबसे बड़ा वोट बैंक जनरल हुआ करता था जिसमें अबकी बार रामनिवास गोयल ने निर्दलीय ताल ठोक कर सेंधमारी कर ली। हुडला के लिए यह सीट निकालना अब इतना आसान नहीं है। महवा में कांग्रेस से ओमप्रकाश हुडला और निर्दलीय के रूप में रामनिवास गोयल के मैदान में होने के कारण भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र मीना की राह आसान हो गई है हालांकि इस सीट पर भाजपा की जीत हासिल करने के लिए भाजपा और डा किरोड़ीलाल मीना को काफी प्रयास के साथ साथ कई तरह के जोड़ तोड़ कर रहे हैं।

बांदीकुई से मिल सकते हैं चौंकाने वाले नतीजे
बांदीकुई में इस बार भाजपा ने अपना उम्मीदवार भागचंद टाकडा को बनाया है। कांग्रेस ने वर्तमान विधायक पर ही दाव खेला है।लेकिन इस बार बांदीकुई क्षेत्र से भाजपा का पलड़ा भारी नजर आ रहा है।  इसका सबसे बड़ा कारण भागचंद टाकड़ा के प्रति लोगों की सहानुभूति और बांदीकुई विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक सैनी समाज के मतदाता होना और बसपा से गुर्जर समाज के एक और प्रत्याशी का खड़ा होना है। वर्तमान विधायक  की  कार्य प्रणाली से भी लोग असन्तुष्ट हैं। यही वे वजह हैं जो इस बार दूसरे नतीजों की तरफ इशारा कर रही हैं।

दौसा में कड़ी संघर्ष में फंसे मुरारी मीना
दौसा विधानसभा सीट से भी कॉंग्रेस को कोई बहुत अच्छी स्थिति में नहीं कहा जा सकता है। क्योंकि  इस बार दौसा से एसटी समाज से एक और मजबूत प्रत्याशी का मैदान में आ जाने से इस समाज के वोट बंट रहे हैं  जो वर्तमान विधायक और कॉंग्रेस प्रत्याशी मुरारीलाल मीणा के लिए ज्यादा मुफीद नहीं है।  वहीं भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे शंकरलाल शर्मा को जनरल मतदाता का समर्थन मिलने की उम्मीद है।

लालसोट: परसादी लाल मीना भी हैं मुश्किल में 
लालसोट विधान सभा सीट पर दोनों ही प्रमुख दलों  ने पुराने चेहरों पर ही दाव खेला है लेकिन इस बार कांग्रेस प्रत्याशी और वर्तमान विधायक कैबिनेट मंत्री परसादीलाल मीना की राह आसान नहीं नजर आ रही है जिसका सबसे बड़ा कारण मंत्री पद पर रहने के दौरान उनका और उनके बेटे का व्यवहार बताया जा रहा। वहीं भाजपा उम्मीदवार रामविलास मीना के पिछले चुनाव में हुई हार के कारण लोगों की उनके प्रति सहानुभूति को बताया जा रहा है। इसका उनको लाभ मिल सकता है।

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