नई दिल्ली
मोदी सरनेम से जुड़े मानहानि केस में राहुल गांधी को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली। सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले पर ही रोक लगा दी, जिसकी वजह से उनकी सांसदी छिन गई थी। इस मानहानि केस में राहुल को निचली अदालतों ने 2 साल की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने दोषसिद्धी तक उनकी सजा पर रोक लगा दी और कहा, ‘जब तक राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई पूरी नहीं होती, तब तक दोषसिद्धि पर रोक रहेगी।’ यानी अगले साल राहुल चुनाव लड़ सकते हैं, बशर्ते सुप्रीम कोर्ट का आखिरी फैसला उनके खिलाफ ना हो।
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को अधिकतम सजा सुनाए जाने पर भी सवाल उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इतनी ज्यादा सजा देने का कोई ठोस आधार नहीं बताया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अधिकतम सजा देने की क्या जरुरत थी? अगर एक साल 11 महीने की सजा दी जाती तो उनकी सदस्यता नहीं जाती। अधिकतम सजा से एक संसदीय क्षेत्र और वहां के लोग प्रभावित हुए हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने उनके खिलाफ आए फैसले पर रोक लगा दी। इस रोक के साथ ही राहुल गांधी के 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ने का रास्ता साफ़ हो गया है; यदि सुनवाई पूरी होने पर सुप्रीम कोर्ट भी उन्हें दोषी घोषित नहीं करता। सुनवाई की नई तारीख अभी नहीं बताई गई है।
नसीहत भी दी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बात में कोई शक नहीं कि भाषण में जो भी कहा गया, वह अच्छा नहीं था। नेताओं को जनता के बीच बोलते वक्त सावधानी बरतनी चाहिए। यह राहुल गांधी का कर्तव्य बनता है कि इसका ध्यान रखें।
सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला राहुल गांधी, कांग्रेस पार्टी और विपक्षी गठबंधन के लिए भी कई मायनों में अहम है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के साथ ही राहुल गांधी के लिए संसद के दरवाजे कानूनन खुल गए हैं। वकीलों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ ही राहुल की अयोग्यता समाप्त हो गई है और लोकसभा सचिवालय से सदस्यता बहाली का आदेश जारी होना औपचारिकता मात्र है। राहुल को संसद की सदस्यता के अयोग्य करार दिए जाने के बाद अगर वायनाड सीट पर उपचुनाव हो गए होते तब उनकी सदस्यता बहाल नहीं हो पाती। वायनाड में अभी तक उपचुनाव नहीं हुए हैं।
लक्षद्वीप के सांसद की सदस्यता भी हुई थी बहाल
लक्षद्वीप के एनसीपी सासंद मोहम्मद फैज़ल को जनवरी में अयोग्य घोषित किया गया था लेकिन उनकी सदस्यता मार्च में तब बहाल की गई जब वे सुप्रीम कोर्ट गए। चुनाव आयोग ने वहां उपचुनाव भी घोषित कर दिया था जो बाद में रद्द किया गया। वायनाड के लिए चुनाव आयोग ने उपचुनाव घोषित नहीं किया है।
यह था मामला
राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोलार में 13 अप्रैल 2019 को चुनावी रैली में कहा था, ”नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?’ राहुल के इस बयान को लेकर बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ धारा 499, 500 के तहत आपराधिक मानहानि का केस दर्ज कराया था। अपनी शिकायत में बीजेपी विधायक ने आरोप लगाया था कि राहुल ने 2019 में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पूरे मोदी समुदाय को कथित रूप से यह कहकर बदनाम किया कि सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?
भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी के द्वारा दर्ज कराए गए केस पर फैसला करते हुए सूरत की सेशन कोर्ट ने 23 मार्च को राहुल गांधी को आपराधिक मानहानि के मामले में दोषी करार दिया था। इसके साथ ही उन्हें दो साल की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद राहुल ने गुजरात HC में याचिका लगाकर निचली अदालत के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी। लेकिन हाईकोर्ट ने सेशन कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। जिसके बाद कांग्रेस नेता ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया जहां उन्हें आज अंतरिम राहत मिल गई।
‘नई हवा’ की खबरें नियमित और अपने मोबाइल पर डायरेक्ट प्राप्त करने के लिए व्हाट्सएप नंबर 9460426838 सेव करें और ‘Hi’ और अपना नाम, स्टेट और सिटी लिखकर मैसेज करें
फिर दहला राजस्थान: गैंगरेप के बाद किशोरी को कोयले की धधकती भट्टी में जलाकर मार डाला
केंद्रीय कर्मचारियों का DA फाइनल, अब इतना मिलेगा | AICPI के ताजा आंकड़े आए सामने
टैक्स डिडक्शन क्लेम के लिए की ये गलती तो आ जाएगा नोटिस, ऐसे नजर रख रहा है Income Tax विभाग