बैंक निजीकरण के लिए नया प्रस्ताव ला सकती है सरकार

नई दिल्ली 

बैंक कर्मचारियों की हड़ताल के बाद अब जानकारी आ रही है कि केंद्र सरकार बैंक निजीकरण को लेकर नया प्रस्ताव ला सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार केंद्र सरकार ऐसे बदलावों पर विचार कर रही है जिससे सरकारी बैंकों में हिस्सेदारी को कम करना आसान हो जाए। अर्थव्यवस्था में क्रेडिट फ्लो को बनाए रखने की योजना का यह एक महत्वपूर्ण कदम बताया जा रहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एक अधिकारी का यह कहना है यदि प्रस्ताव पास हो जाता है तो सरकार सार्वजानिक क्षेत्र की बैंको में धीरे-धीरे अपनी हिस्सेदारी को 51% से 26% तक कर सकेगी, साथ ही सरकार मैनेजमेंट की प्रमुख नियुक्तियों पर अपनी पकड़ बनाए रखेगी।

सरल बनाए जा सकते हैं नियम
प्रस्ताव के मुताबिक कुछ चिन्हित लेंडर्स के निजीकरण के लिए नियमों को आसान बनाया जा सकता है और कुछ में विदेशी निवेशकों को बड़ी हिस्सेदारी खरीदने की अनुमति दी जा जा सकती है। प्रस्तावित संशोधनों के साथ सरकार, सार्वजानिक क्षेत्र के बैंकों की सरकारी पूंजी पर निर्भरता को कम करना चाहती है, साथ ही योजना है की उनकी अर्ध-संप्रभु स्थिति को भी बरक़रार रखा जाए जो जमाकर्ताओं के पक्ष में रहती है।

हालांकि  अभी यह प्रस्ताव शुरुआती दौर में ही बताया गया  है और भविष्य में इसमें बदलाव संभव है। संसद के समक्ष रखे जाने से पहले प्रस्तावों को कैबिनेट की मंजूरी चाहिए होगी। हालाँकि यह कदम 1969 में तत्कालीन सरकार द्वारा लागू की गई कुछ नीतियों को कमजोर जरूर करेंगे।

एयर इंडिया का सफल निजीकरण
केंद्र सरकार ने हाल ही में एयर इंडिया का सफलतापूर्वक निजीकरण किया है और एलआईसी को लिस्ट करने की ओर बढ़ रहे हैं। इस IPO की तुलना सऊदी अरामको आईपीओ के साथ की जा रही है। सरकार यह उम्मीद कर रही है कि हाल ही में बने बैड बैंक द्वारा उधारदाताओं की बुक से खराब एसेट खरीद लेने के बाद, सरकारी बैंकों के लिए निवेशकों का आकर्षण बढ़ेगा। सेक्टर में बैड-लोन का अनुपात मार्च 2022 तक बढ़कर 9.8% होने का अनुमान है, एक साल पहले यह 7.48% था।

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