OMG! रहस्यमयी तरीके से बढ़ रही दिन की लंबाई, पैदा हो सकती है भयावह स्थिति, वैज्ञानिक वजह खोजने में जुटे

होबार्ट (ऑस्ट्रेलिया)

क्या आपको पता है हमारी धरती पर दिन का समय रहस्यमयी तरीके से लम्बा हो रहा है? जी हां; ये सही है और इससे वैज्ञानिक हैरान और परेशान हैं और वह इसकी वजह अभी तक नहीं खोज पाए हैं। चिंता उनको इस बात की है कि यदि धरती पर दिन का समय इसी तरह लम्बा होता रहा तो बेहद भयावह स्थिति पैदा हो जाएगी। क्योंकि इसका हमारे समय की हर कैलकुलेशन पर असर पड़ेगा। इसके साथ ही कई और भी तकनीकी दिक्कतें सामने आएंगी।

दुनिया भर के एटॉमिक क्लॉक्स और सटीक खगोलीय माप ने गणना करके यह यह खुलासा किया है कि पृथ्वी के दिन का समय रहस्यमयी तरीके से बढ़ रहा है।  धरती के दिन की गणना उसकी धुरी पर लगने वाले चक्कर से होती आई है। वैज्ञानिकों के अनुसार पिछले कुछ दशकों से हमारे दिन की लंबाई छोटी हो रही थी। जून 2022 में सबसे छोटे दिन का रिकॉर्ड भी दर्ज किया गया।  यानी पिछली आधी सदी में यह सबसे छोटा दिन था।  लेकिन साल 2020 के बाद और इस रिकॉर्ड के बाद अब धरती की गति धीमी हो रही है और दिन लंबे हो रहे हैं।

ऐसी स्थित बनी रहती है तो इससे न सिर्फ हमारे समय की कैलकुलेशन पर असर पड़ेगा।  बल्कि जीपीएस, नेविगेशन और संचार संबंधी कई अन्य तकनीकों में भी दिक्कत आएंगी। इसकी वजह वैज्ञानिकों को पता नहीं है।

भूकंप और तूफान हो सकते हैं वजह
दिन की लम्बाई क्यों बढ़ रही है, इसके कारणों को वैज्ञानिक अभी नहीं खोज पाए हैं। लेकिन इसका वे एक मोटा-मोटा अनुमान जरूर लगा रहे हैं। उनका मानना है कि हो सकता है इसके पीछे की वजह धरती पर आने वाले भूकंप (Earthquake) और तूफान (Storm) भी हों।  वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारी फोन या घड़ियों में तो यही 24 घंटे का सटीक समय दिखा रहा है।  लेकिन पृथ्वी के 24 घंटे में लगने वाला चक्कर अब कुछ समय ज्यादा ले रहा है।  आमतौर पर यह बदलाव करोड़ों सालों में होता है।  इतनी जल्दी-जल्दी नहीं।

‘द कन्वरसेशन’ में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, तस्मानिया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक मैट किंग और क्रिस्टोफर वाटसन ने कहा, हमारे मोबाइल फोन की क्लॉक बताती है कि 1 दिन में 24 घंटे होते हैं, लेकिन धरती को अपनी धुरी पर 1 चक्कर पूरा करने में लगने वाला समय कभी-कभी इससे थोड़ा अलग होता है।  ये बदलाव लाखों सालों की अवधि में लगभग तुरंत होते हैं।  इसमें भूकंप और तूफान की घटनाएं भी भूमिका निभा सकती हैं।

करोड़ों साल पहले धरती के दिन का समय होता था सिर्फ 19 घंटे का
वैज्ञानिकों के अनुसार पिछले कई करोड़ वर्षों से धरती के घूमने की गति धीमी हो रही है।  इसके पीछे चंद्रमा से निकलने वाले टाइड्स का घर्षण है।  हर सदी में 2। 3 मिलिसेकेंड धरती के दिन के समय में जुड़ रहा है।  कुछ करोड़ साल पहले धरती का दिन सिर्फ 19 घंटे का होता था।  लेकिन पिछले 20 हजार सालों से दूसरी प्रक्रिया शुरू हो गई।  वह भी विपरीत दिशा में।  धरती की गति बढ़ने लगी।  ये बात है आखिरी हिमयुग (Ice Age) की, जब ध्रुवीय बर्फ के पिघलने से सरफेस प्रेशर कम हो रहा था।  धरती का मैंटल धीरे-धीरे ध्रुवों की तरफ खिसक रहा था।

ये ठीक उसी तरह की गतिविधि है जैसे कोई बैले डांसर अपने घूमने की गति बढ़ाने के लिए अपने हाथों को अपने शरीर के करीब रख लेती है।  ताकि वह अपनी धुरी यानी पैर पर तेजी से गोल घूम सके।  हमारी धरती के घूमने की गति तब बढ़ जाती है, जब उसका मैटल धुरी के नजदीक पहुंचता है।  इसकी वजह से धरती का हर दिन 0। 6 मिलिसेकेंड्स कम हो जाता है।  धरती के एक दिन में 86,400 सेकेंड्स होते हैं। एक दिन में 86,400 सेकेंड का जादुई आंकड़ा मिलना बहुत ही दुर्लभ होता है।

पिछले कई दशकों से धरती की आंतरिक संरचना और सतह के बीच एक संबंध बना हुआ है।  अगर बड़े भूकंप आते हैं तो ये धरती के दिन की लंबाई को बदल देते हैं।  भले ही अंतर कम समय का हो।  जैसे साल 2011 में जापान में आए 8। 9 तीव्रता के भूकंप ने धरती की घूमने की गति को 1। 8 मिलिसेकेंड बढ़ा दिया था।  ये तो बड़ी घटना हो गई।  इसके अलावा कई ऐसी छोटी घटनाएं होती रहती हैं, जो धरती के दिन के समय को बदलते हैं।  जैसे- जलवायु परिवर्तन, मौसमों में बदलाव आदि।  ये धरती के घूमने की गति को हर दिशा से प्रभावित करती हैं।

हर 15 दिन पर या महीने में टाइडल साइकिल यानी लहरों की गति भारी मात्रा में ग्रह के चारों तरफ मूवमेंट करती हैं। इनकी वजह से भी पृथ्वी के दिन का समय कम या ज्यादा होता है।  समुद्र की लहरों की वजह से होने वाला बदलाव आमतौर पर 18। 6 वर्षों में एक बार होता है।  आज के समय में सबसे ज्यादा असर पड़ता है वायुमंडल के मूवमेंट का सबसे ज्यादा असर धरती की गति पर पड़ता है।  इसके अलावा बर्फबारी, बारिश, जमीन से पानी निकालना ये चीजें भी धरती की गति पर असर डालती हैं।

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