जयपुर
प्रदेश में प्रस्तावित तीन निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना को लेकर राजभवन और सरकार के बीच टकराव की स्थितियां पैदा हो गई हैं। राज्यपाल कलराज मिश्र ने यह कहते हुए इन निजी विश्वविद्यालयों के विधेयकों को सरकार को लौटा दिया है कि ये भूमि, भवनों के निर्धारित नियमों की बगैर पालना ही स्थापित किए जा रहे थे।
आपको बता दें कि पन्द्रहवीं विधानसभा के सातवें सत्र में तीन निजी विश्वविद्यालयों—ड्यून्स विश्वविद्यालय,जोधपुर, व्यास विद्या पीठ विश्वविद्यालय, जोधपुर तथा सौरभ विश्वविद्यालय, हिन्डौन सिटी के अलग—अलग विधेयकों को पारित किया गया था। इसके बाद सरकार ने मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा। लेकिन राज्यपाल ने इन तीनों विधेयकों को पुनर्विचार के लिए सरकार को लौटा दिया है। मिश्र ने संविधान के अनुच्छेद 200 और उसके परन्तुक के अनुसरण में प्रस्तावित निजी विश्वविद्यालयों के इन विधेयकों को निर्धारित नियमों के अंतर्गत प्रक्रिया पूर्ण नहीं किए जाने के कारण लौटाया है।
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राज्यपाल ने कहा है कि इनकी पत्रावली देखने से स्पष्ट प्रतीत हो रहा है कि प्रस्तावित निजी विश्वविद्यालय भूमि, भवनों के निर्धारित नियमों की बगैर पालना ही स्थापित किए जा रहे हैं। इनसे राज्य के राजस्व का भी सीधे तौर पर नुकसान होता प्रतीत हो रहा है। उन्होंने भू रूपांतरण के बिना और बिना भवन के संचालित पाठ्यक्रमों पर भी आपत्ति जताई है।
कमेटी गठित कर विस्तृत जांच कराने के निर्देश
राज्यपाल मिश्र ने इस संबंध में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अलग से पत्र लिखकर प्रस्तावित निजी विश्वविद्यालयों द्वारा निर्धारित नियमों के अंतर्गत भवन एवं भूमि तथा पाठ्यक्रमों के संचालन की प्रक्रिया पूर्ण नहीं किए जाने का उल्लेख किया है। और कहा है कि विधेयकों के संबंध में पत्रावलियों के अवलोकन से पता चलता है कि राज्य में यह जो निजी विश्वविद्यालय स्थापित हो रहे हैं, वे नियमों और समय- समय पर जारी दिशा निर्देशों के अनुरूप नहीं हैं। उन्होंने निजी विश्वविद्यालयों की कमियों को सम्भागीय, राजस्व अधिकारियों की उच्च स्तर पर कमेटी गठित कर विस्तृत जांच कराने के भी निर्देश दिए हैं।
राज्यपाल ने कहा है कि निजी विश्वविद्यालय की स्थापना के संबंध में व्यापक विचार विमर्श कर राज्य सरकार एक समग्र नीति निर्माण कर कार्रवाई करें। उन्होंने राज्य हित में प्रस्तावित विश्वविद्यालयों की स्थापना की उच्च स्तर के राजस्व अधिकारियों और न्यायिक जांच करवाने के बाद ही स्थापित करने की कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
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