जयपुर
देश के कम से कम 350 जिलों में कानूनी सहायता रक्षा परामर्श प्रणाली (Legal aid defense counsel system) लागू की जाएगी। इनमें 112 ऐसे जिलों को शामिल किया गया है जहां बुनियादी ढांचा उच्च स्तर का नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जज और नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस यूयू ललित (Justice UU Lalit) ने जयपुर में अखिल भारतीय कानूनी सेवा प्राधिकरण के कार्यक्रम में यह जानकारी दी। जस्टिस यूयू ललित ने कहा कि एक जिले में पब्लिक प्रॉसिक्यूटर के ऑफिस के तर्ज पर कानूनी सहायता रक्षा परामर्श प्रणाली का एक ऑफिस होगा जो जिले में आपराधिक पक्ष पर सभी कानूनी सहायता कार्यों को देखेगा।
जस्टिस ललित ने कहा कि देश में 13 स्थानों पर एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया था।एक या दो अपवादों को छोड़कर देखा गया कि हम सही रास्ते पर हैं।हमारी बैठकें हुईं। अब हम इसे स्वीकार करने और देश के कम से कम 350 जिलों में इसे लागू करने के लिए तैयार हैं।
जस्टिस ललित ने कहा कि उन जिलों की संक्षिप्त सूची और भविष्य में वास्तव में क्या कदम उठाए जाएंगे, इसकी भी रूपरेखा तैयार कर ली गई है। उन्होंने कहा कि उन 350 जिलों में से 112 जिलों को शामिल करने का ध्यान रखा गया है जिन्हें अकांक्षी जिलों की सूची में शामिल किया गया है। ये ऐसे जिले हैं जहां शायद बुनियादी ढांचा, अवसर और जुड़ाव उच्चतम स्तर का नहीं है। इसलिए, इन जिलों में यह सुविधा प्रदान की जाएगी, ताकि यह जांचा जा सके कि वहां निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है या नहीं।
जस्टिस यूयू ललित ने कहा कि पिछले 25 सालों में राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (National Legal Services Authority) ने ‘विश्वास सबके लिए, न्याय सबके लिए’ की दिशा में अच्छी प्रगति की है, जो इसका थीम सॉन्ग भी है। उन्होंने जस्टिस भगवती और जस्टिस वीआर कृष्णा अय्यर को देश में कानूनी सहायता का जनक बताया।
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