सौ करोड़ की दवा की अवैध बिक्री का मामला: राजस्थान के दवा विक्रेता के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट, जानिए क्या है पूरा मामला

शिमला 

राजस्थान के एक दवा विक्रेता के खिलाफ सौ करोड़ से अधिक की  दवा की अवैध बिक्री के मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। फिलहाल दवा विक्रेता फरार है। यह गिरफ्तारी वारंट हिमाचल प्रदेश की CID टीम ने हासिल किया है। दवा की अवैध बिक्री के इस मामले के तार राजस्थान के इस दवा विक्रेता से जुड़ रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राजस्थान में जिस दवा विक्रेता के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है उसका नाम विकास मीणा है और वह सीकर में  मैसर्स  डब्ल्यूबी मेडिकोज का मालिक है। जानकारी  के अनुसार दवा की अवैध बिक्री के मामले में विकास मीना हिमाचल प्रदेश की CID का जांच में सहयोग नहीं कर रहा है। इसलिए उसे आरोपित भी बनाया गया है। अब उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट हासिल करने के बाद आरोपित के संदिग्ध ठिकानों पर नए सिरे से दबिश दी जाएगी।

CID पहले भी दे चुकी है दबिश
सूत्रों ने बताया कि हिमाचल प्रदेश की स्टेट नारकोटिक्स क्राइम कंट्रोल यूनिट शिमला की टीम डीएसपी दिनेश शर्मा की अगुवाई में कुछ माह पूर्व सीकर गई थी, लेकिन दवा विक्रेता को इसकी भनक लग गई थी। वह फरार हो गया था। इसके बाद उसे जांच में शामिल होने के लिए शिमला बुलाया गया। यहां भी जांच में शामिल नहीं हुआ। दो बार नोटिस जारी किए गए।

अब दवा विक्रेता काफी समय से फरार चल रहा है। उसने अपना मोबाइल फोन घर में बंद रखा था। स्वजन को उसके बारे में कोई सूचना नहीं है। लोकेशन के बारे में भी पता नहीं लग पा रहा है।

यह है मामला
हिमाचल की स्टेट सीआइडी ने दवाओं की गैर कानूनी बिक्री को लेकर सोलन के बद्दी स्थित फार्मास्यूटिकल कंपनी मैसर्स जैनेट फार्मास्युटिकल के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की थी। तब उसने कंपनी मालिक व प्रबंधक को गिरफ्तार किया कर लिया था। कंपनी बद्दी में एक थोक दवा धारक ट्रेडिंग कंपनी है। इसका मुख्यालय पंजाब के मोहाली के जीरकपुर में है। आरोप है कि इस कम्पनी ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल में फर्जी दवा बिलों के सहारे दवाएं बेचने का गैर कानूनी कार्य किया।

स्टेट नारकोटिक्स क्राइम कंट्रोल यूनिट, शिमला के डीएसपी दिनेश शर्मा के मीडिया में आए बयानों के अनुसार इस संबंध में सबसे पहले कंपनी मालिक पंजाब के बरनाला निवासी दिनेश बंसल, पानीपत के मैनेजर सोनू सैनी को गिरफ्तार किया था। इस मामले में राजस्थान के सीकर स्थित दवा बिक्रेता विकास मीना का नाम सामने आया था, लेकिन वह जांच में सहयोग नहीं कर रहा है। अब कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट हासिल किया है। इसके आधार पर गिरफ्तारी की जाएगी।

पूछताछ के दौरान पता चला है कि उन्होंने एनडीपीएस दवाओं को बेचने का फर्जी बिल तैयार किए। इसमें नाइट्राजेपम, कोडीन और एटिजोलम दवाएं शामिल थीं। ये मंडी स्थित थोक दवा डीलर को बेचनी दर्शाई गई। प्रारंभिक जांच में इस बात की पुष्टि हुई है कि मंडी स्थित ड्रग डीलर को इनके पास से ऐसी दवाएं नहीं मिलीं। उन्होंने दवाओं का आर्डर भी नहीं लिया था। यह पता चला है कि आरोपित ने अपनी कार का इस्तेमाल एनडीपीएस दवाओं को राजस्थान, पंजाब इत्यादि राज्यों में जाने के लिए किया था। इनमें भी एनडीपीएस अधिनियम के नियमों का उल्लंघन किया।

जांच के दौरान पता चला है कि पंजाब में इससे पहले 2018-19 में ड्रग्स एंड कास्मेटिक्स एक्ट के उल्लंघन के लिए थोक दवा लाइसेंस रद्द कर दिया था। इसके बाद 2019 में बद्दी में अपना थोक दवा कारोबार शुरू किया। पंजाब के बरनाला में एक फार्मा फैक्ट्री भी चला रहे हैं।

100 करोड़ का लेनदेन आया जांच की जद में
जांच में पाया गया  था कि दो साल के भीतर एनडीपीएस दवाओं सहित 100 करोड़ रुपए  से अधिक की दवाओं का लेनदेन किया। कंपनी ने कई खेप राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब और देश के अन्य हिस्सों में भेजी हैं। आशंका है कि कंपनी उत्तर भारत में अंतरराज्यीय ड्रग्स तस्करी का रैकेट चला रही थी।

आय से अधिक संपत्ति के आरोप पर जैनेट फार्मास्युटिकल कंपनी के कई ठिकानों पर पंजाब में दबिश दी गई थी। बरनाला प्रशासन ने इस संबंध में कुछ दस्तावेज मांगे गए थे। अभी उनका ब्योरा नहीं मिला है। जैसे ही यह सूचना मिलेगी, इसके आधार पर वित्तीय जांच आगे बढ़ेगी। कंपनी की वित्तीय जांच चल रही है।

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