पुरानी पेंशन देने का मामला: अब समायोजित शिक्षाकर्मी भी सुप्रीम कोर्ट में पेश करेंगे अपना जवाब

जयपुर | नई हवा ब्यूरो 

समायोजित शिक्षाकर्मियों को पुरानी पेंशन देने के चल रहे प्रकरण में राजस्थान सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब पेश  करने के बाद अब समायोजित शिक्षाकर्मी भी  सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब पेश करेंगे। समायोजित शिक्षाकर्मियों ने कहा है कि राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जो जवाब पेश किया है उससे लग रहा है कि सरकार की नीयत में खोट है।

सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब पेश  करने के बाद राजस्थान समायोजित शिक्षाकर्मी संघ और वेलफेयर सोसायटी का एक बयान सामने आया है। समायोजित शिक्षाकर्मी संघ के प्रदेश संयोजक अजय पंवार ने इस बयान में कहा है कि संगठन के वरिष्ठ नेताओं और कानून विशेषज्ञों से राय लेकरसुप्रीम कोर्ट में  आवश्यक जवाब पेश किया जाएगा।

आपको बता दें कि उच्च न्यायालय जोधपुर द्वारा राजस्थान सरकार की पुनर्विचार याचिका को स्वीकार करने के विरुद्ध राजस्थान समायोजित शिक्षाकर्मी संघ राजस्थान और वेलफेयर सोसायटी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में SLP दायर की गई थी जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने 14 फरवरी 2022  को  स्थगन आदेश पारित कर पुनर्विचार याचिका पर रोक लगा कर राजस्थान सरकार से तीन सप्ताह में जवाब देने को कहा था। इस पर राजस्थान सरकार ने 21 मार्च को अपना जवाब पेश कर दिया।

समायोजित शिक्षाकर्मी संघ के प्रदेश संयोजक अजय पंवार ने कहा कि पुरानी पेंशन मिलने तक समायोजित शिक्षाकर्मियों का संघर्ष जारी रहेगा उन्होंने कहा कि  जिस भी समायोजित शिक्षाकर्मी ने राजकीय विद्यालयों तथा महाविद्यालयों में एक वर्ष भी सेवा की है तथा जिसने राजस्थान समायोजित शिक्षाकर्मी वेलफेयर सोसायटी के माध्यम से न्यायालय में परिवाद दायर किया है वह अनुदानित संस्थाओं में नियुक्ति तिथि से पुरानी पेंशन का हकदार है उसे पुरानी पेंशन अवश्य मिलेगी तथा पुरानी पेंशन के साथ-साथ सेवानिवृत्त तिथि से पेंशन का ऐरियर भी मिलेगा उन्होंने समायोजित शिक्षाकर्मियों से अपील की कि वे धैर्य बनाए रखें

अजय पंवार ने कहा कि किसी समायोजित शिक्षाकर्मी को भ्रमित होने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि उच्च न्यायालय जोधपुर ने 2004 से पूर्व का कार्मिक मानकर राजस्थान पेंशन नियम1996 के अनुसार पुरानी पेंशन का अधिकारी माना है सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया हैसुप्रीम कोर्ट ने विशेष अनुमति याचिका को स्वीकार कर स्थगन आदेश दिया है जो एक बड़ी उपलब्धि है,  लेकिन राजस्थान सरकार अड़ंगा लगाने पर तुली हुई है।

अजय पंवार ने कहा कि संगठन की विधिक समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर एमसी मालू तथा सदस्यों  एवं वरिष्ठ अधिवक्ताओं के अथक प्रयासों से राजस्थान सरकार को विशेष अनुमति याचिकाओं का जवाब देने को बाध्य होना पड़ा। उन्होंने बताया कि प्रोफेसर एमसी मालू तथा अन्य पदाधिकारी  वरिष्ठ अधिवक्ताओं के साथ राजस्थान सरकार के जवाब का गहनता से अध्ययन कर रहे हैं  और राजस्थान सरकार के जवाब में  बिंदुवार अपनी पूरी तैयारी कर ली है तथा अगले सप्ताह में अपनी सभी याचिकाओं के प्रत्युत्तर रिजोइंडर के साथ  सुप्रीम कोर्ट  में पेश कर दिए जाएंगे। अगले सप्ताह की 08 अप्रेल 2022 को अंतिम रूप से सुनवाई  हो सकती है।

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