मनुमुक्त ‘मानव’ मेमोरियल ट्रस्ट, नारनौल द्वारा आयोजित कवि-सम्मेलन गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज

नारनौल 

अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक गतिविधियों के कारण वैश्विक स्तर पर निरंतर चर्चा में रहने वाले मनुमुक्त ‘मानव’ मेमोरियल ट्रस्ट के नाम एक और विशिष्ट उपलब्धि दर्ज हो गई है। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने, ट्रस्ट द्वारा भारत की स्वाधीनता के अमृतमहोत्सव के अवसर पर 15 अगस्त, 2021 को आयोजित ‘वर्चुअल अंतरराष्ट्रीय कवि-सम्मेलन’ को, सर्वाधिक देशों के सबसे बड़े कवि-सम्मेलन के रूप में दर्ज किया है। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा जारी प्रमाण-पत्र के अनुसार इस कवि-सम्मेलन में छह महाद्वीपों और इक्यावन देशों के पचहत्तर कवियों ने काव्य-पाठ किया था, जो एक विश्व रिकॉर्ड है।

यह जानकारी देते हुए चीफ ट्रस्टी डाॅ.रामनिवास ‘मानव’ ने बताया कि यूं तो ट्रस्ट के अधिकतर अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम अपने आपमें विश्व रिकॉर्ड होते हैं, लेकिन रिकॉर्ड बुक में ट्रस्ट के किसी कार्यक्रम को प्रथम बार विश्व रिकाॅर्ड के रूप में दर्ज किया गया है, जो बड़ी प्रसन्नता की बात है। इससे ट्रस्ट ही नहीं, नारनौल नगर का नाम भी विश्व-पटल पर प्रतिष्ठित हुआ है।

चीफ ट्रस्टी डाॅ.रामनिवास 'मानव'

इन्होंने दी है बधाई
इस विशिष्ट उपलब्धि पर इक्यावन देशों के सभी संभागी कवियों के अतिरिक्त भारत से अंतरराष्ट्रीय संबंध परिषद्, नई दिल्ली के निदेशक नारायण कुमार, पूर्व राजनयिक तथा केंद्रीय हिंदी निदेशालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के सहायक निदेशक डॉ. दीपक पांडेय और डॉ.नूतन पांडेय, वीबीएस पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर (उत्तर प्रदेश) की कुलपति डॉ.निर्मला एस मौर्य, सिंघानिया विश्वविद्यालय, पचेरी बड़ी (राजस्थान) के कुलपति डॉ.उमाशंकर यादव, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला के कुलाधिपति डाॅ.एचएस बेदी, मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी, भोपाल के निदेशक डॉ.विकास दवे, हरियाणा साहित्य अकादमी, पंचकूला के पूर्व निदेशक डॉ. पूर्णमल गौड़, इंटेलिजेंस ब्यूरो, भारत सरकार, पटियाला (पंजाब) के पूर्व सहायक निदेशक नरेश नाज़, नागरी लिपि परिषद्, नई दिल्ली के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. हरिसिंह पाल, हरियाणा बाल-कल्याण परिषद्, चंडीगढ़ के नोडल अधिकारी विपिनकुमार शर्मा, भारत विकास परिषद्, नारनौल (हरियाणा) के जिला अध्यक्ष डॉ. जितेंद्र भारद्वाज आदि महानुभावों ने कवि-सम्मेलन के आयोजक और संयोजक डाॅ. ‘मानव’ तथा अन्य सभी सहयोगियों को बधाई दी है।

इन कवियों की थी सहभागिता
इस ऐतिहासिक और महत्त्वपूर्ण कवि-सम्मेलन में एशिया, आस्ट्रेलिया, अफ्रीका, यूरोप, दक्षिणी अमेरिका और उत्तरी अमेरिका सहित छह महाद्वीपों और इक्यावन देशों के जिन पचहत्तर कवियों को सहभागिता करने का गौरव प्राप्त हुआ, उनमें जापान से डॉ. रमा पूर्णिमा शर्मा (टोक्यो), फिजी से सुएता दत्त चौधरी (नौसोरी) और अमित अहलावत (सुवा), ऑस्ट्रेलिया से डॉ. उर्मिला मिश्रा (मेलबर्न), रेखा राजवंशी और डॉ.भावना कुंअर (सिडनी), न्यूजीलैंड से रोहितकुमार ‘हैप्पी’ (ऑकलैंड), वियतनाम से साधना सक्सेना (होचिमिन्ह सिटी), फिलीपींस से प्रिया शुक्ला (मनीला), थाईलैंड से शिखा रस्तोगी (बैंकॉक), इंडोनेशिया से आशीष शर्मा (मेडान), मलेशिया से मनीषा श्री (कुवालालंपुर), सिंगापुर से चित्रा गुप्ता और आराधना श्रीवास्तव (सिंगापुर सिटी), चीन से हरप्रीतसिंह पुरी (तियानजिन), नेपाल से डॉ.श्वेता दीप्ति और डॉ.पुष्करराज भट्ट (काठमांडू) और हरीश प्रसाद जोशी (महेंद्रनगर), भारत से नरेश नाज़ (पटियाला), डॉ.रमाकांत शर्मा (भिवानी), प्रेम विज (चंडीगढ़), उर्वशी अग्रवाल ‘उर्वी’ और राकेश भ्रमर (नई दिल्ली), डॉ.अंजीव अंजुम (दौसा), संजय पाठक (अलवर) तथा डॉ.रामनिवास ‘मानव’, डॉ.जितेंद्र भारद्वाज और डॉ.पंकज गौड़ (नारनौल), भूटान से अर्चना ठाकुर (थिंफू), बांग्लादेश से शमीम बानो (ढाका), श्रीलंका से डॉ.अंजलि मिश्रा (कोलंबो), ओमान से तुफैल अहमद (मस्कट), आबूधाबी से ललिता मिश्रा (आबूधाबी सिटी), दुबई से डॉ.नितिन उपाध्ये (दुबई सिटी), कतर से डॉ.मानसी शर्मा और बैजनाथ शर्मा (दोहा), बहरीन से अनुपम रमेश (मनामा), कुवैत से नाज़नीन अली ‘नाज़’ (कुवैत सिटी), जॉर्डन से रूपा घोष (अम्मान), मॉरीशस से कल्पना लालजी और आरती हेमराज (मोका), केन्या से मनीषा कंठालिया (नैरोबी), युगांडा से बसंत भंभेरू (कंपाला), तंजानिया से अजय गोयल (दार-ए-सलाम), नाईजीरिया से राखी विलंदानी (लागोस), घाना से‌ मीनाक्षी सौरभ (अकरा), दक्षिण अफ्रीका से उषा शुक्ला (डरबन) और झरना दीक्षित (जोहान्सबर्ग), तुर्की से ऐमराह करकोच (अंकारा), रूस से श्वेता सिंह और प्रगति टिपनिस (मास्को), यूक्रेन से डॉ. यूरी बोत्विंकिन (कीव), बल्गारिया से डॉ.मोना कौशिक (सोफिया), स्वीडन से सुरेश पांडे (स्टॉकहोम), नॉर्वे से डॉ.सुरेशचंद्र शुक्ल (ओस्लो), डेनमार्क से कृष्णा वर्मा (कोपनहेगन), जर्मनी से डॉ.शिप्रा शिल्पी (कोलोन), नीदरलैंड से डॉ.पुष्पिता अवस्थी (एमस्टरडम), बैल्जियम से कपिल कुमार (ब्रुसेल्स), लक्जमबर्ग से मनीष पांडेय (लक्जमबर्ग सिटी), ऑस्ट्रिया से अमिता लुग्गर (विएना), इटली से उर्मिला चक्रवर्ती (मिलान), फ्रांस से सविता जाखड़ (पेरिस), पुर्तगाल से डॉ.शिवकुमार सिंह (लिस्बन), ब्रिटेन से आशीष मिश्रा (लंदन), आयरलैंड से डॉ.अभिषेक त्रिपाठी (डबलिन), सूरीनाम से सुषमा खेदू (लैडिंग) तथा धीरज कांधाई (पारामारिबो), त्रिनिडाड से डॉ. शिवकुमार निगम और आशा मोर (पोर्ट ऑफ स्पेन), अमेरिका से डॉ. श्वेता सिन्हा (आयोवा), डॉ.कमला सिंह (सैनडियागो) और अर्चना पांडा (कैलिफोर्निया) तथा कनाडा से डॉ.शैलजा सक्सेना (टोरोंटो) और प्राची चतुर्वेदी रंधावा (वेंकूवर) के नाम शामिल हैं।

डॉ.अंजीव अंजुम ने दौसा का नाम किया रोशन
दौसा के कवि डॉ.अंजीव अंजुम ने इसमें भागीदारी कर दौसा का नाम रोशन किया। इससे पूर्व डॉ. अंजीव अंजुम ने लिम्का वर्ल्ड बुक में भी कविसम्मेलन में भागीदारी का रिकॉर्ड बनाया है जो विश्व में सबसे अधिक भाषाओं के कविसम्मेलन के रूप मे दर्ज किया गया था

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