कभी- कभी जनतंत्र और गणतंत्र को समान माना जाता है,परन्तु ऐसा है नहीं। मोटे रूप में हम कह सकते हैं कि जनता का,जनता द्वारा,जनता के लिए शासन जनतंत्र है,लेकिन जिस देश में जनतंत्र हो,जरूरी नहीं है कि वह देश गणतंत्र भी हो। जैसे,ब्रिटेन और जापान दोनों ही देशों में जनतंत्र है,परन्तु ये दोनों ही गणतंत्र नहीं हैं,क्योंकि इन दोनों में ही संसदीय शासन होने पर भी , सर्वोच्च शासक वंशानुगत राजा/रानी होता है। जनता का उसके पद प्राप्त करने से कोई सम्बन्ध नहीं होता है और न ही योग्यता के आधार पर उन्हें यह पद प्राप्त होता है। केवल राजवंश में जन्म के कारण वे सर्वोच्च शासक बनते हैं। इसके विपरीत गणतंत्र में राज्य का सर्वोच्च शासक जनता द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चुना जाता है। भारत में संसद और राज्यों की विधान सभा के सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं और इनके माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से जनता ही राष्ट्रपति का चुनाव करती है, क्योंकि ये जनता के प्रतिनिधि हैं। इस तरह भारत में, जहाँ एक नहीं वरन अनेक देशी रियासत थीं, वंशानुगत शासन को संविधान ने समाप्त कर दिया और इसलिए हम गर्व से कह सकते हैं कि हम सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न लोकतांत्रिक गणराज्य के नागरिक हैं।
(लेखक सेवानिवृत्त कॉलेज प्राचार्य हैं)