ऐसे बना सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न लोकतांत्रिक गणराज्य भारत

गणतंत्र दिवस 

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डॉ. अलका अग्रवाल 


भारत को गणतंत्र बने 70 वर्षहो चुके हैं,लेकिन एक आम  भारतीय नागरिक बचपन से ही केवल यह जानता है कि इस दिन हमारे देश में भारत की संविधान सभा द्वारा बनाया गया संविधान लागू किया गया था। इसलिए गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। 1946 में गठित भारत की संविधान सभा ने 2 वर्ष,11माह,18 दिन में संविधान बना लिया था और यह संविधान 26 नवम्बर 1949 को बन कर तैयार हो चुका था और इसीलिए इस दिन को हम संविधान दिवस के रूप में मनाते हैं। तब आखिर 2 माह के बाद संविधान क्यों लागू किया गया? इसके लिए हमें राष्ट्रीय आंदोलन के इतिहास के पन्ने पलटने होंगे।

दिसंबर 1929 में नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस ने लाहौर में रावी नदी के तट पर भारत को पूर्ण स्वराज्य दिलाने की शपथ ली। इस शपथ के अनुसार 26 जनवरी 1930 को कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य प्राप्ति हेतु पूरे देश में ‘स्वतंत्रता दिवस ‘मनाने का आह्वान किया और इसके पश्चात प्रत्येक 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाने लगा। इस दिवस को महत्वपूर्ण मानते हुए ,इस दिन को अमर करने के लिए 26 जनवरी को हो संविधान लागू करने के लिए चुना गया। इसके साथ ही हमारे देश में ‘भारत शासन अधिनियम 1935 ‘ समाप्त हो गया और हमारे देशवासियों द्वारा बनाया गया संविधान, हमारे देश के शासन का आधार बना। यही वह दिन है जब भारत में गवर्नर जनरल का पद समाप्त हो गया और भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने शपथ ली।

कभी- कभी जनतंत्र और गणतंत्र को समान माना जाता है,परन्तु ऐसा है नहीं। मोटे रूप में हम कह सकते हैं कि जनता का,जनता द्वारा,जनता के लिए शासन जनतंत्र है,लेकिन जिस देश में जनतंत्र हो,जरूरी नहीं है कि वह देश गणतंत्र भी हो। जैसे,ब्रिटेन और जापान दोनों ही देशों में जनतंत्र है,परन्तु ये दोनों ही गणतंत्र नहीं हैं,क्योंकि इन दोनों में ही संसदीय शासन होने पर भी , सर्वोच्च शासक  वंशानुगत राजा/रानी होता है। जनता का उसके पद प्राप्त करने से कोई सम्बन्ध नहीं होता है और न ही योग्यता के आधार पर उन्हें यह पद प्राप्त होता है। केवल राजवंश में जन्म के कारण वे सर्वोच्च शासक बनते हैं। इसके विपरीत गणतंत्र में राज्य का सर्वोच्च शासक जनता द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चुना जाता है। भारत में संसद और राज्यों की विधान सभा के सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं और इनके माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से जनता ही राष्ट्रपति का चुनाव करती है, क्योंकि ये जनता के प्रतिनिधि हैं। इस तरह भारत में, जहाँ एक नहीं वरन अनेक देशी रियासत थीं, वंशानुगत शासन को संविधान ने समाप्त कर दिया और इसलिए हम गर्व से कह सकते हैं कि हम सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न लोकतांत्रिक गणराज्य के नागरिक हैं।

(लेखक सेवानिवृत्त कॉलेज प्राचार्य हैं)

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