जम्मू
भारत तिब्बत संघ की जम्मू में हुई दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में संघ के राष्ट्रीय महामंत्री सौरभ सारस्वत ने कहा कि चीन के प्रोपेगेंडा में फंस कर हम जिस सागर को साउथ चाइना सी कहने लग गए हैं; दरअसल वह चीन का है ही नहीं। वह असल में भारत का मलय सागर है।
सौरभ सारस्वत ने कहा कि हमें चीन के प्रोपेगेंडा में नहीं फंस कर साउथ चाइना सी को मलय सागर कहकर ही पुकारना चाहिए। ताकि भारतीयता की पहचान बनी रहे। सारस्वत का कहना था कि इसी तरह बार-बार हमको यह बताया जाता है कि चीन हमारा पड़ौसी देश है। जबकि हकीकत ये है कि तिब्बत हमारा पड़ौसी है। उन्होंने कहा कि इसलिए हमको भारत-चीन बार्डर नहीं भारत-तिब्बत बार्डर कहकर पुकारना चाहिए। इससे तिब्बत के पड़ौसी होने का बोध होता है। लेकिन हम बारबार भारत-चीन बार्डर और साउथ चाइना सी कहकर गलती कर बैठते हैं। उन्होंने कहा कि भारत तिब्बत संघ इस मामले को केंद्र सरकार के सामने उठाएगा और सांसदों को भी अवगत कराएगा।
दो दिवसीय भारत तिब्बत संघ की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रधानमंत्री पेंपा सेरिंग के मुख्य आतिथ्य में हुई। इसमें राष्ट्रीय महासचिव सौरभ सारस्वत के अलावा राष्ट्रीय युवा कार्यकारिणी के गौरव शर्मा, राजस्थान प्रान्त के दुष्यंत शर्मा, आगरा की डा.रुचि चतुर्वेदी, सुश्री मरला सिंह, भरतपुर के जिला अध्यक्ष प्रीतेश गर्ग तथा विभिन्न राज्यों के जिलों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
आयोजन के दौरान भरतपुर के अध्यक्ष प्रीतेश गर्ग को निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रधान मंत्री पेंपा सेरिंग द्वारा सम्मानित किया गया। वैदिक मंत्रों के बीच गंगोत्री धाम महंत रावल हरीश और वृंदावन के संत सुनील कौशल महाराज ने मां गंगोत्री का जल निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रधानमंत्री को अर्पित किया।
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