नई दिल्ली
रेलवे ने अपने कर्मचारियों को राहत देने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब लम्बी बीमारी से जूझ रहे रेलवे के कर्मचारी अपने आश्रितों को अपनी नौकरी दे सकते हैं। इस स्कीम का फायदा उठाने के लिए सरकार ने कुछ नियम बनाए हैं। इन नियमों की पालना के बाद स्कीम का फायदा उठाया जा सकता है। रेलवे की यह योजना देश के सभी जोन के लिए लागू की गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रेलम्बी लम्बी बीमारी से ग्रसित कर्मचारी अब अपने आश्रित को अपनी नौकरी दे सकते हैं। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि उनका सेवाकाल पांच वर्ष से अधिक बचा हो। पहले 21 साल की सेवा अवधि की बाध्यता थी। रेलवे बोर्ड ने अब इस बाध्यता को हटा दिया है। रेलवे बोर्ड ने ऐसे कर्मचारियों को राहत दी है, जो हाई शुगर, ब्लड प्रेशर, कैंसर, लकवाग्रस्त सहित अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित हैं या नियमित रूप से सप्ताह में तीन-चार दिन डायलिसिस कराते हैं।
नए नियमों के अनुसार बीमारी के कारण लंबे समय से अपनी ड्यूटी से गैर हाजिर कर्मचारी अब अपने बेटा-बेटी या अन्य आश्रित को अपनी नौकरी दे सकते हैं। आपको बता दें कि पहले रेलवे बोर्ड स्कीम का लाभ उन्हीं कर्मचारियों को देती थी, जो अपनी 21 वर्षों की सेवा पूरी कर चुके हैं, लेकिन अब यह बाध्यता हटा ली गई है। रिपोर्ट्स के अनुसार डी-कैटोगराइज्ड़ कर्मचारी अपनी नौकरी देते हैं, तो उन्हें इसके बदले रेलवे से पेंशन मिलेगा।
इन नियमों की पालना जरूरी
रेलवे कर्मचारियों को इस स्कीम का फायदा तभी मिलेगा जब उन्हें रेलवे की मेडिकल बोर्ड ने डी-कैटेगराइज्ड़ के तहत अनफिट फार आल कैटेगरी (किसी भी श्रेणी में ड्यूटी करने के लिए अयोग्य) घोषित कर दिया हो। ऐसे में गंभीर रूप से बीमार रेल कर्मचारी अपने विभाग में आवेदन देकर उक्त स्कीम का लाभ उठाकर अपने बच्चों को नौकरी दे सकते हैं।
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