उदयपुर
रणथम्भौर से जिस खूंखार बाघ टी-104 (चीकू) को मंगलवार को उदयपुर जिले की सज्जनगढ़ सेंचुरी में शिफ्ट किया गया था; उसकी कुछ घंटों बाद ही मौत हो गई। इस घटना के बाद वन विभाग में हड़कंप मचा हुआ है क्योंकि जिस समय उसे शिफ्ट करने के लिए सज्जनगढ़ ले जाया गया उस समय वह स्वस्थ्य था।
सवाईमाधोपुर जिले की रणथम्भौर सेंचुरी में यह बाघ तीन लोगों की जान ले चुका था। इसलिए वन विभाग ने इसे खूंखार श्रेणी का मानते हुए उसे उदयपुर जिले की सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में शिफ्ट कर दिया था, लेकिन शिफ्ट करने के कुछ घंटों बाद ही उसकी मौत हो गई। डीएफओ अजय चितौड़ा ने इसकी पुष्टि की और बताया कि टाइगर टी—104 की मौत का बुधवार अलसुबह पता लगा। गर्मी ज्यादा होने पर उसे रणथम्भौर से एसी वाहन में सड़क मार्ग से उदयपुर लेकर आए थे। रात में पानी पीया और थोड़ा खाना भी खाया था। उसके बाद अचानक तबीयत बिगड़ गई। फिलहाल टाइगर का पोस्टमार्टम करवाया गया है। रिपोर्ट सामने आने के बाद ही मौत के कारणों का पता चल पाएगा।
टाइगर की इस मौत के बाद वन विभाग के सिस्टम पर सवाल उठ रहे हैं। वन विभाग के अधिकारियों ने टाइगर को सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में शिफ्ट करने के दौरान उसे ट्रेंकुलाइज किया था। इसके बाद टाइगर का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। इसके बाद ही टाइगर टी-104 को पिंजरे में शिफ्ट कर दिया गया था।
बताया जा रहा है कि बाघ पॉन्ड में पानी पीकर लेट गया। फिर इसके बाद उसमें कोई हरकत नजर नहीं आई। वन विभाग ने देखा तो उसकी मौत हो चुकी थी। उसे पिंजरे में ही रखकर मॉनिटरिंग की गई। रात करीब आठ बजे उसे पिंजरे से निकालकर बायोलॉजिकल पार्क में छोड़ा गया। रात करीब रात दस बजे वहां एक पॉन्ड में बैठ गया। कुछ देर बाद बाघ पानी से निकलकर एक जगह पर जाकर लेट गया। इस दौरान वन विभाग की ओर से बाघ की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही थी। लेकिन उसमें जब कोई हरकत नजर नहीं आई तो वनकर्मियों ने शोर मचाया, लेकिन फिर भी कोई मूवमेंट नहीं हुआ तो कर्मचारियों के होश उड़ गए। पास जाकर देखा तो उसकी मौत हो चुकी थी।
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