कथा को वर्तमान परिप्रेक्ष्य एवं भारतीय संस्कृति को दृष्टिगत रखते हुए लिखा जाना चाहिए: हनुमान सिंह | अखिल भारतीय साहित्य परिषद का कथाकार सम्मेलन

जयपुर 

अखिल भारतीय साहित्य परिषद राजस्थान द्वारा न्यू सांगानेर रोड स्थित होटल अर्जुन पैलेस में  कथाकार सम्मेलन आयोजित किया गया। सम्मेलन का विषय” कथा लेखन: चुनौतियां और दायित्व “था। कथाकार सम्मेलन में पूरे राजस्थान से चुने हुए 60 कथाकार उपस्थित हुए।

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परिषद के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अन्नाराम शर्मा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि साहित्यकारों को समाज के सभी भेदों को समाप्त कर साहित्य सृजन करना चाहिए। सत्र की अध्यक्षता करते हुए साहित्यकार हनुमान सिंह राठौड़  ने कहा कि कथाओं का लेखन वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भारतीय संस्कृति एवं परंपराओं को दृष्टिगत रखते हुए किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि पूर्व में साहित्यकारों द्वारा एक विशेष विचारधारा को स्थापित किया गया। साथ ही विशेष शब्द जैसे यथार्थवाद, अतियथार्थवाद आदि शब्द गढ़कर आम भारतीय जन को दिग्भ्रमित किया गया। इन लोगों ने इस प्रकार का साहित्य लेखन किया कि इससे हमारे संस्कृति एवं परंपराओं  एवं  हमारे साहित्य को धूमिल किया जा सके। इनके साहित्य से इस प्रकार का भ्रम उत्पन्न हुआ कि आम भारतीय संस्कृत भाषा से आये शब्द को ठीक से समझ नहीं आते परंतु अरबी फारसी शब्द ठीक से आमजन के समझ में आता है।

डॉ. अन्नाराम शर्मा ने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित अनेक लेखकों ने इस प्रकार का साहित्य रचा कि इससे भारत का गौरव और वैभवशाली परंपरा का ज्ञान हमारी पीढ़ी को नहीं हो पाया। परंतु साथ ही उन्होंने इस प्रकार के साहित्य को प्रचारित किया कि माय बॉडी इज माय चॉइस एवं अश्लील भाषा का प्रदर्शन करना और उस पर तालियां बजाना इस प्रकार के साहित्य से हमारी पीढ़ियों पर क्या प्रभाव रहेगा। इस पर वर्तमान में प्रत्येक राष्ट्रीय विचार से ओतप्रोत साहित्यकार को चिंतन करना है।

अखिल भारतीय साहित्य परिषद राजस्थान के महामंत्री डा. केशव शर्मा ने बताया कि सम्मेलन में कथा और कहानी पर विभिन्न तकनीकी सत्र आयोजित किए गये। जिनमें प्रदेश भर से आये साहित्यकारों ने अपने विचार रखे। परिचर्चा में श्रीमती किरण बाला उदयपुर, श्रीमती बसंती पवार, गौरी कांत उदयपुर एवं  रतन लाल मेनारिया निंबाहेड़ा सहभागी रहे।

 गोविंद भारद्वाज, अजमेर ने कहा कि वर्तमान में साहित्य इस प्रकार का लिखा जाना चाहिए कि वह समाज को जोड़ने वाला हो।  समारोह के मुख्य अतिथि विजय जोशी, कोटा एवं विशिष्ट वक्ता के रूप में इंजी. आशा शर्मा, बीकानेर, श्रीमती सुधा आचार्य, बीकानेर  राजाराम स्वर्णकार बीकानेर, डॉ. केबी भारतीय कोटा रहे। जबकि प्रो. नंद किशोर पांडे ने अध्यक्षता की। अखिल भारतीय साहित्य परिषद राजस्थान के क्षेत्रीय संगठन मंत्री डॉ. विपिन चंद्र का भी उपस्तिथ थे। अंत में धन्यवाद ज्ञापन परिषद के प्रदेश कोषाध्यक्ष इंद्र कुमार भंसाली द्वारा दिया गया।

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