38 साल पहले कोर्ट में डाली थी तलाक की अर्जी, अब आया ये फैसला | इस बीच पति ने कर ली दूसरी शादी; और इसके बाद हुए बच्चों का भी बसा दिया घर

सार: PHED के एक इंजीनियर (अब रिटायर्ड) ने 38 साल पहले तलाक की अर्जी लगाई और वह अर्जी कुटुंब न्यायालय, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक घूमती रही; लेकिन उसका फैसला नहीं हो पाया। 38 साल बाद आखिर उसका फैसला आया और इस दौरान इंजीनियर ने दूसरी शादी भी कर ली। दूसरी पत्नी से हुए बच्चों का भी उसने घर बसा दिया। अब जब तलाक का फैसला आया तो हाईकोर्ट ने इंजीनियर को तलाक के एवज में अपनी पत्नी के लिए बारह लाख का गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया।

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मामला मध्यप्रदेश के ग्वालियर का है जहां एक इंजीनियर ने 38 साल पहले यानी 1985 में कोर्ट में तलाक की अर्जी लगाई थी अब हाईकोर्ट ने रिटायर्ड इंजीनियर को आदेश दिया है कि वह पत्नी को तलाक की एवज में 12 लाख रुपये का गुजारा भत्ता अदा करे। इसके साथ ही कोर्ट ने 38 साल बाद दोनों को तलाक की अनुमति दे दी

यह था पूरा मामला
दरअसल भोपाल के रहने वाले इस रिटायर्ड इंजीनियर का ग्वालियर की रहने वाली पत्नी से तलाक का ये मामला भोपाल न्यायालय (Bhopal Court) से शुरू होकर विदिशा कुटुंब न्यायालय, वहां से ग्वालियर के कुटुंब न्यायालय, फिर हाईकोर्ट और इसके बाद सुप्रीम कोर्ट तक चला पहली पत्नी से इस रिटायर्ड इंजीनियर की शादी 1981 में हुई थी लेकिन पत्नी को बच्चे नहीं होने के कारण दोनों में 1985 में अलगाव हो गया था 4 साल तक दोनों साथ रहे बच्चा नहीं होने पर जुलाई 1985 में पति ने भोपाल में तलाक के लिए आवेदन पेश किया, लेकिन उसका दावा खारिज हो गया इसके बाद पति ने विदिशा न्यायालय में तलाक के लिए आवेदन दिया इसके उलट दिसंबर 1989 में पत्नी ने संबंधों की पुनर्स्थापना के लिए कुटुंब न्यायालय ग्वालियर में आवेदन पेश किया पति और पत्नी की एक-दूसरे के खिलाफ अपीलों के चलते ये मामला लंबे समय तक कोर्ट में घूमता रहा

पति की तलाक की अर्जी पर न्यायालय (Court) ने एकपक्षीय कार्रवाई करते हुए पति को तलाक लेने का अधिकारी माना और उस के पक्ष में फैसला दिया था लेकिन पहली पत्नी ने तलाक के आदेश के खिलाफ अपील की थी, जो कोर्ट में स्वीकार हो गई अप्रैल 2000 में पति का विदिशा में लंबित तलाक का केस कोर्ट ने खारिज कर दिया इसके बाद पति ने हाईकोर्ट में अपील की हाईकोर्ट ने पति की अपील 2006 में खारिज कर दी इसके खिलाफ पति ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की पति की एसएलपी भी सुप्रीम कोर्ट से 2008 में खारिज हो गई पति ने फिर तलाक के लिए 2008 में आवेदन दिया जुलाई 2015 में विदिशा कोर्ट ने पति का आवेदन फिर खारिज कर दिया था इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में अपील दायर की थी अंततः 38 सालों के इंतजार के बाद हाईकोर्ट (High Court) से दोनों को तलाक मिल गया

1990 में पति ने कर ली दूसरी शादी
पति-पत्नी दोनों में अलगाव के चलते दोनों अलग-अलग रह रहे थे 1990 में पति ने दूसरी शादी कर ली थी दूसरी पत्नी से इस रिटायर्ड इंजीनियर के दो बच्चे भी हैं जिनकी शादी भी हो चुकी है 38 सालों की कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार पति और पहली पत्नी सहमति से तलाक के लिए राजी हो गए इसके बाद हाईकोर्ट ने पति को निर्देश दिए हैं कि वह पत्नी को एकमुश्त बारह लाख रुपए चुकाए

महिला के पिता चाहते थे कि बेटी का घर नहीं टूटे
महिला के पिता पुलिस में अधिकारी थे वह चाहते थे कि बेटी का परिवार न टूटे इसलिए महिला बार-बार कोर्ट में तलाक रोकने की अपील कर रही थीलेकिन महिला के भाइयों की समझाइश के बाद पति-पत्नी सहमति से तलाक लेने के लिए राजी हो गए हाईकोर्ट ने रिटायर्ड इंजीनियर को आदेश दिया है कि वह पत्नी को तलाक की एवज में 12 लाख रुपये का गुजारा भत्ता देगा

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