बेअसर रही बैंक कर्मचारियों की देशव्यापी हड़ताल

नई दिल्ली | नई हवा ब्यूरो 

बैंक कर्मचारी संघों की दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल के दूसरे दिन मंगलवार को भी कोई खास असर देखने को नहीं मिला। जो थोड़े बहुत कर्मचारी सोमवार को हड़ताल पर गए भी तो वे भी मंगलवार को दूसरे दिन अपने काम पर लौट आए।  निजी बैंकों के अलावा कई और बैंकों ने हड़ताल को समर्थन नहीं दिया था। इससे उन बैंकों में कामकाज हुआ।

हड़ताल का आह्वान यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस की नौ में से सिर्फ लेफ्ट समर्थित तीन बैंक यूनियंस ने ही किया था। इसलिए अधिकांश बैंक कर्मचारियों ने खुद को हड़ताल से अलग कर लिया।सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण और बैंक कानून संशोधन विधेयक 2021 के विरोध में इस हड़ताल का आह्वान किया गया था। मंगलवार को कुछ हिस्सों में बैंकिंग सेवाएं और सार्वजनिक परिवहन आंशिक रूप से ठप रहा। हालांकि इसके बाद भी वामपंथी संगठनों ने दावा किया है कि हड़ताल के पहले दिन 20 करोड़ से अधिक कर्मचारियों की भागीदारी रही। दावा किया गया कि देश भर में करीब 18,000 करोड़ रुपए  मूल्य के 20 लाख चेकों का निस्तारण नहीं हो पाया

वॉयस ऑफ बैंकिंग के फाउंडर अशवनी राणा ने बताया कि हड़ताल के दूसरे दिन बैंक कर्मचारियों को समझ में आ गया है कि वह कब तक वामपंथियों की राजनीतिक हड़ताल का हिस्सा बनते रहेंगे। इस वजह से अधिकांश बैंक कर्मचारियों ने हड़ताल से अलग कर बैंक ज्वाइन कर लिया है। उन्होंने कहा कि हड़ताल के पहले दिन भी कोई खास असर देखने को  नहीं मिला।

आपको बता दें कि बैंक कर्मचारियों के यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस की 9 यूनियंस में से केवल लेफ्ट समर्थित तीन बैंक यूनियंस, अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए), बैंक एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीईएफआई) और ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (एआईबीओए) ने वाम समर्थित केंद्रीय श्रम संगठनों के समर्थन में 28 तथा 29 मार्च की हड़ताल में हिस्सा लिया था। बाकी 6 यूनियंस ने अपने को हड़ताल से अलग रखा।

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