जयपुर
राजस्थान हाईकोर्ट ने भरतपुर और सीकर से जुड़े दुष्कर्म के दो अलग-अलग मामलों में गर्भवती हुई पीड़िताओं को गर्भपात की अनुमति दे दी है। साथ में अदालत ने भरतपुर और सीकर के सीएमएचओ को निर्देश दिए हैं कि वह विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम गठित कर जल्द से जल्द पीड़िताओं का गर्भपात कराएं और उनके भ्रूण को डीएनए जांच के लिए सुरक्षित रखा जाए।
अदालत ने संबंधित जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव को पीड़ित प्रतिकर स्कीम के तहत पीड़िता को क्षतिपूर्ति राशि देने का भी आदेश दिया। जस्टिस सुदेश बंसल की अवकाशकालीन एकलपीठ ने यह आदेश पीड़िता और उसके पिता की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए। भरतपुर से जुड़े मामले में पीड़िता ने याचिका दायर कर कहा कि कामां थाना इलाके में उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ था जिसके चलते वह गर्भवती हो गई। दुष्कर्म के चलते उसकी मानसिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वह इस होने वाली संतान को स्वीकार कर सके। ऐसे में उसे गर्भपात की अनुमति दी जाए।
19 सप्ताह का गर्भ
अदालती आदेश पर गठित रिपोर्ट में विशेषज्ञों की टीम ने कहा कि गत 3 जून को पीड़िता के करीब 19 सप्ताह का गर्भ था। उसके खून की अत्यधिक कमी है और खून चढ़ाने की जरूरत है। जबकि याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि अदालत पूर्व में 24 और 28 सप्ताह के भ्रूण के गर्भपात की अनुमति दे चुका है। वह मानसिक तनाव में है लिहाजा उसे उसे गर्भपात की अनुमति दी जाए।
इसी तरह सीकर के रींगस थाना इलाके में नाबालिग पीड़िता के दुष्कर्म के चलते गर्भवती होने के मामले में भी अदालत ने पीड़िता के पिता की याचिका स्वीकार करते हुए उसके गर्भपात की अनुमति दी है।
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