कोटा
ACB ने कोटा के जेके लोन अस्पताल के अधीक्षक डॉ. एचएल मीणा को 50 हजार की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। अधीक्षक डॉ. एचएल मीणा ने एक ठेकेदार से बिल पास करने के एवज में 1 लाख 70 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी। एसीबी की टीम डॉक्टर के आवास व अन्य ठिकानों की तलाश में जुटी है।
ACB के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विजय स्वर्णकार ने बताया कि उन्हें परिवादी ठेकेदार ने शिकायत दी थी कि उसने जेके लोन अस्पताल (JK Lone Hospital) में कार्य किया था। इसका करीब 30 लाख रुपये का बिल बकाया था। इसको देने की एवज में अधीक्षक डॉ. मीणा 1 लाख 70 हजार रुपए की रिश्वत मांग रहे हैं।
सत्यापन में शिकायत सही पाई गई। इसके बाद ट्रैप की कार्रवाई की गई। डॉ. मीणा ने परिवादी को रिश्वत लेकर अपने आरकेपुरम इलाके में एक किराए के घर पर बुलाया। जहां पर परिवादी से रिश्वत की राशि ली। इसके बाद एसीबी के सीआई अजीत बागडोलिया और नरेश चौहान के नेतृत्व में टीम ने डॉ. मीणा को दबोच लिया। उनसे रिश्वत की राशि बरामद कर ली गई है।
रसूख के दम पर फिर लौट आए जेके लोन
आपको बता दें कि जेके लोन अस्पताल में साल 2020 में 100 से ज्यादा बच्चों की मौत 1 महीने में हो गई थी। जबकि करीब 900 बच्चों की मौत पूरे साल में हुई थी। इसके बाद राज्य सरकार ने डॉ. मीणा को अधीक्षक पद से हटा दिया था। जिन्होंने कुछ समय बाद अजमेर ट्रांसफर भी करवा लिया था।
सरकार ने डॉ. एससी दुलारा को अधीक्षक बना दिया था, लेकिन 2021 में भी बच्चों के मौत का मामला दोबारा उछला। जिसमें डॉ. दुलारा को हटाकर डॉ. अशोक मूंदड़ा को अधीक्षक बना दिया था। डॉ. मूंदड़ा ने भी कुछ महीने बाद ही पारिवारिक कारणों का हवाला देते हुए अधीक्षक पद से इस्तीफा दे दिया। इसके लेकिन रसूख के दम पर अजमेर से कोटा ट्रांसफर करवा कर डॉ. एचएल मीणा अधीक्षक बन गए थे।
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