जयपुर
राजधानी जयपुर में JCTSL की मेंटेनेंस को लेकर बरती जा रही लापरवाही मंगलवार को एक युवक की जिंदगी पर भारी पड़ गई। आज एक लो फ्लोर बस ने बस स्टॉप पर खड़े एक युवक को बुरी तरह से कुचल दिया। इस बस के ब्रेक फेल हो गए थे जिससे उसका चालक बस पर नियंत्रण नहीं रख पाया और बस युवक को रौंदती हुई चली गई।
JCTSL की यह लापरवाही एक परिवार को जिंदगीभर का दर्द दे गई। यह दर्दनाक हादसा जयपुर में सीकर रोड पर रोड नंबर 6 पर हुआ। मृत युवक की शिनाख्त कोटपूतली निवासी इकत्तीस साल के श्रीराम के रूप में हुई है। यह युवक फैक्ट्री जाने के लिए बस स्टॉपेज पर लो फ्लोर का इंतजार कर रहा था। इसी दौरा एक बेकाबू लो फ्लोर बस आई और उस पर चढ़ गई। ब्रेक फेल हो जाने की वजह से चालक बस पर नियंत्रण नहीं रख सका और युवक को रौंद दिया। इसके बाद बस डिवाइडर पर चढ़कर रुक गई।
इस दौरान बस में मौजूद सवारियों में अफरा-तफरी मच गई। बस के डिवाइडर पर रुकने के बाद सवारियों तुरंत नीचे उतरीं और बस के नीचे फंसे युवक को बाहर निकालने का प्रयास किया लेकिन तब तक युवक की मौत हो चुकी थी। इसके बाद पुलिस को हादसे की सूचना दी गई और सूचना पर विश्वकर्मा थाना पुलिस व दुर्घटना थाना पुलिस पश्चिम पहुंची। पुलिस ने सवारियों की मदद से बस के नीचे फंसे शव को बाहर निकालकर कांवटिया अस्पताल के मुर्दाघर में रखवाया।
दुर्घटना थाना पश्चिम के एएसआई रघुनंदन ने बताया कि मृतक श्रीराम विश्वकर्मा औद्योगिक क्षेत्र में स्थित एक फैक्ट्री में काम किया करता था और आज सुबह फैक्ट्री जाने के लिए ही रोड नंबर 6 पर बीआरटीएस कॉरिडोर में बने बस स्टैंड पर खड़ा होकर बस का इंतजार कर रहा था। तभी एयह हादसा हो गया।
जयपुर में मौत बनकर घूम रहीं लो फ्लोर बस
JCTSL की मेंटेनेंस को लेकर बरती जा रही लापरवाही की वजह से हुआ यह हादसा कोई नया नहीं है। इससे पहले भी कई हादसे हुए हैं। JCTSL की की ये नाकारा बसें मौत बनकर राजधानी की सड़कों पर दौड़ रही हैं। इस कारण हर साल जयपुर में एक दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो रही है। 9 जून को अजमेरी गेट के पास एक एसी लो-फ्लोर बस के ब्रेक फेल हो जाने पर बस को रोकने के लिए चालक ने पेट्रोल पंप की दीवार में बस को घुसाकर रोका था। इससे पूर्व में भी ब्रेक फेल हो जाने के चलते कई हादसे घटित हो चुके हैं।
इन मौतों की मुख्य वजह बस का ब्रेक फेल होना, हैंड फ्री होना, चलती बस में आग लगना, चली बस का टायर खुल जाना आदि हैं। इसके बाद भी प्रबंधन ध्यान नहीं दे रहा। लेकिन जेसीटीएसएल प्रबंधन इस ओर जरा भी ध्यान नहीं दे रहा है। वर्तमान में करीब 253 बसें संचालित हो रही हैं। जबकि जेसीटीएसएल के बेड़े में 325 बसें मौजूद हैं लेकिन कुछ ड्राइवर-कंडक्टर की कमी की वजह से तो कुछ कंडम हालत में डिपो पर ही खड़ी रहती हैं।
जेसीटीएसएल ने मेंटेनेंस का काम एक निजी फर्म को सौंप रखा है और ये प्राइवेट फर्म मैकेनिकल इंजीनियर के बजाए कंडक्टर्स से ही इन बसों को सुधरवाने का काम करती है। इसके लिए फर्म को हर महीने करीब 2 करोड़ रुपए का भुगतान भी किया जाता है। इसके बावजूद हादसे हो रहे हैं।
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