रायपुर
शीर्षक पढ़ कर चौंक गए न! जी हां, यह सच है। अब एक सरकारी दफ्तर में खंडन अधिकारी की पोस्ट सृजित कर दी गई है, वह भी शिक्षा विभाग में। उसको जिम्मा दिया गया है कि वह विभाग की छवि को बिगड़ने से बचाए और तुरंत सम्बंधित खबर का खंडन प्रकाशित कराए।
यह अजीब सा चौंकाने वाला फैसला छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग ने लिया है। दरअसल छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग के अधिकारी मीडिया में विभाग के खिलाफ आए दिन प्रकाशित हो रही ख़बरों से इतने आजिज आ चुके हैं कि उन्होंने दफ्तर में एक अधिकारी को खण्डन अधिकारी बना कर बैठा दिया है और उसको जिम्मा दिया गया है कि वह विभाग की छवि को बिगड़ने से बचाए और तुरंत सम्बंधित खबर का खंडन प्रकाशित कराए। इस ऑफिसर को जिम्मेदारी दी गई है कि वह मीडिया से आ रहे स्कूल शिक्षा विभाग से जुड़े प्रत्येक खबरों का खंडन करे। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के जिला शिक्षा अधिकारी ने इसके लिए सहायक संचालक डीएस चौहान को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है।
स्थानीय खबरों के मुताबिक, जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी आदेश में बताया गया है कि लोक शिक्षण संचालनालय की ओर से मिले निर्देश के मुताबिक स्कूल शिक्षा विभाग के विरुद्ध जो समाचार प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में आता है, उसका उसी दिन खंडन जारी किया जाना है। खंडन अधिकारी के तौर पर नियुक्त नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी है कि वह रोजाना सभी प्रमुख अखबारों का अवलोकन करे और उसमें स्कूल शिक्षा विभाग से जुड़े समाचार को गौर से देखे और एनलिसिस करने के बाद खंडन की प्रेस विज्ञप्ति बना कर कार्यालय प्रमुख से अनुमोदन लेकर जनसंपर्क विभाग के जरिए प्रेस को जारी करे।
खण्डन अधिकारी को ये भी निर्देशित किया गया बताया कि प्रकाशिक खबरों का कनेक्शन अगर राज्य सरकार से है तो खंडन जारी करने से पहले लोक शिक्षण संचालक, सचिव अथवा प्रमुख सचिव की जानकारी में बात करनी होगी। नोडल अधिकारी जिला शिक्षा अधिकारी और जिला शिक्षा अधिकारी संयुक्त संचालक के संज्ञान में बात लाते हुए अंतिम विज्ञप्ति जारी करेंगे। संयुक्त संचालक शिक्षा को यह जानकारी संचालक लोक शिक्षण को देना है। पूरे आदेश में समाचार में उठाए गए तथ्यों की जांच और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की किसी प्रक्रिया के बारे में कुछ नहीं लिखा है।
लोक शिक्षण के संचालक सुनील जैन का कहना है कि इस ऑर्डर की भाषा थोड़ी भ्रामक है, लेकिन भाव ठीक हैं। उस अधिकारी को हर खबर का केवल खंडन नहीं करना है, बल्कि खबर की जांच कर सही तथ्य मीडिया के सामने रखने की जिम्मेदारी है। इससे विभाग से जुड़ी सही बात सामने आएगी। सुनील जैन का कहना है कि अभी तक खबरों पर कोई ध्यान नहीं दे रहा था। इसकी वजह से कई निगेटिव समाचार विभाग के बारे में छप रहे थे। इसी को ध्यान में रखकर तय हुआ कि खबरों पर तुरंत प्रतिक्रिया दी जाए ताकि तथ्यों को लेकर किसी तरह का भ्रम न रहे।
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