मंजिल
डॉ. अलका अग्रवाल
प्रेम जीवन के दीपक का तेल है।
प्रेम एक मन से दूजे का मेल है।
प्रेम ही दया ममता का आधार है।
प्रेम के कारण बुद्ध , करुणावतार हैं।
प्रेम प्राणी मात्र से, जोड़ने वाला धागा है।
प्रेम से परोपकार का, गहरा नाता है।
मन में प्रेम है तो हर कोई अपना है।
प्रेम ना हो अगर, जग बुरा सपना है।
गांधी को प्रेम ने अहिंसा- पथ दिखलाया।
प्रेम ने ईसा को क्षमा करना सिखलाया।
इन ढाई आखर में बड़ी गहराई है।
जो इनमें डूबा उसने मंजिल पाई है।
प्रेम ही मानव को ऊंचाई दिलाता है।
प्रेम नर ही नहीं, नारायण से भी मिलाता है।
(लेखिका सेवानिवृत कॉलेज प्राचार्य हैं)
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