कटे वृक्ष सिमटते पर्वत…

पर्यावरण 

विश्वानि देव अग्रवाल, बरेली 


कटे वृक्ष सिमटते पर्वत, पीड़ा देने वाले  हैं
एक दिन जब सब मिट जांयेंगे, पड़ें जान के लाले  है।

एक समय आयेगा,अश्रु सूख जाएंगे प्रकृति के
फिर अपनी आँखों ने अश्रु, अविरल रोज निकाले हैं।

सूखा बाढ़ अकाल सभी कुछ, प्रदूषण के जाले हैं,
बिगड़ा है पर्यावरण इतना, दिखते नहीं उजाले हैं।

आज सूर्य का क्रोध देखकर, रंग सभी के काले हैं,
कोई भी हो किसी उम्र का, सब ही ढीले ढाले हैं।

आओ जाग उपकार करें हम,
खोल अक्ल के ताले हैं,
अपनी प्रवृत्ति प्रकृति संग जोड़ें, छोड़े जो गलती पाले हैं। 

वृक्ष उगाएं नदी बचाएं, प्लास्टिक का त्याग करें,
कूड़ा – करकट न फैलाएं जो सड़कों पर डाले हैं।

(लेखक स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया के सेवानिवृत वरिष्ठ अधिकारी हैं)

नोट: अपने मोबाइल पर  नई हवा’ की  खबरें  नि:शुल्क और नियमित प्राप्त करने  के लिए  व्हाट्सएप नंबर  9460426838 सेव करें और ‘Hi’ और अपना नाम, स्टेट और सिटी लिखकर मैसेज करें

उत्तरप्रदेश के बाहुबली मुख्तार अंसारी को उम्रकैद, 32 साल बाद आया फैसला | सजा सुनते ही अंसारी ने पकड़ लिया माथा

सीनियर टीचर भर्ती पेपर लीक मामले में ED की रेड, गहलोत ने जताया ऐतराज | तीन सौ कर्मचारियों की तीस टीम कर रही हैं सर्च, एजेंसी को देखकर सुरेश ढाका के पिता ने खुद को किया बंद, हो गया बेहोश

नहीं रहे टीवी शो महाभारत के ‘शकुनी मामा’ गूफी पेंटल, फौजी से बने थे एक्टर

IB ऑफिसर के लिए निकली बम्पर भर्ती, यहां जानें डिटेल 

सिर्फ 35 पैसे में मिलता है 10 लाख तक का बीमा कवर, ट्रेन में टिकट बुक करते वक्त करना होगा ये छोटा सा काम

लड़के वाले बोले- लड़की  मांगलिक है शादी नहीं कर सकते तो हाईकोर्ट ने दे दिए कुंडली जांच करने के आदेश | सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान और फिर दिया ये फैसला

बाप रे!CM अशोक गहलोत का ऐसा गुस्सा!! | देखें वीडियो

आगरा में हैरान कर देने वाली घटना, दुल्हन को किन्नर बता रिश्तेदारों के सामने उतार दिए कपड़े