शरद पूर्णिमा की रजनी में…

शरद पूर्णिमा की रजनी में…
शरद पूर्णिमा की रजनी में,
करें चन्द्र शुभ दर्शन।

चाँद पर हम…

भारत माँ को है अभिमान,
लिखा चाॅंद पर हिन्दुस्तान।
सबका गुरु आज है भारत

राष्ट्रप्रेम…

यूॅं तो देश बहुत धरती पर,
भारत सबसे देश महान।
कोई कहे सप्तसिन्धु

छा गए फिजा में अजब रंग…

स्वागत सुहावने सावन का,
छा गए फिजा में अजब रंग।
धरती अम्बर सब प्रफुल्लित

अमृत की पुड़िया जैसा है…

प्रेम पूजा शरणागति सा है
यह बुद्धि विवेक सुमति सा है,

कटे वृक्ष सिमटते पर्वत…

कटे वृक्ष सिमटते पर्वत, पीड़ा देने वाले हैं
एक दिन जब सब मिट जांयेंगे, पड़ें जान के लाले है।

मंद-मंद क्यों मुस्काते हो…

मंद-मंद क्यों मुस्काते हो
हंसने में क्यों शर्माते हो,
खुल के हंस लो आज प्यारे

यादें…

यादें बहुत खुबसूरत होती हैं
न लड़ती हैं न झगड़ती हैं

वो योगी सन्यासी…

अट्ठारह सौ तिरसठ जनवारी 12 को
धरा पर हुआ विशिष्ट आनंद

दीवारों के बीच चुन गए…

गुरु गोविंद सिंह के पुत्रों ने
दिया आज अपना बलिदान