नई दिल्ली
एक दवा कंपनी और वितरक का बड़ा घोटाला सामने आने के बाद आयकर विभाग ने उसके हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर स्थित 25 ठिकानों पर एक साथ रेड मारी।इस रेड के दौरान 4.2 करोड़ रुपए कैश तथा चार करोड़ मूल्य के आभूषण जब्त किए गए हैं।
छापेमारी के दौरान आयकर टीम ने कागजी और डिजिटल डेटा को जब्त किया है। टीम ने आपत्तिजनक दस्तावेजों को भी जब्त किया है। इन दस्तावेजों से पता चला है कि दवाओं की भारी मात्रा में नकद में बेहिसाब बिक्री की गई थी और इस बिक्री को कागजों में नहीं दर्शाया गया है। जांच में ये भी सामने आया कि कंपनी ने बड़ी संख्या में संपत्ति खरीद, मजदूरी भुगतान व अन्य खर्चों का भुगतान भी नकद में किया था।
जांच में सामने आया है कि इस दवा कंपनी ने अफगानिस्तान को दवा की आपूर्ति की और बदले में हवाला के जरिए नकद में भुगतान स्वीकार किया। इस लेन-देन में शामिल प्रमुख व्यक्ति ने इस बात को आयकर अधिकारियों की पूछताछ में स्वीकार किया है। विभाग की और से जारी एक बयान में बताया गया है कि यह दवा कंपनी न सिर्फ दवा बनाती और वितरण करती है बल्कि रियल एस्टेट में भी कार्यरत है। आयकर विभाग ने इस दवा कंपनी समूह की पहचान अभी उजागर नहीं की है।
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हवाला के जरिए लिया 25 करोड़
कंपनी ने अफगानिस्तान को दवा की आपूर्ति की और बदले में हवाला के माध्यम से नकद में भुगतान स्वीकार किया। इस माध्यम से करीब 25 करोड़ रुपए के भुगतान स्वीकार किए जाने के रसीदें भी मिली हैं। कंपनी के दवा निर्माण के लिए 94 करोड़ रुपए के अतिशेष रसायन भी मिला है। जांच में यह भी पता चला है कि नकदी में दवा बेचने से मिली राशि से अचल संपत्ति की खरीद की गई। नकद राशि का इस्तेमाल कंपनी के विस्तार पर भी किया गया।
रियल एस्टेट इकाई ने भी की गड़बड़ी
जांच में इस दवा कंपनी की रियल एस्टेट इकाई ने भी बगैर हिसाब-किताब के संपत्ति बेचने की जानकारी मिली है और नकद में खरीद की हैं। कंपनी ने शेयर बाजार में शॉर्ट टर्म निवेश से करीब 20 करोड़ रुपए का नुकसान भी दिखाया है। यह भी पता चला है कि इस समूह ने हिमाचल प्रदेश में अचल संपत्ति की खरीद के लिए बेनामी कंपनी भी बनाई हुई है।
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