आस्था
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र का महीना हिंदू नववर्ष का पहला महीना माना जाता है जिसमें मां दुर्गा का त्योहार चैत्र नवरात्रि मनाया जाता है। इस साल, चैत्र नवरात्रि 2 अप्रेल 2022 यानी शनिवार से शुरू हो रहे हैं जिसका समापन 11 अप्रेल, 2022 यानी सोमवार वाले दिन होगा। वही, कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 2 अप्रेल को सुबह 6 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 29 मिनट तक है। चैत्र नवरात्रि में 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा आराधना की जाती है।
हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा की अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। मां दुर्गा को सुख-समृद्धि और धन की देवी कहा जाता है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा की जाती है। मान्यता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों पर माता रानी की कृपा रहती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र नवरात्रि चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है। चैत्र नवरात्रि इस साल 2 अप्रेल 2022 से शुरू हो रहा है, जिसका समापन 11 अप्रेल 2022 को होगा।
ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि के नौ दिनों में देवी दुर्गा अपने भक्तों के बीच धरती पर निवास करती हैं। आमतौर पर देवी का वाहन सिंह यानी शेर होता है लेकिन नवरात्रि के दौरान, वह एक अलग वाहन पर आती हैं जो आने वाली घटनाओं के बारे में संकेत देती है। अलग- अलग राज्यों में इसके भिन्न-भिन्न नाम हैं। जैसे महाराष्ट्र में नवरात्रि के पहले दिन को गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa) के रूप में मनाया जाता है और कश्मीर में इसे नवरेह (Navreh) कहा जाता है।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाएगी। घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 02 अप्रेल को सुबह 06 बजकर 10 मिनट से 08 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। कुल अवधि 02 घंटे 18 मिनट की है।
कलश स्थापना के लिए 7 तरह का अनाज, मिट्टी का बर्तन, पवित्र स्थान से लाई गई मिट्टी, कलश, गंगाजल, आम या अशोक के पत्ते, सुपारी, जटा वाला नारियल, लाल सूत्र, मौली, इलाइची, लौंग, कपूर, रोली, अक्षत, लाल कपड़ा और फूलों की जरूरत होती है।
कलश स्थापना की विधि
- सबसे पहले प्रतिपदा तिथि पर जल्दी उठकर नहाएं और फिर पूजा की वेदी को साफ करें
- पूजा स्थल पर कलश की स्थापना करने से पहले उसको गंगा जल से शुद्ध कर लें
- फिर पूजा में सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित करें
- इसके बाद भगवान गणेश की आराधना करें
- पूजा स्थल पर कलश को रखते हुए पूजा शुरू कर दें
- कलश को पांच तरह के पत्तों से सजाएं, फिर हल्दी की गांठ, सुपारी, दूर्वा आदि रखें
- फिर कलश को स्थापित करने के लिए उसके नीचे मिट्टी की वेदी बनाकर उसमें जौ बोएं
- कलश के ऊपरी वाली हिस्से में पवित्र धागा बांधे
- कलश के मुख पर एक नारियल रखें और मंत्रों का जाप करें
- आखिरी में कलश को फूल, फल और धूप अर्पित करें
नवरात्रि पहला दिन (प्रथम)- 2 अप्रेल 2022 (शनिवार)
- मां शैलपुत्री
नवरात्रि दिन 2 (द्वितीय)- 3 अप्रेल 2022 (रविवार)
- माँ ब्रह्मचारिणी
नवरात्रि दिवस 3 (तृतीया)- 4 अप्रेल 2022 (सोमवार)
- माँ चंद्रघंटा
नवरात्रि दिवस 4 (चतुर्थी)- 5 अप्रेल 2022 (मंगलवार)
- माँ कुष्मांडा
नवरात्रि दिवस 5 (पंचमी)- 6 अप्रेल 2022 (बुधवार)
- माँ स्कंदमाता
नवरात्रि दिवस 6 (षष्ठी)- 7 अप्रेल 2022 (गुरुवार)
- माँ कात्यायनी
नवरात्रि दिवस 7 (सप्तमी)- 8 अप्रेल 2022 (शुक्रवार)
- माँ कालरात्रि
नवरात्रि दिवस 8 (अष्टमी)- 9 अप्रेल 2022 (शनिवार)
- माँ महागौरी
नवरात्रि दिवस 9 (नवमी)- 10 अप्रेल 2022 (रविवार)
माँ सिद्धिदात्री
मां दुर्गा की पूजन सामग्री
- आम के पत्ते
- चावल
- लाल कलावा
- गंगा जल
- चंदन
- नारियल
- कपूर
- जौ
- गुलाल
- लौंग
- इलायची
- 5 पान
- सुपारी
- मिट्टी का बर्तन
- फूल
- श्रंगार का सामान
- चौकी
- आसान
- कमलगट्टा
नवरात्रि उपवास के भोजन
भक्त नौ दिनों तक उपवास रखते हैं और देवी दुर्गा से प्रार्थना करते हैं और बुराई से सुरक्षा के रूप में उनसे आशीर्वाद मांगते हैं। नवरात्रों के उपवास के दौरान, साबूदाना वड़ा , साबूदाना खिचड़ी, सिंघाड़े का हलवा, कुट्टू की पूरी (Kuttu ki Puri), और सिंघारे के पकोड़े जैसे खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता दी जाती है।
नवरात्रि हवन के लिए पूजा सामग्री
नवरात्रि में हवन के लिए आपको इन सभी चीजों की जरूरत हैं, जैसे- पीपल का तना और छाल, बेल, नीम, पलाश, चंदन की लकड़ी, अश्वगंधा, ब्राह्मी, मुलैठी की जड़, तिल, चावल, लौंग, गूलर की छाल, गाय का घी, गुग्गल, लोभान, इलायची, शक्कर, जौ. इसके अलावा एक सूखा नारियल, कलावा, लाल रंग का कपड़ा, हवन कुंड।
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