खुशियां सजाएं

8 मार्च अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 

डॉ. शिखा अग्रवाल 


आओ, कुछ खूबसूरत ख्वाबों को देखें,
सखियों के संग, कुछ कहकहे लगा लें,
कुछ देर तो विश्राम लें, अपने कामों से,
मायके को याद कर थोड़ा मुस्कुरा लें।

क्यूं सदा अपनी मुश्किलों का जिक्र करें,
बना लें कुछ मन का सा, खुद के लिए,
गुनगुना लें कुछ दिल से, गम को दूर करें,
खुद को भी सजा ले, खुद के लिए।

जो कुछ पाया है, सदियों से चलते हुए,
उसको सराहें, आगे बढ़ते हुए,
दादी नानी से आगे की दुनिया बनाएं,
बिटिया को निडरता का पाठ सिखाएं।

दुनिया अबला ही बोले क्यूं हमको सदा,
खुद को मजबूत करें, जीने के लिए,
खुशियां दान में कब मिलती हैं यहां,
खुद ढूंढे उन्हें, पाने के लिए।

रिश्ते-नाते, जिम्मेदारी निभाते रहें,
अपने हुनर को भी संग, तराशते चलें,
सपनों को सच में बदलते हुए,
अपने अस्तित्व की पहचान, बनाते चलें।

(लेखिका राजकीय महाविद्यालय, सुजानगढ़ में सह आचार्य हैं)

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