लखनऊ
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात माफिया और मुख्तार अंसारी गैंग के शूटर संजीव जीवा माहेश्वरी की बुधवार को दिनदहाड़े लखनऊ की कैसरबाग स्थित कोर्ट परिसर में गोली मारकर हत्या कर दी गई। हमलावर कोर्ट परिसर में बकायदा वकील की ड्रेस पहनकर अदालत पहुंचे थे। घटना के बाद लखनऊ में सनसनी फ़ैल गई।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के वजीरगंज थाना क्षेत्र में हुई इस फायरिंग में एक बच्ची और चार अन्य लोगों के भी घायल होने की सूचना है। घटना के बाद एक शूटर को गिरफ्तार कर लिया गया। वारदात को अंजाम देने वाले हमलावर की पहचान जौनपुर के केराकत निवासी विजय यादव के रूप में हुई है।
हत्या की वारदात को आज दोपहर में उस समय अंजाम दिया गया जब बदमाश संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा को पेशी पर लाया गया था। फायरिंग में एक बच्ची, पुलिसकर्मी समेत 4 लोग जख्मी हैं। गोली लगने पर संजीव की मौके पर ही मौत हो गई। संजीव जीवा बीजेपी नेता ब्रह्मदत्त दिवेदी की हत्या का आरोपी था। इसके अलावा वह कई दूसरे मामलों में अभियुक्त था। वारदात के बाद मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस तैनात कर दी गई है।
संजीव जीवा पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर का रहने वाला था। वह मुख्तार अंसारी का शूटर रहा है। इसका नाम चर्चित कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी सामने आया था। संजीव इस वक्त यूपी की लखनऊ जेल में बंद था। हाल ही में प्रशासन ने उसकी संपत्ति भी कुर्क की थी। शुरुआती दिनों में वह एक दवाखाना में कंपाउंडर की नौकरी करता था। बाद में उसी दवाखाना के मालिक को ही अगवा कर लिया।
90 के दशक में जुर्म से जुड़ा जीवा
इस घटना के बाद उसने 90 के दशक में कोलकता के एक कारोबारी के बेटे का भी अपहरण किया और फिरौती में दो करोड़ रुपए की मांग की। इसके बाद वह हरिद्वार की नाजिम गैंग से जुड़ा, फिर सतेंद्र बरनाला के साथ जुड़ा। लेकिन उसे अपने अंदर एक गैंग बनाने की तड़प थी।
जीवा का नाम 10 फरवरी 1997 को हुई भाजपा के कद्दावर नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या में सामने आया। इस केस में जीवा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इसके कुछ दिन बाद मुन्ना बजरंगी गैंग में शामिल हो गया। इसी समय उसका संपर्क मुख्तार अंसारी से हुआ। मुख्तार को अत्याधुनिक हथियारों का शौक था तो जीवा के पास हथियारों को जुटाने का तिकड़मी नेटवर्क था। इसी कारण उसे अंसारी का सपोर्ट था।
कुछ सालों बाद मुख्तार और जीवा को साल 2005 में हुए कृष्णानंद राय हत्याकांड में कोर्ट ने बरी कर दिया गया। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, जीवा पर 22 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए। इनमें से 17 मामलों में संजीव बरी हो चुका था, जबकि उसकी गैंग में 35 से ज्यादा सदस्य हैं। जीवा जेल से ही गैंग ऑपरेट करता था। उस पर 2017 में कारोबारी अमित दीक्षित उर्फ गोल्डी हत्याकांड में शामिल होने का भी आरोप लगा। इसमें जांच के बाद अदालत ने जीवा समेत 4 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
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