सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया: ड्रिल मशीन से खोले गए थे लॉकर, फोरेंसिक जांच में खुलासा, सामने आई बैंक और कंपनी कर्मचारियों की मिलीभगत, सीसीटीवी में ड्रिल मशीन के साथ दिखे

कानपुर

कानपुर में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की कराची खाना शाखा के बैंक लॉकरों से गहने चोरी होने के मामले में फॉरेंसिक रिपोर्ट ने नया खुलासा किया है। इसके अनुसार, बैंक लॉकर ड्रिल मशीन से खोले गए थे। इसमें बैंक कर्मचारियों और लॉकर कंपनी के कर्मचारियों की मिलीभगत सामने आई है। इस बीच पुलिस को जो सीसीटीवी फुटेज मिले हैं उनमें भी बैंक मैनेजर और लॉकर इंचार्ज ड्रिल मशीन के साथ नजर आ रहे हैं।

कानपुर में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के लॉकर्स से अभी तक करीब तीन करोड़ के गहने चोरी हो जाने की रिपोर्ट सामने आ चुकी है और आंकड़ा अभी बढ़ता ही जा रहा है। इस बीच लॉकर्स की फोरेंसिक जांच रिपोर्ट और सीसीटीवी फुटेज का नजारा देख कर सभी लोग दंग रह गए हैं सीसीटीवी फुटेज में बैंक मैनेजर  राम प्रसाद और लाकर इंचार्ज शुभम मालवीय ड्रिल मशीन के साथ दिख रहे हैं और फोरेंसिक जांच में भी यह खुलासा हुआ है कि लॉकर्स ड्रिल मशीन से ही खोले गए हैं। इन खुलासों के बाद बैंक मैनेजर को पुलिस ने हिरासत में लिया है। जबकि लाकर इंचार्ज की तलाश में पुलिस टीम प्रयागराज भेजी गई है।

पुलिस ने बैंक के सीसीटीवी फुटेज के लिए कंट्रोल रूम का डीवीआर अपने कब्जे में कर लिया था। जांच में सामने आया कि 9 दिसंबर 2021 को बैंक ने निष्प्रयोज्य पड़े लाकरों को तोड़ा था। बैंक रिकार्ड चेक किया गया तो सामने आया कि उस दिन 29 लाकर तोड़े गए थे। ऐसे में पुलिस ने 9 दिसंबर 2021 का सीसीटीवी फुटेज खंगाला तो नजारा देख सभी दंग रह गए। वीडियो में दिखाई पड़ा कि बैंक मैनेजर रामप्रसाद और लाकर इंचार्ज शुभम मालवीय ने ड्रिल मशीन के साथ लाकर रूम में प्रवेश किया। उनके साथ लाकर कंपनी के दो कर्मचारी भी थे। इस दौरान उनके पास एक बैग दिखाई दिया। इस दौरान लाकर कंपनी के कर्मचारी लाकर रूम से बाहर आ गए। शक इस बात भी गहराया कि अफसर एक बैग लेकर गए थे, ताकि निष्प्रयोज्य लाकर से मिले माल को उसमें रखा जा सके, लेकिन वह जब बाहर आए तो उनके हाथ में एक नहीं दो बैग थे। इसके बाद पुलिस ने लॉकर  कंपनी के उन दोनों कर्मचारियों से  पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि नियमानुसार लॉकर तोड़े जाने के वक्त उनका वहां रहना जरूरी था, जबकि उन्हें बाहर निकाल दिया गया।

50-50 हजार कीमत के लगे थे लॉक
कराची खाना स्थित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के अंदर लगे लॉकरों की मजबूत सुरक्षा के लिए उनमें प्रतिष्ठित कंपनी के 50-50 हजार कीमत के लॉक लगाए गए थे। पुलिस की जांच में पता चला कि लोहे की मोटी परतों से निर्मित इन 1141 लॉकरों की सुरक्षा के लिए इनमें गोदरेज कंपनी के विशेष लॉक लगवाए गए। इनके मेंटीनेंस की जिम्मेदारी कंपनी ने मिराज इंटरप्राइजेज के प्रोपराइटर एके बाथम को दे रखी है। उन्होंने पुलिस को बताया कि लॉक को खोल पाना हर किसी के बस की बात नहीं है।

ऐसे गहराया शक
दरअसल जब पुलिस ने फोरेंसिक टीम की मदद से लॉकरों की जांच की तो सभी में लोहे का बुरादा मिला, जो लॉकर में ड्रिल मशीन चलाते वक्त अंदर ही रह गया था। फोरेंसिक टीम ने लॉकरों से रिपिट, नट-बोल्ट भी जुटाए हैं, जो लॉक में लगे थे और उसे खोलते वक्त अंदर ही छूट गए थे। इसके बाद भी चोरों ने बिना किसी तरह की तोड़फोड़ किए महज ड्रिल मशीन की मदद से खोल कर ग्राहकों के करोड़ों के गहने पार कर दिए।

कम्पनी और बैंक अधिकारी इसलिए हैं रडार पर
ऐसे में कंपनी के कर्मचारी और तत्कालीन बैंक अधिकारी ही पुलिस के रडार पर हैं। पुलिस का मानना है कि  इस तरह के लॉक को खोलने के लिए तकनीक की जरूरत होती है, जो सिर्फ लॉक बनाने वाले या उसकी मरम्मत करने वालों के पास ही होती है। ऐसे में लॉकर रूम में ऑपरेट न होने वाले 50 लॉकरों को खोलने के लिए दिसंबर 2021 में दो दिनों तक अंदर जाने वाले कंपनी के आधा दर्जन कर्मचारियों से लेकर लॉकर इंचार्ज शुभम मालवीय और तत्कालीन बैंक मैनेजर रामप्रसाद भी शक के दायरे में आ चुके हैं।

फोरेंसिक एक्सपर्ट के अनुसार लॉकर खोलने के लिए बदमाशों ने किसी भी तरह की ठोक पीट नहीं की। सिर्फ तकनीक का इस्तेमाल कर लॉकर खोले गए। वहीं, लॉकर इंचार्ज शुभम मालवीय दो दिनों के अवकाश पर थे, गुरुवार को उन्हें बैंक लौटना था लेकिन वह नहीं लौटे।

क्राइम ब्रांच ने डंप किया मोबाइल टॉवर
डीसीपी क्राइम सलमान ताज पाटिल ने बताया कि हमने जांच शुरू कर दी है। क्राइम ब्रांच की सर्विलांस सेल ने बैंक पहुंच कर लैपटॉप और डिवाइस की मदद से आसपास के मोबाइल टॉवर (बीटीएस) डंप किए हैं। लाखों नंबरों में से संदिग्ध नंबरों को छांट कर उनकी मदद से बदमाशों तक पहुंचने का प्रयास किया जाएगा।

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