लम्बे समय से अटके पड़े हैं राजस्थान में कॉलेज शिक्षकों के CAS प्रकरण, रुक्टा (राष्ट्रीय) ने की अविलम्ब आदेश निकालने की मांग

जयपुर 

राजस्थान में कॉलेज शिक्षकों के कैरियर एडवांसमेण्ट स्कीम (CAS ) के प्रकरण लम्बे समय से अटके पड़े हैं। इससे उनमें असंतोष पनप रहा है। राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) ने सर्कार से इस मामले का अविलम्ब निराकरण आदेश प्रसारित करने की मांग की है।

इस मामले को लेकर राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) के प्रतिनिधि मण्डल ने  कॉलेज शिक्षा की नवनियुक्त आयुक्त श्रीमती शुचि त्यागी से भेंट की और उनको  विभाग की लम्बित  समस्याओं से अवगत कराया। आयुक्त ने शीघ्र निस्तारण का आश्वासन दिया।

प्रतिनिधि मण्डल ने अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त अखिल अरोड़ा से मिलकर विभाग में  लम्बित 259 शिक्षकों के सी.ए.एस. प्रकरणों के त्वरित समाधान की मांग की। प्रतिनिधि मंडल ने बताया कि ये प्रकरण स्वीकृत होकर भी लम्बे समय से लंबित पड़े हैं।

महामन्त्री डॉ. सुशील कुमार बिस्सु ने  बताया कि  राजस्थान लोक सेवा आयोग, अजमेर में 25 फरवरी, 2021 को राजकीय महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के वरिष्ठ / चयनित वेतनमान एवं  पे बैण्ड – 4 का लाभ देने के लिए संपन्न  हुई  बैठक में  1 फरवरी, 2018 तक पात्र 259 शिक्षकों को नियमानुसार सी.ए.एस. का लाभ देने हेतु अनुशंषा के आठ माह से अधिक बीत चुके हैं, लेकिन कैरियर एडवांसमेंट योजना का लाभ देने के आदेश अभी तक प्रसारित नहीं किए हैं । इस विषय में यू.जी.सी. के भी स्पष्ट प्रावधान हैं  और संगठन के इस विषय में अनेक बार आग्रह के बाद भी  इतने लम्बे समय तक अकारण ही शिक्षकों को उनके न्यायोचित अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है।

डॉ. सुशील कुमार बिस्सु ने  बताया कि कैरियर एडवांसमेंट स्कीम के तहत सभी लाभ पात्रता-तिथि से देय वर्ष में ही  देने के स्पष्ट प्रावधान न केवल यूजीसी के रेगुलेशन में पहले से हैं, अपितु  राज्य में आज तक यह लाभ पात्रता-तिथि से ही दिए जाते रहे हैं।

संगठन अध्यक्ष  डॉ.दीपक शर्मा ने बताया कि आयुक्तालय द्वारा इस विषय में  दिशा-निर्देश माँगे जाने पर यूजीसी से पुन: इस विषय में यह स्पष्टीकरण 21 जून, 2021 को प्राप्त हो गया कि  सी.ए.एस  के सभी लाभ पात्रता-तिथि से ही देय हैं। ऐसी स्थिति में इस विषय को इतनी दीर्घावधि तक लम्बित रख कर महाविद्यालयीय शिक्षकों को उनके न्यायोचित वैधानिक अधिकारों से वंचित रखना उचित और स्वीकार्य नहीं है। अतिरिक्त वित्त सचिव अखिल अरोड़ा ने संगठन द्वारा प्रस्तुत तर्कपूर्ण तथ्यों को ध्यान से सुना तथा इन प्रकरणों पर यथासम्भव शीघ्र आवश्यक कार्यवाही का आश्वासन दिया । प्रतिनिधिमण्डल में डॉ.कमल मिश्रा भी शामिल थे।

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