जयपुर
राजस्थान समायोजित शिक्षाकर्मी संघ (Rajasthan Samayojit Shiksha Karmi Sangh) ने बजट में अपनी मांगों की अनदेखी पर कड़ा विरोध जताया है। संघ के सदस्यों में गहरी नाराजगी है, क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि इस बजट में उनकी लंबित मांगों पर सरकार राहत देगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जिससे शिक्षकों के भीतर आक्रोश पनप रहा है।
संघ के अनुसार, राज्य सरकार ने पहले भी उनके साथ वादाखिलाफी की है और अब एक बार फिर उन्हें न्यायिक प्रक्रिया में उलझाने की कोशिश हो रही है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट में उनकी सुनवाई अंतिम चरण में पहुंच चुकी है, जिससे शिक्षकों को न्याय की उम्मीद तो है, लेकिन सरकार की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है।
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क्यों नाराज हैं समायोजित शिक्षक?
- संघ के अनुसार, समायोजित शिक्षकों ने अपने अधिकारों के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है।
- 2012 से न्यायालय में संघर्ष जारी है, और उच्च न्यायालय व सुप्रीम कोर्ट में जीत भी मिली।
- फिर भी, राज्य सरकार कानूनी पेंचों में उलझाकर उनकी स्थायी समस्याओं का समाधान नहीं कर रही।
- संघ का आरोप है कि सरकार जानबूझकर अवैधानिक हथकंडे अपना रही है, जिससे शिक्षकों को राहत नहीं मिल पा रही।
- सरकार द्वारा आंकड़ों का संग्रह तो किया गया, लेकिन संघ को इस प्रक्रिया पर संदेह है।
संघ ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ अन्य संगठनों ने शिक्षकों को झूठे सपने दिखाए और सरकार को सैंकड़ों प्रतिवेदन सौंपने के दावे किए, लेकिन हकीकत में कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।
क्या सरकार शिक्षकों की मांगों को नज़रअंदाज कर रही है?
यह पहली बार नहीं है जब समायोजित शिक्षक खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।
- पिछली सरकारों में भी समायोजन, वेतन विसंगति, प्रमोशन और अन्य मांगों को लेकर शिक्षकों को संघर्ष करना पड़ा।
- शिक्षकों का कहना है कि जब उन्होंने सरकारी सेवा में समायोजन के आदेश के लिए संघर्ष किया था, तब भी सरकार ने आसानी से फैसला नहीं लिया था।
- अब, जब सुप्रीम कोर्ट में मामला अंतिम दौर में है, तब भी सरकार राहत देने को तैयार नहीं दिख रही।
संघर्ष जारी रहेगा, शिक्षकों का संकल्प
संघ ने अपने पत्र में सभी सदस्यों से धैर्य बनाए रखने और संघर्ष जारी रखने की अपील की। संघ के अनुसार,
- उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है, और सुप्रीम कोर्ट में जीत की पूरी उम्मीद है।
- संघ ने यह भी स्पष्ट किया कि वे बिना किसी झूठे दावे के तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं।
- “हम अंतिम दम तक संघर्ष करेंगे और जीतकर रहेंगे,” संघ ने कहा।
क्या हो सकते हैं आगे के कदम?
- संघ द्वारा सरकार पर दबाव बढ़ाया जा सकता है, जिससे बजट के बाद किसी राहत योजना की घोषणा हो।
- सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद संघ आंदोलन तेज कर सकता है, अगर निर्णय उनके पक्ष में आता है लेकिन सरकार अमल में देर करती है।
- सरकार और संघ के बीच सीधी वार्ता संभव हो सकती है, अगर शिक्षकों की नाराजगी व्यापक रूप ले लेती है।
क्या सरकार शिक्षकों की नाराजगी को गंभीरता से लेगी?
समायोजित शिक्षकों की मांगें केवल वेतन और सुविधाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह उनके सम्मान और अधिकारों से जुड़ा मामला है। संघ का रुख साफ है—वे बिना लड़े हार मानने को तैयार नहीं हैं। अब यह देखना होगा कि सरकार उनकी मांगों पर पुनर्विचार करेगी या शिक्षक एक और बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
इस पूरे घटनाक्रम पर सरकार का अगला कदम क्या होगा? क्या शिक्षकों को उनका हक मिलेगा या एक बार फिर यह मामला लंबी कानूनी प्रक्रिया में उलझा रहेगा? यह जानने के लिए नई हवा.कॉम के साथ बने रहिए।
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