जयपुर
आय से अधिक संपत्ति के मामले में ACB की टीम ने बुधवार सुबह कोटा (Kota) के संभागीय आयुक्त और सीनियर आईएएस राजेंद्र विजय के कई ठिकानों पर दबिश दी। ACB ने जिस समय दबिश दी उस समय राजेन्द्र विजय मॉर्निंग वॉक कर रहे थे। ACB की टीम इस समय दौसा (Dausa), कोटा (Kota) और जयपुर (Jaipur) में सर्च कर रही है। राजेंद्र विजय ने 7 दिन पहले ही कोटा के संभागीय आयुक्त का पदभार ग्रहण किया था। छापे की कार्रवाई के बाद राजेन्द्र विजय को सम्भागीय पद से हटाकर APO कर दिया गया है। इससे पहले भी उन्हें दो बार APO कर दिया गया था।
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एसीबी मुख्यालय जयपुर से निर्देश मिलने के बाद एक टीम राजेंद्र विजय के दौसा जिले के दुब्बी स्थित पैतृक निवास पर पहुंची, लेकिन वहां राजेंद्र विजय और परिजन नहीं मिलने के कारण टीम ने सर्च नहीं किया। इस पर मकान को किया सील कर दिया गया। ACB की टीम अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मुकुल शर्मा के नेतृत्व में कोटा के सर्किट हाउस भी पहुंची। सम्भागीय आयुक्त राजेन्द्र विजय अभी सरकारी आवास में शिफ्ट नहीं होने के कारण सर्किट हाउस में ही ठहरे हुए हैं। उन्हें सुबह 8 बजे गांधी जयंती के अवसर पर चंबल गार्डन में पुष्पांजलि कार्यक्रम में जाना था। उसके लिए उन्होंने जिले के एक प्रशासनिक अधिकारी को सुबह 7 बजकर 45 मिनट पर बुलाया था, लेकिन बाद में सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए गए। उन्होंने किसी से भी मिलने से इनकार कर दिया।

आय से अधिक संपत्ति के मामले में मिली थी शिकायत
ACB के अनुसार उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में शिकायत मिली थी। इस मामले में न्यायालय के जरिए सर्च वारंट लिया गया था। इसके आधार पर आज जांच शुरू की गई है। इसके लिए पहले ही भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने पूरा फीडबैक ले लिया था, जिसके बाद सुबह 6 बजे कार्रवाई को अंजाम दिया गया। इसकी मॉनिटरिंग खुद एसीबी के डीजी रवि प्रकाश मेहरड़ा कर रहे हैं। सभी टीमों को एक दिन पहले ही ब्रीफ कर दिया गया था और सुबह होते ही छापेमारी की कार्रवाई की गई। एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मुकुल शर्मा का कहना है कि अभी शुरुआत की गई है। उनकी तीन टीमें इस पूरे मामले में कोटा में पड़ताल कर रही है।
कांग्रेस शासन में कलक्टर बने और अब भाजपा सरकार ने बनाया सम्भागीय आयुक्त
आपको बात दें कि कांग्रेस शासन में राजेंद्र विजय एक साल तक बारां जिले के कलेक्टर रहे। उन्हें जनवरी 2021 में बारां जिला कलेक्टर के पद पर नियुक्त किया गया था। उसके बाद भाजपा सरकार ने कोटा में सम्भागीय आयुक्त के पद पर नियुक्ति दे दी। उन्हें 2005 और 2008 में दो बार एपीओ भी किया जा चुका है। अब इस छापे की कार्रवाई के बाद फिर APO कर दिया गया है।
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