जयपुर
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ राजस्थान (उच्चशिक्षा) के महामंत्री प्रो. सुशील कुमार बिस्सु ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर 1 जनवरी, 2004 के बाद विश्वविद्यालय में नियुक्त कार्मिकों के लिए भी समकक्ष राजकीय सेवा कार्मिकों के समान ही पुरानी पेंशन योजना लागू करते हुए इनको तुरंत एनपीएस में जमा नियोक्ता अंश राजकोष में जमा करवाने की शर्त से मुक्त रखने की मांग की है।
प्रो. बिस्सु ने बताया कि राज्य के 2023-24 के बजट में सरकार ने राज्य वित्त पोषित विश्वविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों एवं कार्मिकों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा की, जिसकी अनुपालना में वित्त विभाग ने निर्देश जारी किये है, किंतु वित्त विभाग द्वारा प्रसारित निर्देशों के अनुसार पुरानी पेंशन लाभ के लिए 1 जनवरी, 2004 के बाद नियुक्त शिक्षकों/ कार्मिकों को एनपीएस में जो नियोक्ता का अंश जमा है, उसे ब्याज सहित अभी राजकोष में जमा कराना है, जबकि पिछले वर्ष 1 जनवरी, 2004 के बाद राजकीय सेवा में नियुक्त कार्मिकों के लिये जब सरकार ने पुरानी पेंशन लागू की थी उस समय कार्मिकों पर एनपीएस में जमा नियोक्ता अंश जमा करवाने की कोई शर्त नहीं लगाई थी।
संगठन के अध्यक्ष प्रो. दीपक कुमार शर्मा ने विश्वविद्यालयों के शिक्षकों एवं कार्मिकों को एनपीएस में जमा नियोक्ता अंश राजकोष में तुरंत जमा करवाने के आदेश को न्याय संगत नहीं माना है, क्योंकि एनपीएस की राशि सेवानिवृत्त होने पर ही उन्हें प्राप्त होगी। अभी उनके पास एनपीएस से राशि प्राप्त करने का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में नियोक्ता अंश को राजकोष में जमा करवाने के लिए कार्मिक को कोई सीधा रास्ता दिखाई नहीं दे रहा है , जिससे विश्वविद्यालयों के 2004 के बाद नियुक्त शिक्षक एवं कर्मचारियों में गहरी मानसिक वेदना है।
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